Kanpur, 29 अक्टूबर . आईआईटी Kanpur ने दिल्ली के लिए Wednesday को निर्धारित क्लाउड सीडिंग गतिविधि को रद्द कर दिया है. इसका मुख्य कारण बादलों में नमी की कमी है. संस्थान ने बताया कि यह तकनीक तभी काम करती है, जब वातावरण में सही मात्रा में नमी मौजूद हो.
28 अक्टूबर को किया गया परीक्षण पूरी तरह सफल नहीं रहा, क्योंकि नमी का स्तर महज 15 से 20 प्रतिशत ही था. इस वजह से बारिश नहीं हो पाई. फिर भी यह प्रयास बेकार नहीं गया. दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में लगाए गए निगरानी केंद्रों ने हवा में मौजूद कणों और नमी के स्तर में होने वाले बदलाव को लगातार रिकॉर्ड किया.
इन आंकड़ों से पता चला कि हवा में मौजूद खतरनाक सूक्ष्म कणों यानी पीएम 2.5 और पीएम 10 की मात्रा में 6 से 10 प्रतिशत तक की कमी दर्ज हुई है. यह दिखाता है कि कम नमी वाली स्थिति में भी क्लाउड सीडिंग हवा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में योगदान दे सकती है.
आईआईटी Kanpur के वैज्ञानिकों का मानना है कि ये नतीजे भविष्य की योजनाओं को मजबूत बनाएंगे. इससे उन्हें यह समझने में मदद मिलेगी कि किन मौसमी परिस्थितियों में यह तकनीक सबसे ज्यादा फायदा पहुंचा सकती है. ऐसे अनुभव आगे चलकर इस तकनीक को और प्रभावी ढंग से लागू करने की आधारशिला रखते हैं.
संस्थान ने स्पष्ट किया कि वह इस शोध को पूरी वैज्ञानिक ईमानदारी और अनुशासन के साथ आगे बढ़ा रहा है. इसका मुख्य उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पर्यावरणीय स्थिति को सुधारना है. क्लाउड सीडिंग एक ऐसी विधि है जिसमें बादलों में विशेष रसायनों का छिड़काव किया जाता है ताकि बारिश हो और प्रदूषण कम हो.
दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए Government ने आईआईटी Kanpur को यह जिम्मेदारी सौंपी है.
टीम लगातार मौसम पर नजर रख रही है और जैसे ही अनुकूल स्थिति बनेगी वैसे ही अगली गतिविधि शुरू की जाएगी. यह प्रयास दिल्ली की हवा को साफ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
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एसएचके/एबीएम
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