नई दिल्लीः दिल्ली ब्लास्ट में मरने वालों में एक नाम अमर कटारिया का है, जो रोजाना की तरह अपनी दवा दुकान समेट कर घर लौट रहे थे। अमर ने मेट्रो पकड़ने के लिए कदम बढ़ाया ही था कि अचानक धमाका हो गया। अमर के पिता जगदीश कटारिया ने बताया कि कुछ समझ ही नहीं आ रहा कि क्या हो गया है। जगदीश कहते है, वह जिंदगी की काली रात थी, जिसने घर का इकलौता चिराग छीन लिया। 10 मिनट पहले सब कुछ ठीक था। बेटे ने कॉल करके पूछा था कि पापा कहां हो, निकल गए क्या आप? बात पूरी हो नहीं हो पाई, बीच में कट गई। दोबारा कॉल किया तो फोन लगा नहीं, फिर बहू को कॉल करके पूछने के लिए कहा। बहू ने कॉल किया तो किसी महिला ने रिसीव किया और कहा कि ब्लास्ट हुआ है। यह सुनते ही आंखों के सामने अंधेरा छा गया। पूरी रात भटकने के बाद सुबह 5 बजे जैसे-तैसे बेटे का शव मिला।
ड्राइवर ने रोका था दो भाइयों को, एक की हुई मौतयूपी के ही शामली के झिंझाना से 22 साल का नोमान कजिन अमन के साथ चांदनी चौक कॉस्मेटिक का सामान लेने आया था। नौमान का भाई फरमान किडनी की बीमारी से पीड़ित है। पिता इमरान बुजुर्ग है। घर में चार बहने और मां है। दोनों गांव से एक कार हायर करके लाए थे। सामान खरीदकर गाड़ी में रखा, थोड़ा सामान और लेने जाने लगे तो ड्राइवर ने मोबाइल में चेक करके बताया, बहुत जाम है फिर ले लेना। मगर दोनो ई-रिक्शा करके चले गए, तभी धमाके की चपेट में आ गए और नोमान की मौत हो गई। ब्लास्ट का शिकार मेरठ के मोहसिन भी हुए। मोहसिन (35) 2 साल पहले मेरठ से दिल्ली आए थे। वह पत्नी और दो बच्चों के साथ दिल्ली में किराए के मकान में रह रहे थे। ई-रिक्शा चलाकर परिवार को पाल रहे थे अब परिवार बेसहारा रह गया है।
बचपन के दो दोस्त मिले, मगर आखिरी मुलाकातयूपी के अमरोहा से बचपन के दोस्त अशोक सिंह और लोकेश अग्रवाल उस शाम आखिरी बार मिले थे। अशोक डीटीसी में ड्राइवर थे, जबकि लोकेश खाद कारोबारी। लोकेश बीमार रिश्तेदार से मिलने दिल्ली आए थे। उन्होंने दोस्त को कॉल किया कि शाम को मेट्रो स्टेशन के पास मिलते है। वह मुलाकात आखिरी साबित हुई। दोनो कार में बैठे ही थे कि धमाका हो गया। कार के परखच्चे उड़ गए और दोनों की जिंदगी खत्म हो गई। अशोक के परिवार में पत्नी सोनम, बेटा आरंभ (3), बेटियां आरोही (8) और काव्या (5) है और मां सोमवती (65) है। सोमवती दिल की मरीज है।
ड्राइवर ने रोका था दो भाइयों को, एक की हुई मौतयूपी के ही शामली के झिंझाना से 22 साल का नोमान कजिन अमन के साथ चांदनी चौक कॉस्मेटिक का सामान लेने आया था। नौमान का भाई फरमान किडनी की बीमारी से पीड़ित है। पिता इमरान बुजुर्ग है। घर में चार बहने और मां है। दोनों गांव से एक कार हायर करके लाए थे। सामान खरीदकर गाड़ी में रखा, थोड़ा सामान और लेने जाने लगे तो ड्राइवर ने मोबाइल में चेक करके बताया, बहुत जाम है फिर ले लेना। मगर दोनो ई-रिक्शा करके चले गए, तभी धमाके की चपेट में आ गए और नोमान की मौत हो गई। ब्लास्ट का शिकार मेरठ के मोहसिन भी हुए। मोहसिन (35) 2 साल पहले मेरठ से दिल्ली आए थे। वह पत्नी और दो बच्चों के साथ दिल्ली में किराए के मकान में रह रहे थे। ई-रिक्शा चलाकर परिवार को पाल रहे थे अब परिवार बेसहारा रह गया है।
बचपन के दो दोस्त मिले, मगर आखिरी मुलाकातयूपी के अमरोहा से बचपन के दोस्त अशोक सिंह और लोकेश अग्रवाल उस शाम आखिरी बार मिले थे। अशोक डीटीसी में ड्राइवर थे, जबकि लोकेश खाद कारोबारी। लोकेश बीमार रिश्तेदार से मिलने दिल्ली आए थे। उन्होंने दोस्त को कॉल किया कि शाम को मेट्रो स्टेशन के पास मिलते है। वह मुलाकात आखिरी साबित हुई। दोनो कार में बैठे ही थे कि धमाका हो गया। कार के परखच्चे उड़ गए और दोनों की जिंदगी खत्म हो गई। अशोक के परिवार में पत्नी सोनम, बेटा आरंभ (3), बेटियां आरोही (8) और काव्या (5) है और मां सोमवती (65) है। सोमवती दिल की मरीज है।
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