जोधपुर के बावड़ी तहसील क्षेत्र के किसानों की बकाया राशि को पटवारी व ई-मित्र संचालक ने हड़प लिया। इसके लिए शातिराना तरीके से ऐसे लोगों को लाभार्थी बना दिया, जो उस क्षेत्र के निवासी नहीं थे, बल्कि ई-मित्र संचालक के रिश्तेदार थे। किसानों को दी गई आपदा अनुदान राशि व फसल बीमा क्लेम की राशि करोड़ों रुपए बताई जा रही है। ऐसा करने वाला कोई और नहीं बल्कि बावड़ी तहसील के संयुक्त पटवार मंडल का तत्कालीन पटवारी रविशंकर सारस्वत व रमसा ई-मित्र केंद्र का संचालक रामूराम है। जोधपुर एडीएम (भूमि) सुरेन्द्र सिंह पुरोहित ने सोमवार को बावड़ी एसडीएम को पत्र लिखकर भारतीय किसान संघ की शिकायत पर ई-मित्र संचालक व पटवारी द्वारा मिलीभगत कर आपदा अनुदान सहायता राशि हड़पने की जांच कर तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजने के निर्देश दिए हैं। एडीएम पुरोहित ने सहायता शाखा कार्यालय को भी इस जांच में सहयोग करने के निर्देश दिए हैं।
भारतीय किसान संघ ने 20 फरवरी को की थी शिकायत
भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री मेघाराम तरार की ओर से 20 फरवरी को जिला कलेक्टर को शिकायत दी गई थी। इसमें तत्कालीन पटवारी रविशंकर सारस्वत और ई-मित्र संचालक रामूराम पर बावड़ी तहसील के जोंतरा पटवार मंडल की आपदा अनुदान सहायता राशि (रबी) में इनपुट सब्सिडी की फर्जी सूचियां तैयार करने और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत वर्ष 2021 से 2023 तक फर्जी बीमा राशि उठाने का आरोप लगाया गया था।
ई-मित्र पर बैठकर ही सरकारी पोर्टल पर अपलोड कर दी सूची
सूत्रों के अनुसार जोंतरा के तत्कालीन पटवारी रविशंकर सारस्वत अक्सर रामूराम के ई-मित्र पर बैठकर सरकारी काम करते थे। दोनों ने पटवारी की आईडी से सरकारी पोर्टल पर लॉग इन कर फर्जी लाभार्थियों के नाम जोड़कर इनपुट अनुदान सहायता की सूची अपलोड कर दी। इस सूची के आधार पर उन लोगों के खातों में भी सरकारी सहायता राशि पहुंचा दी गई, जो वास्तव में इस क्षेत्र के निवासी ही नहीं थे।
पत्नी, भाई, भाभी समेत एक दर्जन फर्जी नाम
किसान संघ की शिकायत के अनुसार पटवारी और ई-मित्र संचालक ने मिलीभगत कर लाभार्थियों की सूची में अनगिनत फर्जी नाम जोड़ दिए। इनमें रामूराम की पत्नी विमला, भाई सोहनराम, भाभी संतोष, सास पट्टूदेवी समेत एक दर्जन नाम प्रारंभिक चरण में ही पकड़े गए हैं, जो न तो उस गांव के निवासी हैं और न ही राजस्व रिकॉर्ड में कहीं उनका नाम दर्ज है। इन फर्जी नामों पर करीब 8 माह पहले सब्सिडी ली गई। इतना ही नहीं आरोपियों ने रामूराम के ई-मित्र से प्रधानमंत्री फसल बीमा लेने वाले सभी किसानों की बीमा क्लेम की राशि भी हड़प ली। किसान संघ की ओर से शिकायत के साथ ही इस घोटाले से जुड़े दस्तावेज और आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों की प्रतियां भी प्रशासन को सौंपी गई।
पहले भी विवादों में रहा है आरोपियों का गठजोड़
गौरतलब है कि इस ताजा शिकायत से पहले भी पटवारी रविशंकर और ई-मित्र संचालक रामूराम के बीच गठजोड़ की कई शिकायतें हो चुकी हैं। वित्तीय अनियमितताएं पाए जाने पर पटवारी को पद से हटा भी दिया गया था, लेकिन उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होने से वे सैकड़ों किसानों को मिलने वाले अनुदान और मुआवजे की राशि हड़पते रहे।
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