मुंबई: कैब बुकिंग कर सफर करने वालों को इन दिनों कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कभी टोल के नाम पर अतिरिक्त शुल्क लिया जा रहा है तो कहीं गाड़ी बदलकर आ रही है। पिछले दिनों रैपिडो के जरिए कैब बुक करके बांद्रा से जेजे अस्पताल तक का सफर करने वाले एक यात्री से ड्राइवर ने टोल को लेकर काफी विवाद किया। यात्री के अनुसार, मैंने बांद्रा से जेजे अस्पताल जाने के लिए कैब बुक की। शुरुआत में तो सब ठीक रहा, लेकिन जैसे ही कलानगर आया, उस वक्त ड्राइवर में यात्री से पूछा कि 'सर सीधा चलना है, या फिर बांद्रा- वर्ली सी-लिंक का इस्तेमाल करना है?' उस पर यात्री ने ड्राइवर से पूछा कि कम समय कहां से लगेगा? ड्राइवर ने बताया सी- लिंक से। उसके बाद यात्री ने कहा कि ठीक है, सी-लिंक से चलिए। लेकिन जब यात्री अपने गंतव्य पर पहुंचा और ड्राइवर को पैसे देने लगा, तब ड्राइवर ने यात्री से कहा कि आपको 200 एक्स्ट्रा देना होगा। उस पर यात्री ने पूछा कि किस बात के 200 एक्स्ट्रा? तो ड्राइवर ने जवाब दिया की सी-लिंक पर जाने के लिए टोल लगता है। तब यात्री ने कहा कि टोल तो 100 रुपये ही लगता है, लेकिन फिर भी ड्राइवर जबरन 200 देने के लिए कहता रहा। अंत में ड्राइवर ने यात्री से 100 रुपये लिए।
नहीं है ऐसा कोई नियम
इस मामले पर एनबीटी की प्रतिनिधि ने ओला, उबर और रैपीडो कंपनी से पूछ कि 'क्या ड्राइवर -यात्रियों से टोल के पैसे मांग सकते है?' तो उस पर एग्रीगेटर कंपनियों ( उबर और रैपिडो) का कहना है कि यदि रास्ते में कोई टोल है तो उसका पैसा किराए में ही शामिल होता है। इसके लिए यात्रियों को अलग से चार्ज नहीं भरना पड़ता है, ड्राइवर यात्री से नहीं पूछ सकता है कि गाड़ी टोल वाले हाईवे से लिया जाए, या दूसरे रास्ते से। तो वहीं ओला ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।
यात्री सुरक्षा को करते हैं नजरअंदाज
ऐसा पहली बार नहीं है कि एग्रीगेटर कंपनियों के ड्राइवर ने यात्रियों को लूटने की कोशिश की है। इसके पहले भी कई विभिन्न मामले सामने आए हैं। सोशल मीडिया पर तो ऐसे मामले काफी वायरल भी हुए हैं, लेकिन अभी तक कंपनी द्वारा कोई भी प्रमुख निर्णय नहीं लिया गया है । बीते कुछ दिन पहले भी एनबीटी में यह रिपोर्ट किया था कि जब यात्री राइड बुक करते है, उस वक्त उन्हें एक गाडी नंबर दिया जाता है, लेकिन जब गाड़ी आती है, तो गाडी का नंबर कुछ और ही होता है। पूछे जाने पर ड्राइवर का कहना होता है कि मैं किसी और की गाडी लेकर आया हूँ। जब -जब किसी और नंबर की गाड़ी आती है, तब- तब कई बार ड्राइवर ओटीपी भी नहीं मांगते है। हाल के दिनों में यह मामले काफी हद तक बढ़ चुके है और यात्री सुरक्षा खिलवाड़ बन चुकी है।
किसने क्या-कुछ कहा? जानें
एग्रीगेटर पॉलिसी 2025 जल्द लागू किया जाएगा। फिलहाल सभी ऑब्जेक्शन और सजेस्शन सरकार को भेजे गए है, वहां से मंजूरी मिलते ही लॉ डिपार्टमेंट में भेजा जाएगा। इस पॉलिसी में कंपनी और ड्राइवर, दोनों के लिए सख्त नियम शामिल होंगे। एनबीटी से उबर और रैपिडो के प्रवक्ता ने कहा कि यदि ड्राइवर ऐसा कुछ कर रहे हैं, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। जबरन कोई भी ड्राइवर यात्रियों से टोल का पैसा नहीं मांग सकता है। तो वहीं दूसरी इस मुद्दे पर भारतीय गिग कामगार मंच के अध्यक्ष डॉ. केशव सिरसागर ने कहा कि रैपिडो के पास आज भी कैब सर्विस देने का आधिकारिक लाइसेंस नहीं है। काफी फेक आईडी देखे गए है। हम हमेशा से ड्राइवरों के साथ है, लेकिन धांधली करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए हमने कई बार मुद्दा उठाया है।
नहीं है ऐसा कोई नियम
इस मामले पर एनबीटी की प्रतिनिधि ने ओला, उबर और रैपीडो कंपनी से पूछ कि 'क्या ड्राइवर -यात्रियों से टोल के पैसे मांग सकते है?' तो उस पर एग्रीगेटर कंपनियों ( उबर और रैपिडो) का कहना है कि यदि रास्ते में कोई टोल है तो उसका पैसा किराए में ही शामिल होता है। इसके लिए यात्रियों को अलग से चार्ज नहीं भरना पड़ता है, ड्राइवर यात्री से नहीं पूछ सकता है कि गाड़ी टोल वाले हाईवे से लिया जाए, या दूसरे रास्ते से। तो वहीं ओला ने इस सवाल का कोई जवाब नहीं दिया।
यात्री सुरक्षा को करते हैं नजरअंदाज
ऐसा पहली बार नहीं है कि एग्रीगेटर कंपनियों के ड्राइवर ने यात्रियों को लूटने की कोशिश की है। इसके पहले भी कई विभिन्न मामले सामने आए हैं। सोशल मीडिया पर तो ऐसे मामले काफी वायरल भी हुए हैं, लेकिन अभी तक कंपनी द्वारा कोई भी प्रमुख निर्णय नहीं लिया गया है । बीते कुछ दिन पहले भी एनबीटी में यह रिपोर्ट किया था कि जब यात्री राइड बुक करते है, उस वक्त उन्हें एक गाडी नंबर दिया जाता है, लेकिन जब गाड़ी आती है, तो गाडी का नंबर कुछ और ही होता है। पूछे जाने पर ड्राइवर का कहना होता है कि मैं किसी और की गाडी लेकर आया हूँ। जब -जब किसी और नंबर की गाड़ी आती है, तब- तब कई बार ड्राइवर ओटीपी भी नहीं मांगते है। हाल के दिनों में यह मामले काफी हद तक बढ़ चुके है और यात्री सुरक्षा खिलवाड़ बन चुकी है।
किसने क्या-कुछ कहा? जानें
एग्रीगेटर पॉलिसी 2025 जल्द लागू किया जाएगा। फिलहाल सभी ऑब्जेक्शन और सजेस्शन सरकार को भेजे गए है, वहां से मंजूरी मिलते ही लॉ डिपार्टमेंट में भेजा जाएगा। इस पॉलिसी में कंपनी और ड्राइवर, दोनों के लिए सख्त नियम शामिल होंगे। एनबीटी से उबर और रैपिडो के प्रवक्ता ने कहा कि यदि ड्राइवर ऐसा कुछ कर रहे हैं, तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। जबरन कोई भी ड्राइवर यात्रियों से टोल का पैसा नहीं मांग सकता है। तो वहीं दूसरी इस मुद्दे पर भारतीय गिग कामगार मंच के अध्यक्ष डॉ. केशव सिरसागर ने कहा कि रैपिडो के पास आज भी कैब सर्विस देने का आधिकारिक लाइसेंस नहीं है। काफी फेक आईडी देखे गए है। हम हमेशा से ड्राइवरों के साथ है, लेकिन धांधली करने वालों के खिलाफ मामला दर्ज करने के लिए हमने कई बार मुद्दा उठाया है।
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