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चिंता और तनाव दिल के लिए खतरनाक, जानिए कैसे

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मानसिक स्वास्थ्य और शारीरिक सेहत को अलग-अलग देखना अब बीते ज़माने की सोच है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान यह साफ कर चुका है कि डिप्रेशन (अवसाद) और एंग्जायटी (चिंता विकार) सिर्फ मानसिक समस्या नहीं, बल्कि हृदय रोगों (Heart Diseases) के बड़े कारक भी बनते जा रहे हैं।

हाल ही में हुए अंतरराष्ट्रीय शोधों और कार्डियोलॉजिस्ट्स की राय से स्पष्ट हुआ है कि जो लोग लंबे समय तक डिप्रेशन या एंग्जायटी का शिकार रहते हैं, उनमें दिल के दौरे (Heart Attack), हाई ब्लड प्रेशर, और कार्डियक अरेस्ट का खतरा दोगुना तक बढ़ सकता है।

डिप्रेशन और एंग्जायटी से दिल पर कैसे असर पड़ता है?
1. नर्वस सिस्टम पर प्रभाव

डिप्रेशन और एंग्जायटी शरीर के ऑटोनॉमिक नर्वस सिस्टम को प्रभावित करते हैं। इससे हार्ट रेट अनियमित हो सकता है, जिससे एरिद्मिया यानी धड़कन का असंतुलन बढ़ता है।

2. कॉर्टिसोल का अत्यधिक स्राव

तनाव के दौरान शरीर में कॉर्टिसोल और एड्रेनालिन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जो लंबे समय तक हाई BP और दिल पर दबाव का कारण बनते हैं।

3. ब्लड वेसल्स पर प्रभाव

डिप्रेशन ब्लड वेसल्स की कार्यक्षमता को कमजोर करता है। इससे नसें सिकुड़ने लगती हैं और ब्लड फ्लो बाधित होता है, जो हृदय के लिए खतरनाक स्थिति है।

4. अनहेल्दी जीवनशैली की ओर झुकाव

मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोग अक्सर स्मोकिंग, अल्कोहल, ओवरईटिंग, और शारीरिक निष्क्रियता जैसी आदतों में उलझ जाते हैं, जो हृदय रोगों के जोखिम को और बढ़ा देती हैं।

विशेषज्ञों की राय

कार्डियोलॉजिस्ट कहते हैं:
“हमारे पास आने वाले दिल के मरीजों में अब 20% से अधिक ऐसे होते हैं जो पहले से किसी मानसिक तनाव या डिप्रेशन से जूझ रहे होते हैं। मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना अब दिल की बीमारी को न्योता देने जैसा है।”

क्या कहती है रिसर्च?

जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, जिन व्यक्तियों को क्लिनिकल डिप्रेशन है, उनमें दिल के दौरे की संभावना 64% तक बढ़ जाती है।

एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि एंग्जायटी से पीड़ित लोगों में हाई ब्लड प्रेशर और कोरोनरी आर्टरी डिज़ीज़ की संभावना अधिक रहती है।

महिलाओं के लिए और ज्यादा जोखिम

विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं में डिप्रेशन और हार्ट डिज़ीज़ का आपसी संबंध अधिक गंभीर होता है, विशेषकर मेनोपॉज़ के बाद। हार्मोनल असंतुलन और भावनात्मक दबाव इस स्थिति को और बिगाड़ सकते हैं।

कैसे करें दिल और दिमाग दोनों की देखभाल?

मेंटल हेल्थ को प्राथमिकता दें – थैरेपी, काउंसलिंग या मनोचिकित्सक की मदद लेने में झिझक न करें।

योग और मेडिटेशन अपनाएं – यह न केवल तनाव कम करता है बल्कि हृदय की धड़कन को भी नियमित करता है।

नियमित व्यायाम करें – चलना, दौड़ना, तैरना जैसे हल्के व्यायाम दिल और दिमाग दोनों के लिए लाभकारी हैं।

भरपूर नींद लें – 7 से 8 घंटे की नींद मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

नशीले पदार्थों से दूर रहें – धूम्रपान और शराब से हार्ट डिजीज और मानसिक बीमारियों का खतरा बढ़ता है।

 

 

 

 

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