(चेतावनी: कुछ ब्योरे आपको विचलित कर सकते हैं.)
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ के चाशोटी इलाक़े में गुरुवार को बादल फटने से कम से कम 48 लोगों की मौत हुई है, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हैं.
एडिशनल एसपी प्रदीप सिंह ने इन मौतों की पुष्टि की है.
बीबीसी संवाददाता माजिद जहांगीर से बातचीत में किश्तवाड़ के डीसी पंकज शर्मा ने भी 48 मौतों की पुष्टि की है.
एडिशनल एसपी प्रदीप सिंह ने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुलिस, एसडीआरएफ़, फ़ायर सर्विसेस, सीआईएसएफ़, सीआरपीएफ़ और सेना रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई है.
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उन्होंने बताया इनके अलावा कई सारे वॉलेंटियर लोगों को बचाने में रेस्क्यू टीम की मदद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि इस घटना में बहुत सारे लोग लापता हैं.
पुलिस अधिकारी ने बताया कि लोगों की पहचान की जा रही है. अभी तक 8-10 लोगों की पहचान की जा चुकी है.
जिन लोगों को रेस्क्यू किया गया है उन्होंने अपनी आंखोंदेखी बयां की है और बताया है कि कैसे अचानक से मलबा आया और सबको बहाकर ले गया.
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बीबीसी की टीम शुक्रवार सुबह चार बजे किश्तवाड़ के ज़िला अस्पताल पहुंची, जहां घायल हुए लोगों को भर्ती किया गया है. इन लोगों ने घटना के बारे में विस्तार से बताया है.
बीबीसी संवाददाता माजिद जहांगीर को महिला ने रोते हुए बताया, "मेरी बच्ची के मुंह में मिट्टी भर गई, जो किसी ने नहीं निकाली और सांस बंद होने से उसकी मौत हो गई."
उन्होंने बताया, "मेरी बच्ची पढ़ लिखकर डॉक्टर बनना चाहती थी. डॉक्टरी की तैयारी कर रही थी. कोई मेरी बच्ची लौटा दो और कुछ नहीं चाहिए मुझे."
बच्ची के पिता कहते हैं, "बस हमें अब घर पहुंचा दो, चाहे जैसे भी हो. आठ घंटे के बाद उसको मलबे से निकाला है. हमारी बेटी बस घर पहुंचा दो."
एम्बुलेंस न मिलने पर वो नाराज़गी जताते हैं. वो कहते हैं, "यहां पर एक भी एंबुलेंस नहीं है. चार-पांच घंटे हो गए बैठे हुए."
एक व्यक्ति अपने परिवार के साथ चाशोटी आए थे. उनका कहना है कि इस घटना में कई लोग घायल हुए हैं और कइयों की मौत हुई है.
वो बताते हैं, "हम चाय पी रहे थे, तभी आर्मी वालों की आवाज़ आई- भागो, भागो. कुछ पता नहीं चला, जैसे ही उठे सब कुछ तहस-नहस हो गया."
उन्होंने बताया, "जो पुल क्रॉस कर रहे थे, वो सब बह गए."
इस घटना में उनकी बहन की मौत हो गई. बीबीसी को अपनी राखी दिखाते हुए वो कहते हैं, "मैं घर जाकर क्या कहूंगा. उसकी ये आखिरी राखी थी मेरे साथ. मेरी अकेली बहन थी, अब मैं अकेला रह गया हूं."
एक महिला ने बताया कि जिस जगह लंगर चल रहा था, उसके शेड के नीचे कई लोग दब गए. उनको बचाना मुश्किल हो रहा था.
'बम फटने की आवाज आई, सब चिल्लाने लगे भागो-भागो'
इस घटना में घायल हुए लोगों ने अपनी आपबीती बताई है.
शालू मेहरा को रेस्क्यू किया गया है और वो घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती हैं.
घटना के बारे में वह बताती हैं, "हमें कुछ भी पता नहीं चला, एकदम से बम फटने की आवाज आई और धुआं-धुआं हो गया. सब चिल्लाने लगे भागो, भागो, भागो."
उन्होंने बताया, "जैसे ही मैं भागने लगी, एक महिला मेरे ऊपर गिर गईं. एक बिजली का खंभा भी मेरे सिर पर आकर गिरा और मुझे करंट लगा."
शालू मेहरा ने बताया कि इसके बाद उन्होंने अपनी बेटी को आवाज़ दी, जिसके बाद उनके परिवार ने उन्हें बचाया.
बोधराज अपने परिवार के अन्य 10 सदस्यों के साथ किश्तवाड़ आए थे. उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी और बेटी समेत कुल तीन लोग मलबे में फंस गए थे.
घटना के बारे में बोधराज ने बताया, "एक दम से ब्लास्ट जैसा कुछ हुआ और फॉग ही फॉग फैल गया. हम चिल्लाए कि बादल फट गया है, सब निकलो यहां से. लेकिन दो मिनट के अंदर ही चार फुट मलबा वहां फैल गया."
चाशोटी की स्थिति पर बोधराज बताते हैं, "घटनास्थल पर शव पड़े थे... जहां पर नया पुल बन रहा है वहां के लोग बह गए और बाकी जो लोग ऊपर थे उनमें से 100, 150 से ज़्यादा लोग मलबे में दबे हुए हैं."
वो बताते हैं, "कुछ सेकेंड के अंदर मलबा आ गया. इसमें बड़े-बड़े पेड़, पत्थर थे."
'लोग चिनाब में बह गए'एक महिला अपने परिवार के साथ चाशोटी आई हुईं थीं. महिला इस घटना की दर्दनाक तस्वीर बयां करती हैं.
उन्होंने बताया, "हमारे सामने बादल एकदम से फटा और सारा पहाड़ जो है वो आने लगा. हम उसी के साथ बहते चले गए, चिनाब की तरफ़. गाड़ियां हमारे ऊपर थीं, जो बिजली के खंभे थे वो गिर गए थे."
उन्होंने बताया, "मैं गाड़ी के नीचे फंस गई थी. मैंने उम्मीद खो दी थी कि अब नहीं हो पाएगा. फिर मुझे मेरे पिता दिखे और मैं हिम्मत करके निकली."
महिला ने बताया, "मेरी मां बिजली के खंभे के नीचे थीं, उनके ऊपर बहुत लोग थे. मैं जैसे-तैसे करके निकल गई, लेकिन मां ज़्यादा घायल हुई हैं."
चाशोटी में हुई तबाही पर महिला ने बताया, "वहां बहुत सारे लोग थे. हमारी आंखों के सामने लोग नीचे चिनाब में बह गए, कुछ नहीं कर पाए."
मलबे के बारे महिला बताती हैं कि मिट्टी, पत्थर, पेड़ सहित पूरा पहाड़ ही नीचे आ गया था और हर जगह कीचड़ फैल गया था.
उन्होंने बताया, "बहुत छोटे-छोटे बच्चे थे, जिनकी गर्दन मुड़ गई थी. उनके पैर कट गए थे. मेरे पिता ने कुछ को बचाया लेकिन कइयों की मौत वहीं पर हो गई थी. आगे पीछे शव पड़े थे, हम कुछ नहीं कर पाए."
महिला ने बताया कि प्रशासन ने तेज़ी से सबकी मदद की. सेना, सीआरपीएफ़, पुलिस सबने मिलकर तेज़ी से रेस्क्यू किया.
रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान एक लड़की को बचाया गया है.
उन्होंने बताया, "ऊपर से फ्लड आया और सब बह गए. वहां काफ़ी लोग मारे गए, कइयों को चोट लगी है."
वे कहती हैं, "मैं भी बीच में फंसी हुई थी. पुलिस वाले अंकल ने मेरी मदद की. उन्होंने मुझे निकाला. मेरी एक बहन भी है वो नहीं मिल रही है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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