बदरीनाथ धाम के कपाट रविवार (4 मई) को सुबह छह बजे वैदिक रीति-रिवाजों के साथ श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। मंदिर को 40 क्विंटल रंग-बिरंगी मालाओं और फूलों से भव्य रूप से सजाया गया है, जो श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।
समिति के पदाधिकारी सुबह चार बजे पहुंचे
मंदिर समिति के अनुसार, मंदिर समिति के पदाधिकारी और कर्मचारी सुबह चार बजे मंदिर परिक्रमा में पहुंच गए। इसके बाद सुबह साढ़े चार बजे श्री कुबेर जी ने दक्षिण द्वार से मंदिर परिक्रमा में प्रवेश किया। सुबह पांच बजे विशिष्ट अतिथि रावल, धर्माधिकारी, वेदपाठी, हक-हकूकधारी और डिमरी पंचायत के प्रतिनिधि परिक्रमा में शामिल हुए।
उत्तराखंड के डीजीपी ने किया था दौरा
एक मई को उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) दीपम सेठ और अपर महानिदेशक (एडीजी) वी मुरुगेशन ने तैयारियों को अंतिम रूप देने के लिए बदरीनाथ धाम का दौरा किया था। उन्होंने सुरक्षा व्यवस्था, यातायात प्रबंधन, संचार व्यवस्था और भीड़ नियंत्रण उपायों समेत सभी महत्वपूर्ण पहलुओं की गहन समीक्षा की थी। अधिकारियों ने स्थानीय प्रशासन से विचार-विमर्श कर यात्रा मार्ग के प्रमुख स्थलों का निरीक्षण किया तथा तीर्थयात्रियों की सुरक्षा एवं सुविधा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
श्रद्धालुओं के लिए किए गए व्यापक प्रबंध
उत्तराखंड पुलिस ने तीर्थयात्रा सीजन के दौरान होने वाली भारी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल एवं तकनीकी सहायता तैनात की है। यात्रा मार्ग पर यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने तथा श्रद्धालुओं को आरामदायक अनुभव प्रदान करने के लिए व्यापक प्रबंध किए गए हैं। प्रशासन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि लाखों श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के भगवान बद्री विशाल के दर्शन कर सकें।
बद्री नारायण के रूप में विराजमान हैं भगवान विष्णु
बद्रीनाथ धाम में भगवान विष्णु बद्री नारायण के रूप में विराजमान हैं। यहां उनकी एक मीटर ऊंची काले पत्थर की स्वयंभू मूर्ति स्थापित है, जिसे आदि शंकराचार्य ने नारद कुंड से निकालकर स्थापित किया था। यह मूर्ति भगवान विष्णु की आठ स्वयंभू मूर्तियों में से एक मानी जाती है। मूर्ति को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान पद्मासन मुद्रा में ध्यान कर रहे हैं। उनके दाहिनी ओर कुबेर, लक्ष्मी और नारायण की मूर्तियां भी स्थापित हैं। मंदिर में केवल दीपों की रोशनी ही दिखाई देती है, जो इस पवित्र स्थान की शांति और आध्यात्मिकता को और बढ़ा देती है।
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