नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सड़क हादसे के एक मामले में कहा कि पीड़ित को मुआवजा दिए जाने के वक्त सिर्फ न्यूनतम मजदूरी को ध्यान में न रखा जाए, बल्कि उसके वास्तविक रोजगार की संभावना को ध्यान में रखा जाए। कोर्ट ने यह टिप्पणी मोटर दुर्घटना मुआवजा मामले की सुनवाई के दौरान दी, जिसमें आय के आकलन को लेकर विवाद था।
बी. कॉम अंतिम के छात्र से संबंधित था मामला
यह मामला 20 वर्षीय बी. कॉम अंतिम वर्ष के छात्र से संबंधित था, जिसने ICAI में भी दाखिला लिया था। 2001 में सड़क दुर्घटना के कारण वह पैरालाइज हो गया और दो दशकों तक बिस्तर पर रहने के बाद उसकी मौत हो गई। हाई कोर्ट का कहना था कि पीड़ित के पास शैक्षणिक संभावनाएं थी, लेकिन उसने CA का सर्टिफिकेट हासिल नहीं किया था, इसलिए उसकी आय उस स्तर पर नहीं मानी जा सकती।
कोर्ट ने जताई असहमति
लेकिन, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले में पिछले हफ्ते इस नजरिए से असहमति जताते हुए कहा कि न्यूनतम वेतन केवल शैक्षणिक योग्यता के आधार पर लागू नहीं किए जा सकते। कोर्ट ने कहा कि हमें यह स्वीकार्य नहीं लगा कि न्यूनतम वेतन सिर्फ शैक्षणिक योग्यता के आधार पर तय किए जाएं और काम के नेचर को न देखा जाए। बेंच ने यह भी माना कि इन परिस्थितियों में कुशल कामगार का वेतन लागू करना भी उचित नहीं था।
क्या था पूरा मामला
आपको बता दें कि साल 2001 में एक बाइक पर सवार थे। उन्हें पीछे से आ रही तेद रफ्तार कार ने टक्कर मार दी। हादसे में शरद गंभीर रूप से घायल हो गए और उनकी गर्दन की हड्डी टूट गई जिससे शरद का पूरा शरीर पैरालाइज हो गया। घटना से 20 सालों तक ऐसे ही 2021 तक जीवित रहे
बी. कॉम अंतिम के छात्र से संबंधित था मामला
यह मामला 20 वर्षीय बी. कॉम अंतिम वर्ष के छात्र से संबंधित था, जिसने ICAI में भी दाखिला लिया था। 2001 में सड़क दुर्घटना के कारण वह पैरालाइज हो गया और दो दशकों तक बिस्तर पर रहने के बाद उसकी मौत हो गई। हाई कोर्ट का कहना था कि पीड़ित के पास शैक्षणिक संभावनाएं थी, लेकिन उसने CA का सर्टिफिकेट हासिल नहीं किया था, इसलिए उसकी आय उस स्तर पर नहीं मानी जा सकती।
कोर्ट ने जताई असहमति
लेकिन, सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने इस मामले में पिछले हफ्ते इस नजरिए से असहमति जताते हुए कहा कि न्यूनतम वेतन केवल शैक्षणिक योग्यता के आधार पर लागू नहीं किए जा सकते। कोर्ट ने कहा कि हमें यह स्वीकार्य नहीं लगा कि न्यूनतम वेतन सिर्फ शैक्षणिक योग्यता के आधार पर तय किए जाएं और काम के नेचर को न देखा जाए। बेंच ने यह भी माना कि इन परिस्थितियों में कुशल कामगार का वेतन लागू करना भी उचित नहीं था।
क्या था पूरा मामला
आपको बता दें कि साल 2001 में एक बाइक पर सवार थे। उन्हें पीछे से आ रही तेद रफ्तार कार ने टक्कर मार दी। हादसे में शरद गंभीर रूप से घायल हो गए और उनकी गर्दन की हड्डी टूट गई जिससे शरद का पूरा शरीर पैरालाइज हो गया। घटना से 20 सालों तक ऐसे ही 2021 तक जीवित रहे
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