बेंगलुरु : कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु के बाहरी इलाके में स्थित खूबसूरत नंदी हिल्स है। यहां पर आने वाले पर्यटक उस समय हैरान रह गए जब पहाड़ी पर स्थित ऐतिहासिक टीपू महल की दीवार पर कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई का नाम लिखा हुआ पाया। 18वीं सदी के इस स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के तहत एक संरक्षित स्थल है। इसे क्षतिग्रस्त किए जाने से कर्नाटक के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक में सुरक्षा में ढिलाई को लेकर आक्रोश और चिंता फैल गई। पुलिस ने आनन-फानन में केस दर्ज कर लिया है और आरोपी की तलाश शुरू कर दी है।
पुलिस ने मौके का निरीक्षण किया है। टीपू पैलेस के बाहर और आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज चेक किए जा रहे हैं। नंदी हिल्स के विशेष अधिकारी रमेश ने कहा कि यह शरारत संभवतः सुरक्षाकर्मियों के कार्यभार संभालने से पहले तड़के की गई होगा। उन्होंने बताया कि आगंतुक भोर होते ही पहुंचने लगते हैं, जबकि सुरक्षा गार्ड अपने टाइम पर पहुंचते हैं।
सुरक्षा पर उठे सवालएएसआई के अधिकारी मौके पर पहुंचे और भित्तिचित्रों को मिटा दिया, और फिर तोड़फोड़ करने वालों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच की। अधिकारियों का कहना है कि सप्ताहांत में पर्यटकों की संख्या लगभग 20,000 तक पहुंचने के साथ, नंदी हिल्स की चोटी पर तोड़फोड़ और अभद्र व्यवहार आम समस्या बन गई है। रमेश ने कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा निर्मित बसवा मंडप की ग्रिल की बाड़ पिछले तीन महीनों में 4-5 बार टूट चुकी है। उन्होंने बताया कि एएसआई के साथ मिलकर सुरक्षा व्यवस्था मज़बूत करने के उपाय किए जा रहे हैं।
गर्मियों के लिए बनवाया गया था पैलेसपहाड़ी के उत्तरी किनारे पर स्थित, दो मंज़िला यह महल हैदर अली के शासनकाल में ग्रीष्मकालीन रिसॉर्ट के रूप में बनाया गया था। 1791 में टीपू सुल्तान के शासनकाल में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था। ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि टीपू सुल्तान कभी-कभी गर्मियों में महल में दरबार लगाते थे। मिट्टी की ईंटों और गारे से बने इस महल के अंदरूनी हिस्से लकड़ी से बने हैं और यह अपने मेहराबों, खंभों और बालकनियों के लिए जाना जाता है।
गर्मियों में एसी जैसा ठंडा रहता है टीपू पैलेसदो मंज़िला टीपू समर पैलेस में टीक वुड का वर्क है। बताया जाता है कि टीपू सुल्तान को वास्तुकला का बहुत ज्ञान था इसलिए उन्होंने इसे बहुत शानदार बनवाया था। कहा जाता है कि इस महल के निर्माण में जो टीक वुड की लकड़ियां लगी हैं, उन्हें खासतौर पर तैयार करवाया गया था। इन लकड़ियों को कई वर्षों तक कावेरी नदी के पानी में डूबा के रखा गया था। उसके बाद इन्हें पैलेस में यूज किया गया। लकड़ियों के कई वर्षों तक पानी में डूबे रहने के कारण यह पैलेस को अंदर ठंडा रखती हैं। ऊपरी मंजिल के पूर्वी और पश्चिमी दिशा में बैठकर टीपू सुल्तान अपना दरबार चलाता था।
पुलिस ने मौके का निरीक्षण किया है। टीपू पैलेस के बाहर और आसपास लगे सीसीटीवी फुटेज चेक किए जा रहे हैं। नंदी हिल्स के विशेष अधिकारी रमेश ने कहा कि यह शरारत संभवतः सुरक्षाकर्मियों के कार्यभार संभालने से पहले तड़के की गई होगा। उन्होंने बताया कि आगंतुक भोर होते ही पहुंचने लगते हैं, जबकि सुरक्षा गार्ड अपने टाइम पर पहुंचते हैं।
सुरक्षा पर उठे सवालएएसआई के अधिकारी मौके पर पहुंचे और भित्तिचित्रों को मिटा दिया, और फिर तोड़फोड़ करने वालों की पहचान के लिए सीसीटीवी फुटेज की जांच की। अधिकारियों का कहना है कि सप्ताहांत में पर्यटकों की संख्या लगभग 20,000 तक पहुंचने के साथ, नंदी हिल्स की चोटी पर तोड़फोड़ और अभद्र व्यवहार आम समस्या बन गई है। रमेश ने कहा कि पर्यटन विभाग द्वारा निर्मित बसवा मंडप की ग्रिल की बाड़ पिछले तीन महीनों में 4-5 बार टूट चुकी है। उन्होंने बताया कि एएसआई के साथ मिलकर सुरक्षा व्यवस्था मज़बूत करने के उपाय किए जा रहे हैं।
गर्मियों के लिए बनवाया गया था पैलेसपहाड़ी के उत्तरी किनारे पर स्थित, दो मंज़िला यह महल हैदर अली के शासनकाल में ग्रीष्मकालीन रिसॉर्ट के रूप में बनाया गया था। 1791 में टीपू सुल्तान के शासनकाल में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ था। ऐतिहासिक अभिलेखों से पता चलता है कि टीपू सुल्तान कभी-कभी गर्मियों में महल में दरबार लगाते थे। मिट्टी की ईंटों और गारे से बने इस महल के अंदरूनी हिस्से लकड़ी से बने हैं और यह अपने मेहराबों, खंभों और बालकनियों के लिए जाना जाता है।
गर्मियों में एसी जैसा ठंडा रहता है टीपू पैलेसदो मंज़िला टीपू समर पैलेस में टीक वुड का वर्क है। बताया जाता है कि टीपू सुल्तान को वास्तुकला का बहुत ज्ञान था इसलिए उन्होंने इसे बहुत शानदार बनवाया था। कहा जाता है कि इस महल के निर्माण में जो टीक वुड की लकड़ियां लगी हैं, उन्हें खासतौर पर तैयार करवाया गया था। इन लकड़ियों को कई वर्षों तक कावेरी नदी के पानी में डूबा के रखा गया था। उसके बाद इन्हें पैलेस में यूज किया गया। लकड़ियों के कई वर्षों तक पानी में डूबे रहने के कारण यह पैलेस को अंदर ठंडा रखती हैं। ऊपरी मंजिल के पूर्वी और पश्चिमी दिशा में बैठकर टीपू सुल्तान अपना दरबार चलाता था।
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