कई लोग अपना शनि अच्छा करने के लिये शनिवार के दिन शनि मंदिर जाते हैं, और शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने हैं। शनिदेव को शनिवार के दिन सरसों का तेल चढ़ाना काफी फलदायी माना जाता है। इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और वैज्ञानिक कारण दोनों ही हैं। शनिदेव को हिन्दू धर्म में शनिचर का देवता माना गया है। शनिदेव को सांटनिश्चर भी कहा जाता है, जिसका हिंदी में अर्थ होता है, ‘सज्जनों का नेता’। शनिदेव की पूजा करना शनिवार के दिन ही खास महत्व रखता है और इस दिन पूजा करने से विशेष रूप से शुभ फल प्राप्त होता है। शनिवार को उनकी पूजा और उन्हें निवेदन करने से भक्तों को उनके शुभाशीष की प्राप्ति होती है। शनिदेव को नीले रंग के वस्त्र पहनाये जाते हैं, और उनका वाहन भी काले घोड़े पर होता है। उनके एक हाथ में एक शस्त्र होता है जिसे शिकंजा भी कहा जाता है।
शनिदेव की कथाओं में उनकी उत्पत्ति और उनके शापों का वर्णन अक्सर होता है। उनके शाप से बहुत ही भयानक परिणाम देखने को मिलते हैं, लेकिन अगर शनिदेव की कृपा हो जाये तो मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। शनिदेव की पूजा के द्वारा भक्त उनके क्रोध को शांत करने का प्रयास करते हैं, और उनसे शुभ फल की प्राप्ति की कामना करते हैं। इसके अलावा, शनिदेव के मंत्रों का जाप भी उनकी कृपा प्राप्ति करने में सहायक होता है। शनिदेव को हमेशा सम्मान और भक्ति के साथ याद किया जाता है, जिससे उनकी कृपा हमेशा भक्तों पर बनी रहे।
पौराणिक कारण :हनुमान जी और शनिदेव की कथा : एक पुरानी कथा के अनुसार एक बार जब युद्ध में रावण के पुत्र मेघनाथ ने शनिदेव को पराजित करके उनको घायल कर दिया था। तब हनुमानजी ने युद्ध रोककर शनिदेव की पीड़ा को कम करने के लिए उनके पूरे शरीर पर सरसों का तेल लगाया था। इससे शनिदेव को दर्द में आराम मिला था और वे शीघ्र ही स्वस्थ हो गए थे। तभी से शनिदेव को सरसों का तेल अति प्रिय माना गया है। तभी से, शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने की परंपरा शुरू हुई. शनिदेव का रंग काला माना जाता है. सरसों का तेल भी काले रंग का होता है इसलिए, शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाया जाता है।
वैज्ञानिक कारण :सरसों के तेल के गुण: सरसों के तेल में कई औषधीय गुण होते हैं. यह रक्त संचार को बेहतर बनाता है, जोड़ों के दर्द से राहत देता है, और त्वचा के लिए फायदेमंद होता है। शनिदेव को ‘न्याय के देवता’ के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि सरसों का तेल चढ़ाने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्टों को दूर करते हैं।
शनिदेव को सरसों का तेल कैसे चढ़ाएं :शनिवार के दिन स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें। एक दीपक में सरसों का तेल भरकर जलाएं. दीपक को शनिदेव की प्रतिमा के समक्ष रखें. शनिदेव को ॐ शनिदेवाय नमः मंत्र का जाप करते हुए सरसों का तेल चढ़ाएं। शनिदेव को नीले रंग के फूल, काले तिल और उड़द की दाल भी अर्पित करें। शनिदेव की आरती गाएं और उनके सामने अपनी मनोकामना कहें।
शनिदेव पर शनिवार को तेल चढ़ाने से उनकी मूर्ति चमकदार रहती है। सरसों का तेल जलाने से वातावरण भी शुद्ध होता है, और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। शनिदेव को सरसों का तेल चढ़ाने के पीछे पौराणिक और वैज्ञानिक दोनों कारण हैं। यह माना जाता है कि इससे शनिदेव प्रसन्न होते हैं, और भक्तों को कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं।
You may also like
Aaj ka Rashifal 12 August 2025 : आज का राशिफल ग्रहों का बदलाव ला सकता है बड़ा परिवर्तन, जानें आपकी राशि पर असर
'नकली खाद बेचने वालों के दिन लद गए' राजस्थान में किसानों को लेकर जानें क्या बोले शिवराज सिंह
भारतीय तेज़ गेंदबाज़ आकाश दीप पर नई कार खरीदते ही आई मुसीबत, परिवहन विभाग ने थमाया नोटिस
राजस्थान के राज्य स्तरीय स्वतंत्रता दिवस समारोह में बड़ी लापरवाही, बच्चों को बांटे गए अंडा युक्त केक, विवाद शुरू
Aaj ka Love Rashifal 12 August 2025 : प्यार में मिल सकता है सरप्राइज गिफ्ट या रोमांटिक डेट का मौका,देखें आज का लव राशिफल