बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की रणनीति थोड़ी अलग नजर आ रही है। कुल 243 सीटों में से भाजपा इस बार 101 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन 6 ऐसे जिले हैं जहां पार्टी का कोई उम्मीदवार नहीं है। इन जिलों में मधेपुरा, खगड़िया, शेखपुरा, शिवहर, जहानाबाद और रोहतास शामिल हैं। इनमें से 3 जिलों में पहले चरण और बाकी 3 में दूसरे चरण का चुनाव होने वाला है।
साथ ही कुछ जिले ऐसे भी हैं, जहां भाजपा केवल एक-एक सीट पर ही चुनाव मैदान में उतरी है। इनमें सहरसा, लखीसराय, नालंदा, बक्सर, जमुई और नालंदा शामिल हैं। वहीं, कुछ जिलों में पार्टी की उपस्थिति काफी मजबूत है, जहां अधिकांश सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार हैं।
सीटों के हिसाब से देखें तो पश्चिम चंपारण जिले में भाजपा ने सबसे अधिक 8 उम्मीदवार उतारे हैं। इन सीटों में हरसिद्धि, पिपरा, कल्याणपुर, मोतिहारी, रक्सौल, मधुबन, चिरैया और ढाका शामिल हैं। इस जिले की कुल 12 सीटों में 8 पर पार्टी की मौजूदगी है।
पूर्वी चंपारण जिले की 9 में से 7 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार हैं। पटना जिले की 14 में 7 सीटें, दरभंगा की 6, मुजफ्फरपुर की 5, भोजपुर की 5 और मधुबनी की 5 सीटें भाजपा के खाते में आई हैं। इस तरह चंपारण का क्षेत्र भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राज्य में कुल उम्मीदवारों के आंकड़ों की बात करें तो जदयू और भाजपा 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं लोजपा (आर) के 29 और हम व रालोमो के 6-6 उम्मीदवार मैदान में हैं। हालांकि, मढ़ौरा सीट पर लोजपा (आर) के उम्मीदवार का नामांकन खारिज कर दिया गया है।
2020 के चुनाव के आंकड़ों की तुलना करें तो पिछली बार भी भाजपा के प्रत्याशी पांच जिलों में नहीं थे। इनमें शिवहर, खगड़िया, शेखपुरा, जहानाबाद और मधेपुरा शामिल थे। इस बार इन जिलों में एक नया जिला रोहतास भी जुड़ा है। 2020 में रोहतास जिले की डिहरी और काराकाट सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार उतरे थे, लेकिन दोनों सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इस बार पार्टी ने इन सीटों को सहयोगी दलों के लिए छोड़ दिया है।
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