मुंबई: मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने साफ कहा है कि कबूतरखानों को अचानक ही बंद कर देना उचित नहीं हैं। कबूतरों की देखभाल और आम लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों से बचने के लिए उन्हें दाना डालने और न डालने के समय के संबंध में नियम बनाना चाहिए। कबूतरखानों के बारे में लिए गए निर्णय को अमल करते हुए समय वैकल्पिक उपाय किए जाने चाहिए, ताकि कबूतरखाना क्षेत्र में कबूतरों को भूखे रहने पर मजबूर नहीं होना पड़े। उन्होंने बीएमसी को निर्देश दिया कि जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक कबूतरों को नियंत्रित भोजन की आपूर्ति जारी रखे।
कबूतरखानों के बंद करने के बाद पैदा हुई समस्या को हल करने के लिए मंगलवार को मंत्रालय में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक बैठक की जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार, वन मंत्री गणेश नाईक, जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन, कौशल, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार मंत्री मंगल प्रभात लोढा, विधायक कालिदास कोलंबकर, मुंबई कमिश्नर भूषण गगरानी, वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मिलिंद म्हैसकर उपस्थित थे।
बैठक के बाद उन्होंने कहा कि कबूतरों की जान बचाना, पर्यावरण की रक्षा करना और नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा जरूरी है। शहर में विभिन्न स्थानों पर कबूतरों की बड़ी संख्या के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं, बीट से होने वाला प्रदूषण और सार्वजनिक स्वच्छता संबंधी समस्याएं उत्पन्न की शिकायत है। सीएम ने कहा कि कबूतरखानों के स्वास्थ्य प्रभावों का वैज्ञानिक अध्ययन आवश्यक है और इसके लिए संबंधित विशेषज्ञों की सहायता से एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए। कबूतरों की बीट की सफाई के लिए उपलब्ध तकनीकी समाधानों पर विचार किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि इस बारे में उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी से भी चर्चा की है। कबूतरखानों से जुड़े मुद्दों पर उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका पर सुनवाई चल रही है। राज्य सरकार और बीएमसी को इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखना चाहिए। यदि आवश्यक पड़ी तो राज्य सरकार आवश्यकतानुसार सर्वोच्च न्यायालय में भी अपना पक्ष रखेगी।
बीएमसी को पक्षी खाने का निर्माण और रखरखाव करने के निर्देश भी दिए। मंगलवार को बीएमसी की ओर से बताया गया कि 13 जुलाई से तीन अगस्त के बीच उन्होंने शहर भर के विभिन्न कबूतरखानों में कबूतरों को दाना डालने वाले 142 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की और उसने 68,700 रुपये का जुर्माना वसूला है।
कबूतरखानों के बंद करने के बाद पैदा हुई समस्या को हल करने के लिए मंगलवार को मंत्रालय में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक बैठक की जिसमें उपमुख्यमंत्री अजित पवार, वन मंत्री गणेश नाईक, जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन, कौशल, रोजगार, उद्यमिता और नवाचार मंत्री मंगल प्रभात लोढा, विधायक कालिदास कोलंबकर, मुंबई कमिश्नर भूषण गगरानी, वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव मिलिंद म्हैसकर उपस्थित थे।
बैठक के बाद उन्होंने कहा कि कबूतरों की जान बचाना, पर्यावरण की रक्षा करना और नागरिकों के स्वास्थ्य की रक्षा जरूरी है। शहर में विभिन्न स्थानों पर कबूतरों की बड़ी संख्या के कारण श्वसन संबंधी समस्याएं, बीट से होने वाला प्रदूषण और सार्वजनिक स्वच्छता संबंधी समस्याएं उत्पन्न की शिकायत है। सीएम ने कहा कि कबूतरखानों के स्वास्थ्य प्रभावों का वैज्ञानिक अध्ययन आवश्यक है और इसके लिए संबंधित विशेषज्ञों की सहायता से एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की जानी चाहिए। कबूतरों की बीट की सफाई के लिए उपलब्ध तकनीकी समाधानों पर विचार किया जाना चाहिए।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि इस बारे में उन्होंने पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी से भी चर्चा की है। कबूतरखानों से जुड़े मुद्दों पर उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका पर सुनवाई चल रही है। राज्य सरकार और बीएमसी को इस मुद्दे पर उच्च न्यायालय में अपना पक्ष रखना चाहिए। यदि आवश्यक पड़ी तो राज्य सरकार आवश्यकतानुसार सर्वोच्च न्यायालय में भी अपना पक्ष रखेगी।
बीएमसी को पक्षी खाने का निर्माण और रखरखाव करने के निर्देश भी दिए। मंगलवार को बीएमसी की ओर से बताया गया कि 13 जुलाई से तीन अगस्त के बीच उन्होंने शहर भर के विभिन्न कबूतरखानों में कबूतरों को दाना डालने वाले 142 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की और उसने 68,700 रुपये का जुर्माना वसूला है।
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