बलरामपुर, 27 अक्टूबर (हि.स.)। छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग का रामानुजगंज शहर हर साल छठ महापर्व के अवसर पर श्रद्धा, आस्था और एकता की मिसाल पेश करता है। यहां बहने वाली जीवनदायिनी कन्हर नदी केवल जल का स्रोत नहीं, बल्कि लोक आस्था की प्रतीक बन चुकी है। जब सूर्य उपासना का पर्व छठ आता है, तो कन्हर तट एक अलौकिक दृश्य में बदल जाता है, जहां न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पड़ोसी राज्य झारखंड से भी हजारों श्रद्धालु आकर इस पर्व को एक साथ मनाते हैं।
छठ महापर्व सूर्यदेव और छठी मैया की पूजा का पर्व है, जो प्रकृति, शुद्धता और आत्मसंयम का प्रतीक माना जाता है। चार दिनों तक चलने वाला यह पर्व नहाय खाय, खरना, संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य रामानुजगंज की पहचान बन गया है। छठ के दूसरे दिन से ही कन्हर नदी के घाटों पर भारी चहल-पहल देखी जाती है। महिलाएं मिट्टी के दीपों से घाटों को सजाती हैं, बच्चे टोकरी में फल और ठेकुआ लेकर दौड़ते दिखाई देते हैं, जबकि पुरुष नदी की साफ-सफाई में जुटे रहते हैं।
रामानुजगंज निवासी सविता देवी कहती हैं कि हमारे यहां छठ सिर्फ पूजा नहीं, बल्कि जीवन का उत्सव है। कन्हर तट पर झारखंड और छत्तीसगढ़ के लोग मिलकर पूजा करते हैं, तो लगता है जैसे दो राज्य नहीं, एक ही परिवार एकत्र हुआ हो।
कन्हर तट पर सजता ‘आस्था का मेला’
छठ के दिन कन्हर नदी का नजारा मनमोहक होता है। सूर्यास्त के समय जब महिलाएं नारंगी और पीले वस्त्रों में सजीं, सिर पर सूप लिए जल में खड़ी होती हैं, तो पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठता है। घाटों पर लोकगीतों की गूंज, ढोल-नगाड़ों की थाप और दीपों की लौ मिलकर एक दिव्य दृश्य रचते हैं।
आज शाम को कन्हर नदी के घाटों पर श्रद्धालु व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगे। इस दौरान हजारों दीपकों की रोशनी नदी के जल पर झिलमिलाएगी और पूरा तट सुनहरी आभा से नहाया हुआ दिखाई देगा। महिलाएं पारंपरिक गीत कांच ही बांस के बहंगिया, उग हो सूरज देव गाती हुई सूर्यदेव से परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करेंगी।
कन्हर तट पर लगभग 10 से अधिक प्रमुख घाट बनाए गए हैं, जिनमें मुख्य हैं शिव मंदिर घाट, महामाया मंदिर घाट, राम मंदिर घाट। इन घाटों की साफ-सफाई और प्रकाश व्यवस्था के लिए नगर पालिका की टीम और स्थानीय युवा स्वयंसेवक लगातार काम करते हैं।
नगर के समाजसेवी रमेश गुप्ता बताते हैं कि, छठ के मौके पर कन्हर तट लगभग 15 से 20 हजार लोग जुटते हैं। प्रशासन ने रोशनी, सुरक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं की अच्छी व्यवस्था की है। यह देखकर खुशी होती है कि हर साल श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ रही है।
झारखंड से भी उमड़ता सैलाब
रामानुजगंज की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि यह झारखंड की सीमा से लगा हुआ है। इसी कारण छठ के समय झारखंड के गढवा के आस पास के क्षेत्रों से भी सैकड़ों परिवार कन्हर तट पर पहुंचते हैं। दोनों राज्यों की परंपराएं मिलकर इस पर्व को और भव्य बनाती हैं। झारखंड की महिलाएं जहां पारंपरिक साड़ी और महावर में सजी दिखाई देती हैं, वहीं छत्तीसगढ़ की महिलाएं चेकदार लुगड़ा पहनकर लोकगीत गाती हैं। यह दृश्य भारत की एकता और विविधता का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत करता है।
झारखंड से आई श्रद्धालु रीता देवी कहती हैं कि, हम हर साल यहां आते हैं क्योंकि कन्हर नदी की शुद्धता और यहां का माहौल बहुत पवित्र लगता है। यहां के लोग बहुत सहयोगी हैं, लगता नहीं कि हम किसी दूसरे राज्य में आए हैं।
लोकगीतों की गूंज और सांस्कृतिक कार्यक्रम
छठ के दौरान शाम को कन्हर नदी तट पर लोक कलाकारों द्वारा भक्ति गीत और नाटक का आयोजन किया जाता है। छठी मइया से मांगले निरोग काया जैसे गीतों की धुनों पर पूरा घाट झूम उठता है। स्थानीय स्कूलों और सामाजिक संस्थाओं द्वारा रंगोली प्रतियोगिता, दीप सज्जा और सांस्कृतिक नृत्य भी आयोजित किए जाते हैं। इन आयोजनों से न केवल श्रद्धालु बल्कि छोटे बच्चे भी उत्सव में भागीदारी महसूस करते हैं।
स्थानीय कलाकार संतोष सिंह बताते हैं कि, हमारा उद्देश्य है कि छठ पूजा केवल धार्मिक आयोजन न रहे, बल्कि हमारी लोक संस्कृति का प्रदर्शन भी बने। यहां आने वाले सैलानी हमारी परंपरा को देखकर आश्चर्यचकित रह जाते हैं।
प्रशासन की तैयारी और सुरक्षा व्यवस्था
रामानुजगंज प्रशासन द्वारा छठ पर्व को शांतिपूर्ण और सुरक्षित बनाने के लिए हर साल विशेष व्यवस्था की जाती है। घाटों पर अस्थायी नियंत्रण कक्ष, प्राथमिक उपचार केंद्र, पुलिस चौकियां और महिला सुरक्षा टीम तैनात रहती हैं।
नगर पालिका अधिकारी सुधीर कुमार ने बताया कि, हमने इस बार 24 घंटे बिजली की आपूर्ति, घाटों पर एलईडी लाइट, पीने के पानी की टंकियां की व्यवस्था की है। हमारा लक्ष्य है कि श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के आस्था के साथ पूजा कर सकें।
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिला सहारा
छठ पर्व के दौरान रामानुजगंज बाजार में रौनक देखने लायक होती है। फल, पूजा सामग्री, बांस की टोकरी, सूप, दीपक और कपड़ों की दुकानों पर भीड़ लगी रहती है। यह समय स्थानीय व्यापारियों के लिए भी आर्थिक संबल लेकर आता है।
बाजार के दुकानदार मनीष अग्रवाल कहते हैं कि, छठ का मौसम हमारे लिए त्योहार की तरह होता है। बिक्री तीन गुना बढ़ जाती है। लोग झारखंड से भी खरीदारी करने आते हैं, जिससे व्यापार को नई ऊर्जा मिलती है।
छठ की ऊर्जा और एकता का संदेश
कन्हर नदी का तट आज एक ऐसी जगह बन गया है, जहां आस्था, परंपरा और भाईचारे की धारा एक साथ बहती है। सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद जब श्रद्धालु एक-दूसरे को प्रसाद बांटते हैं, तो वह केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि मानवीय एकता का प्रतीक होता है।
छत्तीसगढ़ और झारखंड की सीमाओं से परे जाकर यह पर्व बताता है कि आस्था किसी सीमा में नहीं बंधती। कनहर नदी के तट पर हर वर्ष उमड़ने वाला जनसैलाब इस बात का प्रमाण है कि जब श्रद्धा और संस्कृति मिलती हैं, तो एक साधारण नदी भी तीर्थ बन जाती है।
—————
हिन्दुस्थान समाचार / विष्णु पांडेय
The post लोक आस्था का महासंगम : रामानुजगंज की कन्हर नदी पर झूम उठा छठ महापर्व appeared first on cliQ India Hindi.
You may also like

Bihar Election 2025: लंबे अंतराल के बाद राहुल गांधी बिहार का दौरा करेंगे, लोगों को 'हाइड्रोजन बम' का इंतजार

7.67 ग्राम हेरोइन के साथ दो नशा तस्कर गिरफ्तार

चक्रवात मोंथा आंध्र प्रदेश के तट से टकराया, आधी रात तक हाई अलर्ट

दरवाजा तोड़कर फ्लैट में घुसे सोसायटी के लोग, भाई-बहन को बेरहमी से पीटा, लखनऊ में गार्ड से विवाद पर बवंडर

कोरबा : नशीली टैबलेट के साथ चार युवक गिरफ्तार, जेल दाखिल




