नई दिल्ली, 15 अप्रैल . भारत और उज्बेकिस्तान की सेनाएं मंगलवार से पुणे स्थित विदेशी प्रशिक्षण नोड में एक महत्वपूर्ण सैन्य अभ्यास ‘डस्टलिक’ का हिस्सा बनने जा रही हैं. इसके तहत पहाड़ी क्षेत्र में आतंकवाद विरोधी अभियानों का अभ्यास किया जाएगा.
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह अभ्यास भारतीय सेना और उज्बेकिस्तान के बीच सैन्य संबंधों को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. इस संयुक्त अभ्यास के दौरान दोनों देशों की सेनाएं आतंकवाद विरोधी अभियानों के अपने तौर-तरीके और अनुभव एक-दूसरे के साथ साझा करेंगी.
अभ्यास ‘डस्टलिक’ का उद्देश्य दोनों सेनाओं के बीच सैन्य सहयोग तथा अंतर-संचालन बढ़ाना और भारत-उज्बेकिस्तान मैत्री संबंधों को मजबूत करना है. दोनों देशों के बीच संयुक्त सैन्य अभ्यास का यह छठा संस्करण है जो 28 अप्रैल तक जारी रहेगा. यह अभ्यास संयुक्त राष्ट्र के जनादेश के तहत पहाड़ी और अर्ध-शहरी इलाकों में आयोजित किया जाना है.
‘डस्टलिक’ में विभिन्न प्रकार के सामरिक अभ्यासों को शामिल किया जा रहा है. इसके तहत संयुक्त कमान पोस्ट बनाना, खुफिया और निगरानी केंद्र की स्थापना, लैंडिंग स्थल को सुरक्षित करना शामिल है. एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन को अंजाम देते हुए जटिल स्थान पर छोटी सैन्य टीमों का प्रवेश और लोगों को सुरक्षित निकालना भी इस अभ्यास का हिस्सा है. दोनों सेनाएं विशेष हेलीबोर्न ऑपरेशन, घेराबंदी, तलाशी अभियान और अवैध तथा आतंकवादी ठिकानों को ध्वस्त करने का अभ्यास करेंगी.
पिछले साल ‘डस्टलिक’ का आयोजन उज्बेकिस्तान के तरमेज जिले में किया गया था. यह स्थान उज्बेकिस्तान के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है जिसकी सीमा अफगानिस्तान और तुर्कमेनिस्तान से लगती है. तरमेज जिला मुख्य रूप से अस्थाना प्रांत में स्थित है. यह क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण है, जो प्राचीन रेशम मार्ग का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था.
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जीसीबी/एकेजे
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