उज्जैन, 6 नवंबर . मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि पर Thursday सुबह महाकालेश्वर मंदिर में भक्तों का तांता लगा रहा. रात भर लाइन में खड़े श्रद्धालु भस्म आरती देखने के लिए लाइन पर खड़े थे. सुबह ठीक 4 बजे बाबा महाकाल जागृत हुए और भक्तों को अपना दिव्य रूप दिखाया.
इस बार भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का श्रृंगार अत्यंत अनोखा और दिव्य था. भक्तों को उनके दो मनमोहक स्वरूपों के एक साथ दर्शन हुए, जिससे मंदिर परिसर भक्तिमय हो उठा. सर्वप्रथम, बाबा महाकाल के मस्तक पर चंदन से बनी चंद्रमा की आकृति सुसज्जित की गई, जिसने उनके त्रिनेत्र स्वरूप को और भी अधिक आकर्षक बना दिया.
आरती का सबसे विशेष आकर्षण बाबा महाकाल का श्री गणेश स्वरूप में दर्शन देना था. उन्हें हाथी के समान सिर, बड़ी-बड़ी आंखें और गजेंद्र जैसे कान धारण कराए गए थे. यह अद्भुत और दुर्लभ दृश्य देखकर भक्तगण भाव-विभोर हो उठे.
इस अलौकिक श्रृंगार के साक्षी बने श्रद्धालुओं ने जयकारों की गूंज से पूरे मंदिर परिसर को गुंजायमान कर दिया. हर तरफ ‘जय श्री महाकाल’ और ‘जय श्री गणेश’ का घोष सुनाई दे रहा था, जो शिव और शक्तिपुत्र गणेश के एकाकार स्वरूप के प्रति गहरी आस्था को दर्शाता है.
बता दें कि बाबा महाकाल की भस्म आरती सुबह 4 बजे होती है और इसे महानिर्वाणी अखाड़े की तरफ से बाबा को अर्पित किया जाता है और भस्म आरती के बाद बाबा का श्रृंगार किया जाता है, जिसके बाद भक्त एक-एक करके दर्शन करने के लिए आते हैं. हर दिन बाबा का श्रृंगार अलग-अलग तरीके से किया जाता है, जिसके दर्शन के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं.
भस्म आरती की प्रक्रिया में पहले ज्योतिर्लिंग को वस्त्र से आच्छादित किया जाता है, फिर भस्म रमाई जाती है. इसके बाद भगवान को रजत मुकुट, त्रिपुंड, रुद्राक्ष, मुंडमाला और फूलों से सजाया जाता है. यह श्रृंगार प्रतिदिन अलग-अलग रूप में किया जाता है, जो भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र होता है. आज के ‘चंद्र-कमल’ श्रृंगार ने भक्तों का मन मोह लिया.
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एनएस/एएस
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