जयपुर। राजस्थान में लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। जयपुर, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, झालावाड़, बारां और टोंक सहित कई जिलों में बाढ़ जैसे हालात बन गए हैं। कोटा और बूंदी जिलों में स्थिति गंभीर होने पर मौसम विभाग ने रेड अलर्ट जारी किया है, जबकि बारां, झालावाड़, टोंक, भीलवाड़ा, अजमेर, नागौर और पाली में ऑरेंज अलर्ट तथा शेष जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है। लगातार बरसात से निचले इलाकों में पानी भर गया है और प्रशासन को राहत और बचाव कार्यों में सेना तथा अन्य एजेंसियों की मदद लेनी पड़ी है। बारिश का दौर रविवार को भी जारी है।
जयपुर में शनिवार सुबह से जारी बारिश ने नगर निगम की तैयारियों की पोल खोल दी है। शहर की मुख्य सड़कों पर जलभराव और गड्ढों के कारण यातायात बुरी तरह प्रभावित हुआ है। पॉश कॉलोनियों तक में पानी भर गया है और सीवर जाम हो गए हैं। जगह-जगह जाम लगने से राजधानी की स्थिति और बिगड़ गई है। हालांकि बारिश से तापमान में पांच डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है, जिससे लोगों को गर्मी और उमस से राहत मिली है। हाड़ौती क्षेत्र में हालात ज्यादा बिगड़े हुए हैं। कोटा और बूंदी जिलों में जलभराव और नदियों के उफान से कई गांव प्रभावित हुए हैं। लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए सेना को लगाया गया है। कोटा में दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे और टोंक के देवली में जयपुर-कोटा हाईवे पर पानी भरने से यातायात रोकना पड़ा है। वहीं बूंदी के लबान इलाके में रेलवे ट्रैक की मिट्टी बह जाने से कई ट्रेनों को पास के स्टेशनों पर रोक दिया गया।
लगातार बारिश से प्रदेश के कई बड़े बांधों के गेट खोलकर पानी छोड़ा जा रहा है। बीसलपुर बांध से 72,120 क्यूसेक, कोटा बैराज से 12,344 क्यूसेक, करौली के पांचना बांध से 17,496 क्यूसेक, ईसरदा से 14,780 क्यूसेक और कालीसिंध से 8,161 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। इनसे निकासी होने से नदियों का जलस्तर और बढ़ गया है और निचले क्षेत्रों में बाढ़ का खतरा और बढ़ गया है। बरसात के कारण कई जगह हादसे भी हुए हैं। अलवर के रामगढ़ में मकान ढहने से सात लोग दब गए, जिनमें एक बच्ची की हालत गंभीर है। करौली के बुगड़ार गांव में पुलिया पार करते समय एक युवक बह गया। दौसा के लालसोट में स्थित राजकीय संस्कृत स्कूल की छत की पट्टियां गिर गईं, हालांकि गनीमत रही कि बड़ा हादसा टल गया।
प्रभावित क्षेत्रों में राहत और बचाव कार्यों की निगरानी के लिए जनप्रतिनिधि और मंत्री भी सक्रिय हुए हैं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बूंदी के केशोरायपाटन क्षेत्र का दौरा किया और प्रभावित बस्तियों का जायजा लिया। कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने सवाई माधोपुर जिले के प्रभावित इलाकों का दौरा किया। तेज बारिश के कारण शैक्षणिक गतिविधियां भी प्रभावित हुई हैं। कोटा और बूंदी जिलों में 24 अगस्त को होने वाली आरएससीआईटी परीक्षा स्थगित कर दी गई। बूंदी जिले के छह और कोटा जिले के एक परीक्षा केंद्र पर परीक्षा निरस्त करनी पड़ी।
मौसम विभाग जयपुर केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार 23 अगस्त को सबसे ज्यादा वर्षा बूंदी जिले के केशोरायपाटन क्षेत्र में हुई, जहां मात्र एक दिन में 502 मिमी बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा चित्तौड़गढ़ और बारां जिले में भी अत्यधिक बारिश रिकॉर्ड की गई। करौली जिले में 41.5 मिमी, दौसा में 33.5 मिमी, प्रतापगढ़ में 7.5 मिमी, अजमेर में 10.8 मिमी, भीलवाड़ा में 17 मिमी, कोटा में 18 मिमी और बीकानेर में 6.8 मिमी बरसात दर्ज हुई। वहीं, जयपुर शहर में 29.5 मिमी बारिश रेकॉर्ड की गई, जिससे राजधानी के कई हिस्सों में जलभराव की स्थिति बनी। पश्चिमी राजस्थान में बारिश अपेक्षाकृत कम रही। चूरू में 2.7 मिमी, श्रीगंगानगर में 1.9 मिमी और डूंगरपुर में 1.5 मिमी वर्षा हुई, जबकि बाड़मेर, जैसलमेर, जोधपुर और जालौर में बारिश नहीं के बराबर रही। इस बार मानसून सामान्य से कहीं अधिक सक्रिय है। 1 जून से 22 अगस्त तक औसतन 336.5 मिमी बारिश दर्ज होती है, जबकि इस वर्ष अब तक 476.8 मिमी बरसात हो चुकी है। यानी अब तक 42 प्रतिशत ज्यादा बारिश हो चुकी है।
मौसम विज्ञान केन्द्र जयपुर के निदेशक राधेश्याम शर्मा के अनुसार, मध्यप्रदेश-राजस्थान सीमा पर सक्रिय साइक्लोनिक सर्कुलेशन अब पूर्वी राजस्थान और दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश की ओर बढ़ गया है। मानसून ट्रफ लाइन गंगानगर, चूरू, ग्वालियर, सतना और डालटनगंज से होते हुए बंगाल की खाड़ी तक सक्रिय है, जिसके कारण लगातार भारी बारिश हो रही है। मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि अगले 24 घंटे में कोटा और बूंदी में और अधिक भारी बारिश हो सकती है। बारां, झालावाड़, टोंक, अजमेर, नागौर और पाली में भी भारी वर्षा की संभावना है।
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