राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले में सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बड़ा फैसला लिया गया है। जिला कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट आलोक रंजन ने एक आदेश जारी कर पूरे जिले को नो ड्रोन जोन घोषित कर दिया है। यह आदेश तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है तथा अगले दो माह तक लागू रहेगा।
जानें यह निर्णय क्यों लिया गया।
यह कदम पुलिस अधीक्षक के अनुरोध पर उठाया गया है। जिले में कई महत्वपूर्ण और संवेदनशील स्थल हैं, जैसे रावतभाटा में परमाणु ऊर्जा संयंत्र (एनपीसीआईएल), परमाणु ईंधन परिसर (एनएफसी), भारी पानी संयंत्र (एचडब्ल्यूपी), राणा प्रताप सागर बांध, हाइड्रोलिक पावर प्रोजेक्ट, जालमुपुरा में इंडियन ऑयल टर्मिनल, श्रीसावलियाजी मंदिर मंडाफिया, चित्तौड़गढ़ किला और सैनिक स्कूल। इन स्थानों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ड्रोन उड़ाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
यह नियम कहां लागू होता है?
इन सभी महत्वपूर्ण स्थानों के 2 किलोमीटर के दायरे में ड्रोन उड़ाना पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसके अतिरिक्त, पूरे जिले में बिना अनुमति के ड्रोन का उपयोग नहीं किया जा सकेगा। अनुमति के लिए संबंधित उपखंड मजिस्ट्रेट से संपर्क करना होगा।
10 मीटर तक छूट दी गई
धार्मिक, सांस्कृतिक या सामाजिक आयोजनों में फोटोग्राफी के लिए 10 मीटर की ऊंचाई तक ड्रोन उड़ाने की अनुमति दी गई है। साथ ही यह प्रतिबंध सेना, पुलिस, सशस्त्र बल, होमगार्ड, रेलवे और कानून व्यवस्था से संबंधित सरकारी कार्यों पर लागू नहीं होगा।
नियम तोड़ने पर सज़ा
इस आदेश का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय दंड संहिता 2023 की धारा 223 के तहत कार्रवाई की जाएगी। जिला प्रशासन ने नागरिकों से इस नियम का पालन करने और जिले की सुरक्षा में सहयोग करने की अपील की है।
लोगों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
यह आदेश आपातकालीन स्थितियों को ध्यान में रखते हुए लागू किया गया है। नागरिकों से अनुरोध है कि वे बिना अनुमति के ड्रोन का उपयोग न करें, ताकि सुरक्षा बनी रहे। चित्तौड़गढ़ की शांति और सुरक्षा के लिए यह कदम बहुत महत्वपूर्ण है।
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