New Delhi, 10 नवंबर . अगर आप जिम में पसीना बहाने और सख्त डायट फॉलो करने के बावजूद वजन कम नहीं कर पा रहे हैं, तो जवाब आपकी नींद में छिपा हो सकता है.
सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट पूजा मखीजा कहती हैं कि सबसे बड़ा बदलाव नींद से ही आएगा.
रिसर्च बताते हैं कि जल्दी सोना और पूरी नींद लेना इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाता है, भूख बढ़ाने वाले हार्मोन घ्रेलिन को कम करता है और शरीर में फैट बर्न की प्रक्रिया को तेज करता है.
अमेरिकी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ की नेशनल लाइब्रेरी ऑफ साइंस के अनुसार, आज के समय में इंसान बेहतर नींद से वंचित है. सौ साल पहले लोग औसतन नौ घंटे सोते थे, लेकिन अब हम सिर्फ साढ़े छह घंटे ही सो पाते हैं. करीब तीस प्रतिशत वयस्क रात में छह घंटे से भी कम नींद लेते हैं.
चौबीस घंटे चलने वाली अर्थव्यवस्था, लगातार काम, मोबाइल की रोशनी और टीवी ने नींद के नेचुरल सर्कल को पूरी तरह बिगाड़ दिया है. इससे शरीर का मेटाबॉलिज्म और हार्मोन संतुलन खराब हो जाता है. भूख बढ़ाने वाला हार्मोन घ्रेलिन बढ़ता है, जबकि भूख मिटाने वाला हार्मोन लेप्टिन कम हो जाता है. नतीजा लोग ज्यादा खाते हैं, खासकर मीठा और जंक फूड. इससे इंसुलिन सही से काम नहीं करता, ब्लड शुगर बढ़ता है और डायबिटीज का खतरा भी बढ़ जाता है.
मोटापा भी तेजी से फैल रहा है क्योंकि मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ जाता है और कैलोरी बर्न नहीं होती. हालांकि, खराब खानपान और कम व्यायाम भी जिम्मेदार हैं, लेकिन नींद की कमी इन बीमारियों को गंभीर बना देती है.
पूजा मखीजा के अनुसार, सात से आठ घंटे की गहरी नींद शरीर को रीसेट करती है, भूख को काबू में रखती है और मोटापा-मधुमेह से बचाती है. चौंकाने वाली बात यह है कि सिर्फ पांच से दस प्रतिशत लोग ही लंबे समय तक डायट और व्यायाम से वजन नियंत्रित रख पाते हैं. बाकी के लिए नींद ही असली कुंजी है.
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एमटी/एबीएम
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