राजस्थान में मौजूदा सरकार पर कई बार यह आरोप लग रहे हैं कि विभिन्न विभागों द्वारा तैयार की जा रही विकास योजनाओं पर विपक्ष से चर्चा नहीं की जाती। इसके साथ ही यह भी आरोप लग रहे हैं कि जिस क्षेत्र में विकास योजना तैयार की जा रही है, कम से कम वहां के विधायकों से कोई चर्चा या सलाह नहीं ली जाती। ऐसे में सरकार के मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने एक बड़ा फैसला लिया है। इसके तहत उन्होंने यूडीएच विभाग को आदेश दिया है कि यूडीएच विभाग की योजनाएं स्थानीय विधायक की राय के बिना तैयार नहीं होंगी। यानी अब राजस्थान में यूडीएच विभाग में विधायकों की राय के बिना विकास योजना का प्रारूप तय नहीं किया जाएगा। यूडीएच मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने एक आदेश जारी कर कहा कि अब विकास योजनाओं की रूपरेखा तय करते समय स्थानीय विधायकों की राय लेना अनिवार्य होगा।
जनप्रतिनिधियों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए योजना को आगे बढ़ाएं
विभागीय आदेश में कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों की भावनाओं और प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए योजनाओं को आगे बढ़ाया जाए। ऐसा करने से योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन होगा और जनता को इसका सीधा लाभ मिलेगा। गौरतलब है कि राजस्थान में विपक्ष कई बार सरकार पर आरोप लगा चुका है कि विकास योजनाओं को लागू करने से पहले स्थानीय विधायकों से न तो फीडबैक लिया जाता है और न ही उनकी राय ली जाती है। सत्ताधारी दल के कई विधायकों की भी ऐसी ही शिकायतें रही हैं।
इसके अलावा, 9 सितंबर को बेर विधायक बहादुर सिंह ने विधानसभा में विभागीय अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए थे। इस पर मंत्री ने विभाग से पूरी जानकारी मांगी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर आरोपों में तथ्य पाए गए तो दोषियों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।
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एक राजा था। वह` एक दिन अपने वज़ीर से नाराज हो गया और उसे एक बहुत बड़ी मीनार के ऊपर कैद कर दिया। एक प्रकार से यह अत्यन्त कष्टप्रद मृत्युदण्ड ही था। न तो उसे कोई भोजन पहुंचा सकता था और न उस गगनचुम्बी मीनार से कूदकर उसके भागने की कोई संभावना थी।
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