उत्तराखंड के धराली में आपदा के 6 दिन बाद भी अपनों को लोग बेतहाशा ढूंढ रहे हैं। वहीं, धराली में खोज और बचाव का काम जारी है। अब तक 1308 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है। इस आपदा के बाद कुछ लोगों का पता लग पाया है तो कई लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं।
धराली का भयंकर मंजर अब भी डरा रहा है! वैज्ञानिकों की चेतावनी, बेतहाशा निर्माण से बढ़ा पहाड़ों में बादल फटने का खतरालापता लोगों के मिलने की आस परिजनों के दिल में अब भी है। इस आपदा में कई राज्यों के लोग लापता हुए हैं। वहीं बिहार के बेतिया जिले के 15 लोग धराली में लापता बताए जा रहे हैं। बादल फटने के बाद हुए हादसे में ये लोग लापता हो गए थे जिनका अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। वहीं इनमें से कई परिजन अब हिम्मत हार रहे हैं। इनमें से 4 लोगों की दाह संस्कार परिजनों ने पुतला बनाकर किया गया।
केदारनाथ से धराली तकः उत्तराखंड की अनसुनी चेतावनियां, बढ़ती आपदाएं और शून्य जवाबदेहीदरअसल, 5 अगस्त को उत्तराखंड के धराली में बादल फटने से भीषण हादसा हुआ। इस हादसे के चपेट में आए बिहार के बेतिया जिले के 15 लोग अब भी लापता हैं। हादसे के एक सप्ताह बाद भी उनका कोई भी सुराग नहीं लग पाया है। लापता मजदूरों में पश्चिम चंपारण के सिकटा प्रखंड के मंगलहिया और छपैनिया गांव के 12 और चनपटिया प्रखंड के तीन मजदूर शामिल हैं। सभी रोज़गार के लिए धराली गए थे।
उत्तराखंड में बढ़ती आपदा की घटनाएं प्रकृति का कोप या इंसान की नासमझी?धराली हादसे के बाद परिजन लगातार लापता लोगों से संपर्क करने की कोशिश करते रहे, लेकिन जब कोई खबर नहीं मिली तो कुछ परिजन खुद धराली पहुंच गए। वहां जाकर धराली के भयंकर मंजर देखने के बाद उन्होंने अपनी हिम्मत को खो दी। घर लौटकर उन्होंने बताया कि घटनास्थल का दृश्य बेहद भयावह है। वहां बचने की संभावना लगभग न के बराबर है।
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