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'बसपा को कमजोर करने के लिए रची गई साजिश', मायावती ने लगाए बड़े आरोप

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Lucknow, 9 अक्टूबर . बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने Thursday को पार्टी के संस्थापक कांशीराम के ‘परिनिर्वाण दिवस’ पर Lucknow स्थित कांशीराम स्मारक स्थल पर आयोजित महारैली को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने विरोधी दलों पर तीखा हमला बोला.

रैली को संबोधित करते हुए बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि उनकी पार्टी को केंद्र की सत्ता तक पहुंचने से रोकने के लिए कांग्रेस, भाजपा और सपा जैसे जातिवादी दलों ने मिलकर षड्यंत्र रचा. इन दलों ने न सिर्फ Political रूप से बसपा को कमजोर करने की कोशिश की, बल्कि दलित वोटों को बांटने के लिए बिकाऊ लोगों को खरीदकर साजिश की.

मायावती ने कहा कि साल 2007 में जब उत्तर प्रदेश में बसपा की पूर्ण बहुमत की Government बनी, तब इन जातिवादी पार्टियों के चेहरे बेनकाब हो गए. उन्होंने कहा, “कांग्रेस, भाजपा और सपा ने मिलकर षड्यंत्र किया कि बसपा को केंद्र की सत्ता तक न पहुंचने दिया जाए. रही-सही कसर ईवीएम ने पूरी कर दी.”

बसपा सुप्रीमो मायावती ने आरोप लगाया कि इन दलों ने बैलेट पेपर की जगह ईवीएम का इस्तेमाल कर लोकतंत्र के साथ खिलवाड़ किया, जबकि चुनाव बैलेट पेपर से भी शांति और पारदर्शिता के साथ कराए जा सकते हैं.

बसपा प्रमुख ने अपने संबोधन में कांग्रेस पर सबसे पहले निशाना साधा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने आपातकाल लगाकर देश के संविधान और बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर के सिद्धांतों का अपमान किया था. मायावती ने तंज कसते हुए कहा, “कांग्रेस ने कभी भी डॉ. आंबेडकर और दलित समाज का सच्चा सम्मान नहीं किया. आज वही कांग्रेस नेता संविधान की कॉपी लेकर नाटकबाजी कर रहे हैं.”

उन्होंने सपा पर भी तीखा हमला बोला और कहा कि सपा के शासन में दलितों और पिछड़ों का उत्पीड़न हुआ. मायावती बोलीं, “सपा Government में कानून व्यवस्था चरमरा गई थी. गुंडों और अराजक तत्वों को संरक्षण दिया गया. प्रदेश में भय और अराजकता का माहौल था.”

उत्तर प्रदेश की पूर्व Chief Minister मायावती ने सवाल उठाते हुए कहा, “अभी मैंने सुना कि अखिलेश यादव कह रहे थे कि अगर उनकी Government बनी तो कांशीराम जी के नाम पर स्मारक बनाएंगे, लेकिन जब वे सत्ता में थे तो ऐसा क्यों नहीं किया? जब सत्ता से बाहर होते हैं, तभी इन्हें बसपा के नेता और दलित समाज के संतों की याद आती है. सत्ता में आते ही सब भूल जाते हैं.”

मायावती ने कहा कि बसपा की Government में जिन स्मारकों और संस्थानों का नाम कांशीराम जी के नाम पर रखा गया था, उन्हें सपा Government ने बदलने का काम किया. उन्होंने आगे कहा कि डॉ. आंबेडकर का सपना था कि दलितों और पिछड़ों को एकजुट होकर सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथ में लेनी चाहिए.

बसपा सुप्रीमो ने आगे कहा, “डॉ. आंबेडकर का यह सपना मान्यवर कांशीराम जी के जीवनकाल में तो पूरा नहीं हो सका, लेकिन हमने इसे पूरा किया. हमने तीन बार गठबंधन Government और एक बार पूर्ण बहुमत की Government बनाकर इतिहास रचा. हमने दलितों, पिछड़ों और समानतावादी विचारधारा रखने वाले लोगों को साथ लेकर ‘सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय’ की नीति पर काम किया.”

उन्होंने फिर से आरोप लगाया कि जब बसपा Government मजबूत होती गई, तब कांग्रेस और भाजपा की केंद्र Governmentों ने सीबीआई और आयकर विभाग जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल कर उनकी छवि को धूमिल करने की कोशिश की. हम पर झूठे केस लगाए गए, ताकि बसपा का मनोबल टूट जाए. लेकिन हमने कभी हार नहीं मानी और न्याय पाने के लिए अदालतों का दरवाजा खटखटाया.

इस मौके पर मायावती ने कांशीराम जी को श्रद्धांजलि अर्पित की और बड़ी संख्या में पहुंचे कार्यकर्ताओं का आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि बसपा महज एक Political दल नहीं बल्कि एक आंदोलन है, जो समाज के दबे-कुचले वर्गों को सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए सतत संघर्षरत है.

उन्होंने कहा कि हमारे विरोधी चाहे कितनी भी साजिशें रच लें, बसपा का आंदोलन न कभी झुका है, न झुकेगा.

रैली के लिए रमाबाई अंबेडकर मैदान में बसपा कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के ठहरने की व्यवस्था की गई. रैली में प्रदेशभर से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पहुंचे. बसपा संगठन ने करीब पांच लाख लोगों के जुटान का दावा किया है.

सुरक्षा के लिए कई हजार से अधिक Policeकर्मी तैनात किए गए, जबकि ट्रैफिक Police ने वैकल्पिक मार्ग भी निर्धारित किए. यह रैली सिर्फ श्रद्धांजलि कार्यक्रम नहीं, बल्कि Political शक्ति प्रदर्शन के रूप में भी देखी जा रही है.

विकेटी/डीसीएच

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