Next Story
Newszop

चीन ने 35 साल में कैसे पलट दी अमेरिका की दुनिया... यूं ही नहीं ठनी है दोनों महाशक्तियों में रार

Send Push
नई दिल्ली: अमेरिका और चीन दुनिया की दो सबसे बड़ी आर्थिक ताकतें हैं। लेकिन पिछले कुछ समय से दोनों के बीच टैरिफ वॉर चल रहा है। दोनों देशों के लिए एक-दूसरे की अहमियत की इस बात से समझा जा सकता है कि चीन का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर अमेरिका है जबकि अमेरिका का दूसरा बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर चीन है। दोनों देशों के बीच जिस तरह से रिश्ते हाल में खराब हुए हैं, उससे पूरी दुनिया के मंदी में जाने का खतरा है। चीन 1990 तक अमेरिका के मुकाबले कहीं नहीं था लेकिन उसके बाद उसने जो रफ्तार पकड़ी है, उसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। आज चीन दुनिया की फैक्ट्री बना हुआ है और दुनिया के बाजार उसके सामान से पटे पड़े हैं। यही वजह है कि अमेरिका के लिए चीन को लंबे समय तक नजरअंदाज करना मुश्किल होगा। चीन 1990 में केवल आठ देशों में लिए टॉप एक्सपोर्टर था और आज यह संख्या 125 पहुंच चुकी है। यानी दुनिया का 125 देश अपना सबसे ज्यादा सामान चीन से मंगाते हैं। दूसरी तरफ 1990 में अमेरिका 175 देशों के लिए टॉप एक्सपोर्टर था जबकि आज यह संख्या महज 35 रह गई है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन में अमेरिका को किस कदर दर्द दिया है। 2024 में चीन का कुल एक्सपोर्ट 3.58 ट्रिलियन डॉलर रहा जबकि अमेरिका से निर्यात होने वाली चीजों की वैल्यू 2.06 ट्रिलियन डॉलर रही। चीन और अमेरिका दुनिया के उन 10 देशों में हैं जिनकी जीडीपी में एक्सपोर्ट का हिस्सा सबसे ज्यादा है। चीन ने कैसे मारी बाजीसाल 1990 से चीन के एक्सपोर्ट में काफी तेजी आई है। आर्थिक सुधारों, ग्लोबल वैल्यू चेन और डब्ल्यूटीओ की मेंबरशिप से चीन का एक्सपोर्ट रॉकेट की स्पीड से बढ़ा। आज चीन दुनिया का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। चीन 2009 में पहली बार दुनिया का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर बना था और उसके बाद से लगातार इस कुर्सी पर जमा हुआ है। साल 2000 से 2024 के बीच अमेरिका का ट्रेड 167% बढ़ा जबकि इस दौरान चीन के ट्रेड में 1,200% तेजी आई। 2024 में अमेरिका का कुल ट्रेड $5.3 ट्रिलियन पहुंच पाया जबकि चीन $6.2 ट्रिलियन डॉलर पर पहुंच गया। ट्रेड में आयात और निर्यात दोनों शामिल हैं।लो लेबर कॉस्ट, इन्फ्रास्ट्रक्चर पर भारी निवेश और मैन्यूफैक्चरिंग पर फोकस करके चीन ने यह मुकाम हासिल किया है। खासकर इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी पर चीन ने सबसे ज्यादा जोर दिया है। इसका अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि जो आईफोन चीन में 1000 डॉलर का बनता है, उसे बनाने में अमेरिका में 1,00,000 डॉलर का खर्च आता है। आज दुनियाभर की कंपनियां चीन में सामान बनाकर तगड़ा मुनाफा कमा रही हैं। चीन ग्लोबल सप्लाई चेन के लिए काफी अहम बन गया है और अमेरिका की आंखों में बुरी तरह खटक रहा है।
Loving Newspoint? Download the app now