ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराग़ची सोमवार को पाकिस्तान पहुंचे. इसी सप्ताह उन्हें भारत की यात्रा भी करनी है.
अराग़ची की भारत यात्रा पूर्व नियोजित थी, लेकिन अब वो भारत आने से पहले पाकिस्तान भी पहुंचे हैं.
भारत और पाकिस्तान के बीच पहलगाम हमले के बाद बढ़े तनाव के मद्देनज़र अराग़ची दोनों देशों के बीच मध्यस्थता कराने का प्रस्ताव पहले ही दे चुके हैं.
अराग़ची ने भारत और पाकिस्तान को अपने 'भाई जैसा पड़ोसी देश बताया था.'
अब्बास अराग़ची सोमवार को पाकिस्तान यात्रा के बाद वापस तेहरान लौट जाएंगे और फिर वहां से ही 7-8 मई को भारत आएंगे.
इसका मतलब ये है कि अराग़ची पाकिस्तान और भारत का दौरा एक साथ नहीं कर रहे हैं. विश्लेषक मानते हैं कि हो सकता है भारत ने उनसे सीधे पाकिस्तान से भारत ना पहुंचने के लिए कहा हो.
इंडियन काउंसिल ऑफ़ वर्ल्ड अफ़ेयर्स से जुड़े सीनियर फ़ेलो और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार फ़ज़्ज़ुर्रहमान सिद्दीक़ी कहते हैं, "भारत ने ईरान को संदेश दिया होगा कि ईरानी विदेश मंत्री का भारत दौरा पाकिस्तान से अलग होना चाहिए. इसलिए वो तेहरान वापस लौटकर भारत आएंगे."
वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय की तरफ़ से जारी बयान के मुताबिक़, ईरानी विदेश मंत्री पाकिस्तान के विदेश मंत्री इसहाक़ डार के अलावा प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ और राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी से मुलाक़ात करेंगे.

पहलगाम हमले के बाद अराग़ची ने 25 अप्रैल को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए एक पोस्ट में कहा , "ईरान इस मुश्किल समय में नई दिल्ली और इस्लामाबाद में मौजूद अपने दफ़्तरों के ज़रिए दोनों देशों के बीच बेहतर समझ बनाने के लिए तैयार है."
पिछले एक सप्ताह के भीतर ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराग़ची ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तानी विदेश मंत्री इसहाक़ डार से फ़ोन पर बातचीत भी की है.
वहीं ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फ़ोन करके पहलगाम हमले की निंदा की और भारत के साथ तनाव पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ से भी बातचीत की.
यानी ईरान.. भारत और पाकिस्तान के साथ एक संतुलन बनाने की कोशिश कर रहा है. विश्लेषक मानते हैं कि भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव और सैन्य टकराव की आशंका ने ईरान के लिए हालात जटिल कर दिए हैं.
फ़ज़्ज़ुर्रहमान कहते हैं, "तटस्थ रहना ईरान की मजबूरी है. ईरान जिस स्थिति में है वह भारत या पाकिस्तान में से किसी एक के साथ खुलकर नहीं आ सकता है. भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ता तनाव ईरान के लिए कूटनीतिक चुनौती पैदा करेगा."
ईरान पाकिस्तान का पड़ोसी देश है और दोनों देशों के बीच लंबी सीमा है. वहीं भारत के साथ भी ईरान के ऐतिहासिक और पारंपरिक रूप से दोस्ताना संबंध रहे हैं.
ये भी पढ़ें-भारत और ईरान के बीच ऐतिहासिक, रणनीतिक और आर्थिक कारणों से व्यापार संबंध मज़बूत रहे हैं.
साल 2022-23 में भारत और ईरान के बीच क़रीब 2.5 अरब डॉलर का कारोबार हुआ. भारत ने ईरान को 1.9 अरब डॉलर का निर्यात किया जबकि ईरान ने भारत को 60 करोड़ डॉलर का निर्यात किया.
भारत ईरान के शीर्ष पांच कारोबारी सहयोगी देशों में शामिल है. भारत हर साल ईरान को क़रीब एक अरब डॉलर का चावल भेजता है.
ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से भारत के लिए ईरान का तेल निर्यात प्रभावित हुआ है. 2019 से पहले तक भारत अपनी दस प्रतिशत तेल ज़रूरतें ईरान के तेल से पूरा करता था.
इसके अलावा भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह में क़रीब 50 करोड़ डॉलर का निवेश किया है. भारत चाबहार बंदरगाह के ज़रिए अफ़ग़ानिस्तान और मध्य एशिया के बाज़ारों तक पहुंच बनाना चाहता है. अभी भारत को इन देशों में पाकिस्तान के ज़रिए निर्यात करना होता था.
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अगर और आगे बढ़ता है तो इससे ईरान के रणनीतिक हित प्रभावित हो सकते हैं. विश्लेषक मानते हैं कि यही वजह है कि ईरान दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने की कोशिश कर रहा है.
अंतरराष्ट्रीय मामलों की जानकार और जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी के राजनीति विज्ञान विभाग में प्रो. रेशमी काज़ी कहती हैं, "ईरान के व्यापक हित भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ जुड़े हुए हैं. अगर भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और अधिक बढ़ता है तो इससे ईरान के हित प्रभावित होंगे. यही वजह है कि पहलगाम हमले के तुरंत बाद ईरान ने कहा है कि वह दोनों देशों के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभाने के लिए तैयार है और इसके लिए इस्लामाबाद और नई दिल्ली में उसके दफ़्तरों का इस्तेमाल किया जा सकता है."
भारत और पाकिस्तान के बीच अगर तनाव बढ़ता है तो इससे दक्षिण एशिया की सुरक्षा स्थिति प्रभावित होगी और हालात नाज़ुक हो जाएंगे. ईरान और पाकिस्तान के बीच लंबी सीमा है और यहां कई जगहों से आर-पार आया-जाया जा सकता है.
फ़ज़्ज़ुर्रहमान सिद्दीक़ी कहते हैं, "पाकिस्तान की सीमा ईरान से सटी है, अगर भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध छिड़ता है तो ईरान के लिए अपने आप को इस युद्ध से बचाकर रखना बहुत मुश्किल हो जाएगा. चीन ने पाकिस्तान में भारी निवेश किया है. चीन और ईरान के भी रिश्ते मज़बूत हो रहे हैं. युद्ध की स्थिति में चीन ईरान पर भारत से अलग होने या पूरी तरह तटस्थ होने या पाकिस्तान के साथ आने का दबाव बढ़ा सकता है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप कर सकते हैं. आप हमें , , , और पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)
You may also like
युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता: रिटायर्ड ब्रिगेडियर विजय सागर
सोनू निगम विवाद पर बोले प्रसून जोशी- एक-दूसरे को जोड़ने वाली 'कड़ी' है भाषा
एडम गिलक्रिस्ट और शॉन पोलक ने चुनी अपनी All Time IPL XI; एमएस धोनी को बनाया कप्तान, लेकिन रोहित शर्मा को नहीं दी जगह
CBSE Introduces Six-Digit Access Code System for DigiLocker Activation Ahead of Class 10, 12 Results 2025
सिरसा में बैंक के अंदर लगी आग, आग लगने से फर्नीचर व अन्य सामान जलकर राख