नई दिल्ली। नई दिल्ली के बंगाली मार्केट के एक गेस्ट हाउस में 25 साल के सीए ने मुंह में हीलियम गैस भरकर खुदकुशी कर ली। मृतक का नाम धीरज कंसल है। वह हरियाणा के करनाल के रहने वाले थे। मृतक के पास सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है। उसमें लिखा है- मेरे लिए मौत जीवन का सबसे खूबसूरत हिस्सा है। प्लीज, मेरी मौत पर दुखी न हों। आत्महत्या करना बुरा नहीं है, क्योंकि… पुलिस ने होटल रूम से बरामद सिलेंडर और पाइप के साथ शव को पोस्टमार्टम के लिए लेडी हार्डिंग अस्पताल भेज दिया है।
हीलियम गैस से ऐसे की खुदकुशी
घटना 28 जुलाई की है। बाराखंभा थाना पुलिस को सूचना मिली थी कि एयरबीएनबी होस्ट में ठहरा गेस्ट चेकआउट नहीं कर रहा और कमरे से बदबू आ रही है। पुलिस, एफएसएल, दमकल विभाग की टीम मौके पर पहुंची और कमरे का दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुई तो बेड पर धीरज का शव पीठ के बल पड़ा था। उसके मुंह में हीलियम सिलेंडर से जुड़ी पाइप लगी हुई थी। चेहरे पर मास्क और उस पर प्लास्टिक लिपटी हुई थी, जिसे गर्दन के पास सील किया गया था। पास में सिलेंडर, मास्क और मीटर लगा उपकरण भी पड़ा था।
पिता की मौत और मां की दूसरी शादी
जांच में बाराखंभा थाना पुलिस को पता चला कि धीरज के पिता की 2003 में मौत हो गई थी। इसके बाद उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली। उसका कोई भाई-बहन नहीं है। वह एक पीजी में रह रहा था और पेशे से सीए था। जाहिर है अकेलेपन की वजह से धीरज अवसाद में चला गया और उसे जीने की कोई वजह नजर नहीं आती थी। परिजनों को घटना की जानकारी देने पर उसके उसके चाचा और चचेरे भाई आ दिल्ली पहुंच गए थे।
आत्महत्या करना बुरा नहीं है, क्योंकि…
पुलिस को रूम से एक सुसाइड नोट भी मिला, जिसमें धीरज ने लिखा कि अगर उसकी फेसबुक पोस्ट डिलीट हो जाए, तो यह सुसाइड नोट उसके विचार व्यक्त करने के लिए हैं। उसने सुसाइड नोट में लिखा, उसकी मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। मेरे लिए मौत जीवन का सबसे खूबसूरत हिस्सा है। प्लीज, मेरी मौत पर दुखी न हों। आत्महत्या करना बुरा नहीं है, क्योंकि मुझ पर किसी की जिम्मेदारी नहीं है और न ही कोई मुझसे इमोशनली जुड़ा है। यह एक चमत्कार ही है कि दादी की मौत के बाद मैं इतने साल तक जी गया। मैंने कई बार महादेव से पूछा कि मुझे जिंदा क्यों रख रहे हैं? लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। मैं महादेव से नाराज नहीं हूं।
मैं मूर्ख और बदतमीज था, लोग मुझे…
महादेव अपने प्यारे इंसान को अपने पास ही रखो। मुझे दोबारा इस धरती पर मत भेजना। मुझे महादेव ने बहुत कुछ दिया, जिसे मैंने मांगा नहीं था, लेकिन वो नहीं दिया जो मैंने मांगा था। मैं मूर्ख और बदतमीज था, लोग मुझसे अच्छा व्यवहार करते थे लेकिन मैं बदतमीजी से पेश आता था। मैं इतना कायर था कि हर बार घर से निकलते हुए भी मैं खौफ में रहता था। मेरी संपत्ति या जो भी पैसे हैं, उसे अनाथालय को दान कर दिया जाए। अगर मेरे शरीर का कोई अंग किसी के काम आ सके तो अंगदान कर दिया जाए। भूल जाएं, इस धरती पर धीरज नाम का कोई शख्स भी आया था।
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