ढाका, 18 अगस्त . बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के बेटे सजीब वाजेद ने मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार पर देश में हिंसा फैलाने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि इस सरकार ने “शोक को अपराध बना दिया है.” सजीब वाजेद ने आरोप लगाया कि 1971 के मुक्ति संग्राम के बलिदान को दर्शाती दीवारों (भित्ति चित्र) को तोड़ा गया, लोगों को दुआ पढ़ने से रोका गया, और 15 अगस्त को बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की पुण्यतिथि पर शोक मनाने वाले कई बांग्लादेशियों को गिरफ्तार किया गया.
बांग्लादेश में ‘राष्ट्रपिता’ माने जाने वाले शेख मुजीबुर रहमान की 15 अगस्त 1975 को उनके परिवार के कई सदस्यों के साथ बेरहमी से हत्या कर दी गई थी.
यूनुस सरकार ने 15 अगस्त को ‘राष्ट्रीय शोक दिवस’ मनाने पर रोक लगा दी थी.
बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पूर्व आईसीटी सलाहकार वाजेद ने कहा कि 15 अगस्त से एक दिन पहले यूनुस के प्रेस सचिव ने शोक कार्यक्रम आयोजित करने को लेकर नागरिकों को खुलेआम धमकी दी थी.
हालांकि, लोगों ने चेतावनी को नजरअंदाज किया. लेकिन, वाजेद ने आरोप लगाया कि यूनुस के समर्थक पुलिस बलों ने गुस्से में आकर हमला किया. उन्होंने कहा कि उसी रात कई शिक्षकों, इमामों, पेशेवरों और सामुदायिक नेताओं को जेल में डाल दिया गया. वाजेद ने कहा कि ये लोग बेगुनाह हैं और उनका सिर्फ इतना ही “अपराध” था कि वे यादों और सच्चाई के प्रति वफादार थे.
वाजेद ने कहा कि यूनुस की “कठोर नियंत्रण” के चलते आम लोग, जिनमें शिक्षक, छात्र, धर्म गुरु, महिलाएं और यहां तक कि रिक्शा चालक भी शामिल हैं, अब असहाय पीड़ित बन गए हैं, जो उसके बदले की भावना के दबाव में पिस रहे हैं.
उन्होंने कहा कि जो दिन कभी एकता और शोक का प्रतीक था, वह अब डर और हिंसा के माहौल में बदल गया है.
वाजेद ने एक्स पर लिखा, “पूरे बांग्लादेश में शोक जताना अब एक अपराध बना दिया गया है. 15 अगस्त को, जिस दिन देश के संस्थापक की हत्या हुई थी, उस दिन उन्हें याद करने की हिम्मत करने वाले लोगों को निशाना बनाया गया, चुप करा दिया गया और अंधेरे में धकेल दिया गया.”
उन्होंने याद दिलाया कि शेख मुजीबुर रहमान की पुण्यतिथि पर पिछले कई दशकों से दुआएं पढ़ी जाती हैं. मस्जिदों में सजदे में हाथ उठते थे और लोग मिलकर जरूरतमंदों को खाना खिलाते थे.
उन्होंने बताया कि मुक्ति संग्राम से जुड़े भित्तिचित्र आने वाली पीढ़ियों को यह याद दिलाते हैं कि एक स्वतंत्र देश बनाने के लिए कितना कुछ बलिदान किया गया था. लेकिन दुख की बात है कि यूनुस के शासन में ये पवित्र परंपराएं लोगों से छीन ली गई हैं.
इस पोस्ट में उन्होंने लिखा कि युनूस का एकमात्र ध्येय बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के इतिहास को मिटाना है. वो खुद को बांग्लादेश के ‘मुक्तिदाता’ के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं.
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एसएचके/केआर
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