New Delhi, 20 अगस्त . प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025 पर Wednesday को इंडस्ट्री लीडर्स और लीगल एक्सपर्ट्स ने कहा कि इससे देश में ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा मिलेगा. इसके साथ फ्रॉड में कमी आएगी.
एक्सपर्ट्स ने कहा कि यह कानून न सिर्फ ई-स्पोर्ट्स को मान्यता देता है, बल्कि एडिक्शन, वित्तीय सुरक्षा, फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे सामाजिक मुद्दों को संबोधित करता है.
अर्थशास्त्र लीगल के संस्थापक सदस्य गौरव सहाय ने कहा कि यह विधेयक व्यापक है क्योंकि यह सर्विस प्रोवाइडर्स और सुविधाएं देने वालों से लेकर ऐसे खेलों को बढ़ावा देने वालों तक, सभी पर लागू होता है.
उन्होंने आगे कहा कि यह कानून सभी प्रकार के रियल-मनी खेलों पर प्रतिबंध लगाकर धोखाधड़ी, मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद की फंडिंग को रोकने के लिए प्रतिबद्ध है.
नए कानून में वित्तीय संस्थाओं, भुगतान मध्यस्थों और विज्ञापन प्लेटफार्म्स को भी ऐसे खेलों का समर्थन करने से रोक दिया गया है.
सहाय ने बार-बार अपराध करने को “एग्गरेवेटेड लायबिलिटी” में शामिल करने पर भी जोर दिया, जिसमें कारावास और भारी जुर्माने सहित कठोर दंड का प्रावधान है.
विधेयक ई-स्पोर्ट्स को एक अलग खेल के रूप में मान्यता प्रदान करता है और गैरकानूनी प्लेटफार्मों के रेगुलेशन, क्लासिफिकेशन, इन्वेस्टिगेशन और ब्लॉकिंग की निगरानी के लिए एक राष्ट्रीय ई-स्पोर्ट्स प्राधिकरण और एक राष्ट्रीय गेमिंग प्राधिकरण की स्थापना का आह्वान करता है.
गेमिंग क्षेत्र के उद्योग जगत के लीडर्स ने ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने के सरकार के इरादे का स्वागत किया. नोडविन गेमिंग के सह-संस्थापक और प्रबंध निदेशक अक्षत राठी ने कहा कि यह कदम उत्साहजनक है, लेकिन उन्होंने ई-स्पोर्ट्स, सोशल गेम्स और रियल-मनी गेमिंग के बीच अंतर करने के लिए स्पष्ट परिभाषाओं की आवश्यकता पर बल दिया.
उन्होंने कहा, “शब्दावली में अस्पष्टता अकसर नियामकों, खिलाड़ियों और निवेशकों के लिए भ्रम पैदा करती है. स्पष्ट परिभाषाएं एक स्थिर वातावरण तैयार करेंगी जो निवेशकों के विश्वास और सतत विकास को बढ़ावा देगी.”
एस8यूएल के सह-संस्थापक और सीईओ अनिमेष अग्रवाल ने इस विधेयक को भारतीय ई-स्पोर्ट्स के लिए एक “ऐतिहासिक मोड़” बताया.
उन्होंने कहा कि कौशल-आधारित गेमिंग और सट्टेबाजी के बीच एक स्पष्ट रेखा खींचकर, यह कानून संरचित विकास के लिए जगह बनाते हुए इकोसिस्टम की अखंडता की रक्षा करता है.
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एबीएस/
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