New Delhi, 11 सितंबर . अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) के एक प्रतिनिधिमंडल ने Thursday को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा से मुलाकात की.
इस दौरान छात्रों ने शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र की चुनौतियों को स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष रखा. स्वास्थ्य मंत्री को एक विस्तृत ज्ञापन सौंपा. इसमें आत्मनिर्भर और स्वस्थ भारत 2047 के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए आवश्यक सुधारों पर विशेष बल दिया गया.
अभाविप के मुताबिक, उन्होंने देशभर के मेडिकल एवं डेंटल विद्यार्थियों से संवाद करते हुए शिक्षा और हेल्थ क्षेत्र की चुनौतियों को स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष रखा है. अभाविप ने स्वास्थ्य मंत्री से मांग की है कि पीजी रेजिडेंट्स एवं इंटर्न्स की कार्य अवधि नियमित की जाए और नवस्थापित एम्स और सरकारी कॉलेजों में रिक्त शिक्षकीय पदों को शीघ्र भरा जाए.
इसके अलावा, पारदर्शिता सुनिश्चित करने हेतु नीट-पीजी-एमडीएस के प्रश्न-पत्र और उत्तर कुंजी परीक्षा उपरांत सार्वजनिक की जाए.
छात्रों ने ‘वन नेशन, वन स्टाइपेंड’ नीति लागू कर पूरे देश में स्टाइपेंड की असमानताओं को समाप्त करने की मांग भी उठाई.
अभाविप के प्रतिनिधि मंडल ने सुझाव दिया है कि नीट-पीजी वर्ष में दो बार आयोजित की जाए और राज्यों में अंतिम वर्ष की पढ़ाई व इंटर्नशिप को समन्वित किया जाए.
मेडिकल एवं डेंटल कॉलेजों में गुणवत्ता और शोध को सुनिश्चित करने हेतु एनएएसी जैसी ग्रेडिंग प्रणाली लागू करने की मांग को स्वास्थ्य मंत्री के समक्ष रखा गया. साथ ही, अभाविप ने एनएमसी में छात्रों का प्रतिनिधित्व अनिवार्य करने, छात्रों की आत्महत्याओं की गंभीर समस्या पर उच्च स्तरीय समिति गठित करने और पिछड़े क्षेत्रों में सरकारी डेंटल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने की मांग की है.
अभाविप के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. वीरेंद्र सिंह सोलंकी का कहना है कि उनका संगठन मानता है कि चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सुधार ही आत्मनिर्भर और स्वस्थ भारत की नींव हैं. नीति-निर्माण में मेडिकल छात्रों की आवाज सुनी जानी चाहिए और उनके हितों की रक्षा पारदर्शी शैक्षणिक संरचनाओं व स्टाइपेंड व्यवस्था से की जानी चाहिए.
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जीसीबी/एसके
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