पति-पत्नी का संबंध मजबूत होता है, लेकिन कुछ मामलों में यह नाजुक भी हो सकता है। छोटी-छोटी बातें कभी-कभी इतनी बढ़ जाती हैं कि दांपत्य जीवन में दरार आ जाती है। इनमें से एक आम समस्या है खर्राटे लेना। कई पुरुष सोते समय जोर से खर्राटे लेते हैं, जो कि भारत में तलाक का एक कारण बन रहा है। इसे 'स्लीप डिवॉर्स' के नाम से जाना जाता है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश की एक महिला ने अपने पति के खर्राटों के कारण तलाक की अर्जी दी। उसकी नींद खर्राटों से प्रभावित हो रही थी, जिससे उसे ऐसा महसूस हुआ कि वह धोखे का शिकार हो रही है। इसी तरह के कई मामले विश्वभर में सामने आ रहे हैं। अमेरिका में, पिछले कुछ वर्षों में, कपल्स के अलग-अलग कमरों में सोने की प्रवृत्ति बढ़ी है। एक सर्वेक्षण के अनुसार, अमेरिका में 20 प्रतिशत कपल्स अलग-अलग कमरों में सोते हैं, और इसका मुख्य कारण खर्राटे लेना है।
खर्राटे लेने के कारण क्या हैं?
खर्राटे लेना कोई बीमारी नहीं है, और इसे नियंत्रित किया जा सकता है। जब हम सोते समय सांस लेते हैं, तो हमारे सिर और गर्दन के मुलायम ऊतकों में कंपन के कारण खर्राटे की आवाज आती है।
खर्राटे से जुड़ी अन्य समस्याएं
अगर खर्राटे पर नियंत्रण नहीं पाया गया, तो इससे कई अन्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे:
*दोपहर में नींद आना
*निराशा
*गुस्सा आना
*ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई
*उच्च रक्तचाप
*स्ट्रोक का खतरा
*दुर्घटनाओं का जोखिम जब गाड़ी चला रहे हों।
खर्राटे को रोकने के उपाय
पहले यह समझें कि खर्राटे क्यों आते हैं। इसके लिए आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं। इसके अलावा, कुछ उपाय भी आजमाए जा सकते हैं।
*सिगरेट और शराब से दूर रहें
*वजन को नियंत्रित करें
*अगर आप दांतों का नकली सेट लगाते हैं, तो उसे सोने से पहले निकाल दें
*बाईं करवट सोएं
*अगर सांस की नली में कोई समस्या है, तो डॉक्टर से संपर्क करें।
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