नई दिल्ली: हर साल की तरह 20 अक्टूबर 2025 की दिवाली की रात को पूरे देश में जश्न का माहौल था, लेकिन इसके ठीक बाद राजधानी दिल्ली-एनसीआर धुंध की मोटी परत में घिर गई। यह क्षेत्र पहले से ही उद्योग, यातायात और आवासीय गतिविधियों के कारण प्रदूषित है। दिवाली पर हुई आतिशबाजी से हवा में PM2.5 और PM10 जैसे पार्टिकुलेट मैटर की सांद्रता में भारी वृद्धि हुई।
इस कारण लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश और पहले से मौजूद श्वसन समस्याओं में बढ़ोतरी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। AQI.IN और सरकारी स्टेशनों से प्राप्त वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के डेटा का विश्लेषण बताता है कि दिवाली के दौरान प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' (Severe) श्रेणी तक पहुंच गया
सेक्शन-1: दिवाली से पहले (17-19 अक्टूबर)
देश की राजधानी की हवा पहले से ही सामान्य से अधिक प्रदूषक सांद्रता (Pollutant concentration) और AQI के उच्च स्तर से जूझ रही थी। अक्टूबर में ठंडे तापमान, मानसून के बाद की आर्द्रता, आस-पास के राज्यों में फसल अवशेषों को जलाने, औद्योगिक उत्सर्जन और वाहनों के धुएं के मिश्रण से बिगड़ने लगा था।
सेक्शन-2: दिवाली की रात (20 अक्टूबर)
दिवाली की रात और आतिशबाजी का असर साफ दिखाई दिया। AQI के स्तर में काफी वृद्धि देखी जा सकती थी। आसमान धुंधला हो जाता है, जबकि हवा धुंध से भरी दिखता है।
सेक्शन-3: दिवाली के बाद (21-23 अक्टूबर)
दिल्ली धुंध और धुंध की चादर से ढकी हुई है, क्योंकि कम तापमान और हवा की गति के साथ-साथ उच्च आर्द्रता स्थिति को और बिगाड़ रही है, जिससे धुंध का जमा होने की तुलना में तेजी से फैलना असंभव हो रहा है।
दिल्ली-एनसीआर का ओवर ऑल पिक्चर
सभी 7 स्टेशनों पर 3 चरणों में एक समान AQI रेंज देखी जा सकती है
पटाखों के फोड़ने से उत्पन्न होने वाले प्रमुख प्रदूषक और SO2 के साथ AQI में लगातार वृद्धि चिंताजनक आंकड़ों के पीछे के प्रमुख कारण है। इसका स्वास्थ्य संबंधी परिणाम...
कैसा रहा ट्रेंड?
इसका क्या अर्थ है?
बचने के क्या उपाय किए जा सकते हैं
इस कारण लोगों को आंखों में जलन, गले में खराश और पहले से मौजूद श्वसन समस्याओं में बढ़ोतरी जैसी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। AQI.IN और सरकारी स्टेशनों से प्राप्त वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) के डेटा का विश्लेषण बताता है कि दिवाली के दौरान प्रदूषण का स्तर 'गंभीर' (Severe) श्रेणी तक पहुंच गया
सेक्शन-1: दिवाली से पहले (17-19 अक्टूबर)
देश की राजधानी की हवा पहले से ही सामान्य से अधिक प्रदूषक सांद्रता (Pollutant concentration) और AQI के उच्च स्तर से जूझ रही थी। अक्टूबर में ठंडे तापमान, मानसून के बाद की आर्द्रता, आस-पास के राज्यों में फसल अवशेषों को जलाने, औद्योगिक उत्सर्जन और वाहनों के धुएं के मिश्रण से बिगड़ने लगा था।
सेक्शन-2: दिवाली की रात (20 अक्टूबर)
दिवाली की रात और आतिशबाजी का असर साफ दिखाई दिया। AQI के स्तर में काफी वृद्धि देखी जा सकती थी। आसमान धुंधला हो जाता है, जबकि हवा धुंध से भरी दिखता है।
सेक्शन-3: दिवाली के बाद (21-23 अक्टूबर)
दिल्ली धुंध और धुंध की चादर से ढकी हुई है, क्योंकि कम तापमान और हवा की गति के साथ-साथ उच्च आर्द्रता स्थिति को और बिगाड़ रही है, जिससे धुंध का जमा होने की तुलना में तेजी से फैलना असंभव हो रहा है।
दिल्ली-एनसीआर का ओवर ऑल पिक्चर
सभी 7 स्टेशनों पर 3 चरणों में एक समान AQI रेंज देखी जा सकती है
- दिवाली से पहले: औसत AQI 240-330 के बीच, 'खराब' से 'बहुत खराब' तक रहा।
- दिवाली के दौरान: लगभग हर स्टेशन पर AQI का स्तर 400 से ऊपर चला गया। दिवाली से पहले AQI में उछाल 73% (गुड़गांव) से 22% (वजीरपुर) के बीच देखा गया।
- दिवाली के बाद: AQI में धीरे-धीरे सुधार हुआ, लेकिन यह 300 (बहुत खराब) से ऊपर रहा, जिसका अर्थ है कि प्रदूषक अभी भी मौजूद हैं। त्योहार से पहले से बाद तक AQI में उछाल कम रहा और यह 6% (वजीरपुर) से 34% (फरीदाबाद) के बीच देखा गया।
- दिवाली की रात: 21 अक्टूबर की सुबह, एक तेज चरम देखा गया, जो इन घंटों के दौरान पटाखों के प्रदूषण, तापमान में उलटफेर और उच्च आर्द्रता % के सामूहिक प्रभाव को दर्शाता है।
पटाखों के फोड़ने से उत्पन्न होने वाले प्रमुख प्रदूषक और SO2 के साथ AQI में लगातार वृद्धि चिंताजनक आंकड़ों के पीछे के प्रमुख कारण है। इसका स्वास्थ्य संबंधी परिणाम...
- AQI 300 से अधिक (बहुत खराब) माहौल के लंबे समय तक संपर्क में रहने से गले में जलन, थकान और सीने में बेचैनी हो सकती है।
- AQI 400 से अधिक (गंभीर) होने पर अस्थमा के दौरे, सांस संबंधी समस्याओं और हृदय संबंधी तनाव का खतरा बढ़ जाता है। खासकर बच्चों, बुजुर्गों, पहले से ही सांस संबंधी समस्याओं वाले लोगों और बाहरी काम करने वालों को अधिक समस्या होती है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के नवीनतम दिशानिर्देशों के अनुसार, दैनिक PM10 का स्तर 45 µg/m³ से अधिक नहीं होना चाहिए और दैनिक PM2.5 के लिए यह सीमा 15 µg/m³ है। SO2 के लिए दैनिक सुरक्षित सीमा 15 ppb और CO के लिए 3500 ppb है।
- हालांकि, दिवाली के दौरान पीएम2.5 का स्तर निर्धारित स्तर से लगभग 8 गुना ज्यादा था और 'स्थिर' होने के बाद भी यह सुरक्षित सीमा से 6 गुना नीचे नहीं जा सका।
- हालांकि कार्बन डाइऑक्साइड सुरक्षित सीमा के भीतर है, फिर भी इसका चरम उल्लेखनीय है। SO2 के लिए, त्योहार की रात औसत 22 पीपीबी से काफी ऊपर रहा, जो न्यूनतम सीमा से कहीं ज्यादा है।
कैसा रहा ट्रेंड?
- दोनों वर्षों में AQI दिन और रात के समय नियमित समय पर उतार-चढ़ाव भरा रहा। दिवाली से पहले की अधिकांश अवधि में 'खराब' से 'बहुत खराब' के बीच रहा।
- 2025 में लाल रेखा 2024 की तुलना में बहुत अधिक ऊपर जाएगी और इसमें तेजी से ऊपर की ओर उतार-चढ़ाव है।
इसका क्या अर्थ है?
- 2025 में दिवाली प्रदूषण संकट स्पष्ट रूप से अधिक गंभीर होगा।
- दोनों वर्षों में आतिशबाजी के कारण प्रदूषण अचानक बढ़ जाता है, जिससे शहर भर में बाहरी जीवन, स्वास्थ्य और दृश्यता प्रभावित होती है।
- निष्कर्ष यही है कि दिल्ली-एनसीआर का 2025 का वायु गुणवत्ता पैटर्न चिंताजनक रूप से स्थिर बना रहेगा, यदि बदतर नहीं है।
बचने के क्या उपाय किए जा सकते हैं
- जितना हो सके बाहर रहने से बचें
- N95/N99 मास्क और इनडोर एयर प्यूरीफायर का उपयोग करें
- सुबह के समय खिड़कियां बंद रखें
- विश्वसनीय वेबसाइटों पर रियल-टाइम अपडेट देखें
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