मुंबई, 8 मई . पहलगाम आतंकवादी हमले का बदला लेने के लिए भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया है. इस ऑपरेशन के तहत पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में नौ आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया गया है.
केंद्रीय आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने इस ऑपरेशन में शामिल सभी जवानों को बधाई दी और उनके प्रति आभार व्यक्त किया. उन्होंने कहा कि यह सफलता देशवासियों की एकजुटता, राजनीतिक इच्छाशक्ति और सेना की त्वरित कार्रवाई का परिणाम है.
उन्होंने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता देशवासियों की एकजुटता, राजनीतिक इच्छाशक्ति और सेना द्वारा की गई जबरदस्त कार्रवाई का परिणाम है. पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में भारतीय पर्यटकों को निशाना बनाया गया था. उन्होंने पर्यटकों से उनका धर्म पूछा और 26 निर्दोष लोगों की निर्मम हत्या कर दी. इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया. हमले के बाद पर्यटकों में भय व्याप्त हो गया था, लेकिन शिवसेना प्रमुख एकनाथ शिंदे स्वयं जम्मू-कश्मीर पहुंचे और प्रभावित लोगों का हौसला बढ़ाया. पूरे देश में इस हमले का बदला लेने की भावना प्रबल थी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवादियों को मुंहतोड़ जवाब देने और उनकी कमर तोड़ने का वादा किया था, जिसे “ऑपरेशन सिंदूर” के माध्यम से पूरा किया गया.
उन्होंने कहा कि “ऑपरेशन सिंदूर” में भारतीय थल सेना, वायु सेना और नौसेना ने संयुक्त रूप से हिस्सा लिया. इस ऑपरेशन ने न केवल आतंकवादी ठिकानों को नष्ट किया, बल्कि यह भी दिखाया कि भारत अपनी सीमाओं से परे जाकर आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम है. इस ऑपरेशन की सफलता के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सशक्त नेतृत्व और देशवासियों की एकता है. आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए ऐसे अभियान भविष्य में भी जारी रहेंगे. यह ऑपरेशन भारतीय सेना की ताकत और देश की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक है. “ऑपरेशन सिंदूर” ने न केवल पहलगाम हमले का बदला लिया, बल्कि विश्व पटल पर भारत की मजबूत इच्छाशक्ति और सैन्य क्षमता को भी प्रदर्शित किया है.
महाराष्ट्र विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष अंबादास दानवे ने पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में भारतीय सेना की ओर से किए गए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की खूब प्रशंसा की. दानवे ने कहा, “पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में आतंकियों ने पुरुषों को चुन-चुनकर मारा, जबकि महिलाओं को अलग रखा. इस हमले में 26 पुरुषों की मौत हुई, और उनके सामने उनकी पत्नियों का सिंदूर मिट गया. यह एक दुखद और हृदयविदारक घटना थी. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का नाम भावनाओं से खिलवाड़ नहीं है, बल्कि यह उन बहनों के दर्द को दर्शाता है, जिनके सुहाग को आतंकियों ने छीन लिया. इस नामकरण के पीछे भारतीय सेना की मंशा किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने की नहीं थी, बल्कि यह पीड़ित परिवारों के प्रति सम्मान और प्रतिशोध की भावना को दर्शाता है.”
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एकेएस/एकेजे
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