नई दिल्लीः बिहार में पांच मर्डर करने के बाद रंजन पाठक समेत गिरोह के चार बदमाश वॉन्टेड चल रहे थे। इनमें बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश साहनी (25), मनीष पाठक (33) और अमन ठाकुर ( 21 ) के तौर पर हुई है। कभी नेपाल तो कभी पंजाब और कभी दिल्ली में इनकी मूवमेंट मिल रही थी। सीतामढ़ी और आसपास के एरिया में रंगदारी के लिए कॉल भी कर रहे थे। बिहार पुलिस ने एक आईपी एड्रेस दिल्ली पुलिस से शेयर किया, जिस पर क्राइम ब्रांच ने काम करना शुरू किया।
रंजन पाठक एनकाउंटर में चली 40 गोलियांचारों बदमाशों के एक साथ निकलने का पता चला तो जॉइंट ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इस एनकाउंटर को जिस अफसर ने अंजाम दिया उनकी गिनती देश के दबंग अधिकारियों में होती है। मुठभेड़ के दौरान करीब 40 गोलियां चली। पुलिस ने मौके से 4 पिस्टल, एक तमंचा बरामद किया है।
IPS संजीव कुमार के नेतृत्व में एक्शन
राष्ट्रीय राजधानी में यह तीसरा सबसे बड़ा एनकाउंटर है, जिसमें किसी गैंग के 4 या उससे ज्यादा बदमाश एक साथ मारे गए। यह भी इत्तेफाक है कि तीनों एनकाउंटर एक ही पुलिस अफसर की सरपरस्ती में अंजाम दिए गए। वह ऑफिसर हैं IPS संजीव कुमार यादव। इससे पहले वह लंबे समय तक स्पेशल सेल में थे, जहां उनकी लीडरशिप में 2006 में सोनिया विहार और छतरपुर में 5-5 बदमाश ढेर हुए थे वह अब क्राइम ब्रांच में डीसीपी है।
इन बड़े एनकाउंटर को दिया अंजाम
सोनिया विहार में मई 2006 में मेरठ में सक्रिय गिरोह का सफाया किया था 2018 में हरियाणा में एक्टिव गैंगस्टर राजेश भारती समेत क्रांति गैंग के बदमाशों को मारा था। सोनिया विहार एनकाउंटर को नैशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन ने संदिग्ध माना था। मृतक बदमाशों के परिजनों का दावा था कि उन्हें घर से उठाकर ले जाया गया था। हालांकि बाद में एनकाउंटर करने वाली टीम को 'क्लीनचिट' मिल गई थी।
11 बार राष्ट्रपति वीरता पद से नवाजे गए
डीसीपी संजीव यादव 11 बार राष्ट्रपति वीरता पदक से नवाजे जा चुके हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, वह इससे पहले 55 एनकाउंटर को लीड कर चुके हैं, जिनमें 75 अपराधी ढेर हुए। 2008 बटला हाउस मुठभेड़ से लेकर कई आतंकी ऑपरेशन उनकी सरपरस्ती में अंजाम दिए गए।
100 से ज्यादा आतंकियों को पकड़ चुके हैंआतंकवाद से जुड़े 44 मामलों के अलावा 15 संगीन अपराध की जांच करने वाले संजीव यादव 100 से ज्यादा आतंकवादियों को पकड़ चुके हैं।
वह विश्वस्तरीय शूटर भी हैं, जो साउथ एशियन फेडरेशन ( SAF) गेम्स 2019 में सिल्वर मेडल और जर्मनी वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप 2019 में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं।
ऐसे मामरे गए बिहार के चार वांटेड अपराधी
दिल्ली के रोहिणी इलाके में पुलिस के साथ मुठभेड़ में चार वांटेड अपराधी मारे गए। ये बिहार में वसूली और हत्या के कई मामलों में कथित रूप से शामिल थे। दिल्ली पुलिस और बिहार पुलिस ने संयुक्त रूप से यह कार्रवाई की। चारों बिहार के सीतामढ़ी और आसपास के जिलों में कॉन्ट्रैक्ट किलिंग और एक्सटॉर्शन का काला धंधा करते थे। मारे गए बदमाशों में 'सिग्मा एंड कंपनी' के बिहार में सक्रिय सरगना रंजन पाठक भी है।
2019 से एक्टिव था गिरोह
सूत्रों ने बताया कि गिरोह 2019 से सक्रिय था, जो तीन महीने में ताबड़तोड़ वारदात करने के बाद सुर्खियों में आ गया। रंजन ने एक मर्डर के बाद खुद बिहार की मीडिया को अपना बायोडेटा भेजकर गिरोह का नाम सिग्मा एंड कंपनी' होने का दावा किया। सोशल मीडिया में हथियारों के साथ फोटो पोस्ट कर रहा था, जिसका मकसद युवाओं को गंग की तरफ आकर्षित करना और पब्लिक में दहशत फैलाना था।
ऐसे हुआ बदमाशों पर एक्शनगिरोह के बदमाश अमन ठाकुर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के करावल नगर के शेरपुर गांव में, जबकि मनीष पाठक ने वेस्ट दिल्ली के रघुवीर नगर में कमरे किराए पर ले रखा था। इनका इस्तेमाल गिरोह के वॉन्टेड बदमाशों को फरारी कटवाने के लिए किया जा। सूत्रों ने बताया, आशंका थी कि गैंग बिहार में चुनाव के दौरान वारदात कर सकता है।
बिहार चुनाव में वारदात की थी आशंकाबिहार की सत्ता में शामिल क्षेत्रीय पार्टी के एक नेता से गैंग ने रंगदारी मांगी थी जान से मारने की धमकी दी थी नेता ने दहशत में आकर एक्सटॉशन मनी दे दी थी। इससे बदमाशों के हौसले बुलंद हो गए थे। वो दिल्ली से लगातार बिहार में रंगदारी के लिए कॉल करते रहे। नेपाल से ऑपरेट करने वाले गैंग के तीन बदमाश एनकाउंटर में पकड़े जा चुके थे, इसलिए गैंग दिल्ली से ही ऑपरेट किया जा रहा था।
मलाही गांव की सरपंच है रंजन की मां
रंजन के पिता बिहार में राजस्व कर्मचारी हैं, जो ग्रामीण राजनीति में सक्रिय हैं। मां विमला देवी मलीहा गांव की सरपंच है, जो मूलरूप से नेपाल के हरदिया गांव की है। रंजन के एक भाई और पांच बहनें है। 10वीं में फेल होने के बाद इसे जुर्म की दुनिया भाने लगी। चचेरी बहन का गांव में अभयनंदन सिंह से अफेयर हो गया था। ऐसे में दोस्तों संग मिलकर उसकी हत्या कर दी।
ऐसे बनाया 'सिग्मा एंड कंपनी'
रंजन पाठक पांच साल तक जेल में रहा, जहां से 2024 में ही बाहर आया था। बिहार पुलिस ने इसे 17 जुलाई 2024 और 19 नवंबर 2024 को अवैध हथियार के साथ पकड़ा। जेल से बाहर आने के बाद अवैध शराब के धंधे जुड़ गया। इसके बाद शशि कपूर झा के साथ मिलकर 'सिग्मा एंड कंपनी' बना कर जुर्म करने लगा।
रंजन पाठक एनकाउंटर में चली 40 गोलियांचारों बदमाशों के एक साथ निकलने का पता चला तो जॉइंट ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। इस एनकाउंटर को जिस अफसर ने अंजाम दिया उनकी गिनती देश के दबंग अधिकारियों में होती है। मुठभेड़ के दौरान करीब 40 गोलियां चली। पुलिस ने मौके से 4 पिस्टल, एक तमंचा बरामद किया है।
IPS संजीव कुमार के नेतृत्व में एक्शन
राष्ट्रीय राजधानी में यह तीसरा सबसे बड़ा एनकाउंटर है, जिसमें किसी गैंग के 4 या उससे ज्यादा बदमाश एक साथ मारे गए। यह भी इत्तेफाक है कि तीनों एनकाउंटर एक ही पुलिस अफसर की सरपरस्ती में अंजाम दिए गए। वह ऑफिसर हैं IPS संजीव कुमार यादव। इससे पहले वह लंबे समय तक स्पेशल सेल में थे, जहां उनकी लीडरशिप में 2006 में सोनिया विहार और छतरपुर में 5-5 बदमाश ढेर हुए थे वह अब क्राइम ब्रांच में डीसीपी है।
इन बड़े एनकाउंटर को दिया अंजाम
सोनिया विहार में मई 2006 में मेरठ में सक्रिय गिरोह का सफाया किया था 2018 में हरियाणा में एक्टिव गैंगस्टर राजेश भारती समेत क्रांति गैंग के बदमाशों को मारा था। सोनिया विहार एनकाउंटर को नैशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन ने संदिग्ध माना था। मृतक बदमाशों के परिजनों का दावा था कि उन्हें घर से उठाकर ले जाया गया था। हालांकि बाद में एनकाउंटर करने वाली टीम को 'क्लीनचिट' मिल गई थी।
11 बार राष्ट्रपति वीरता पद से नवाजे गए
डीसीपी संजीव यादव 11 बार राष्ट्रपति वीरता पदक से नवाजे जा चुके हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, वह इससे पहले 55 एनकाउंटर को लीड कर चुके हैं, जिनमें 75 अपराधी ढेर हुए। 2008 बटला हाउस मुठभेड़ से लेकर कई आतंकी ऑपरेशन उनकी सरपरस्ती में अंजाम दिए गए।
100 से ज्यादा आतंकियों को पकड़ चुके हैंआतंकवाद से जुड़े 44 मामलों के अलावा 15 संगीन अपराध की जांच करने वाले संजीव यादव 100 से ज्यादा आतंकवादियों को पकड़ चुके हैं।
वह विश्वस्तरीय शूटर भी हैं, जो साउथ एशियन फेडरेशन ( SAF) गेम्स 2019 में सिल्वर मेडल और जर्मनी वर्ल्ड शूटिंग चैंपियनशिप 2019 में ब्रॉन्ज मेडल जीत चुके हैं।
ऐसे मामरे गए बिहार के चार वांटेड अपराधी
दिल्ली के रोहिणी इलाके में पुलिस के साथ मुठभेड़ में चार वांटेड अपराधी मारे गए। ये बिहार में वसूली और हत्या के कई मामलों में कथित रूप से शामिल थे। दिल्ली पुलिस और बिहार पुलिस ने संयुक्त रूप से यह कार्रवाई की। चारों बिहार के सीतामढ़ी और आसपास के जिलों में कॉन्ट्रैक्ट किलिंग और एक्सटॉर्शन का काला धंधा करते थे। मारे गए बदमाशों में 'सिग्मा एंड कंपनी' के बिहार में सक्रिय सरगना रंजन पाठक भी है।
2019 से एक्टिव था गिरोह
सूत्रों ने बताया कि गिरोह 2019 से सक्रिय था, जो तीन महीने में ताबड़तोड़ वारदात करने के बाद सुर्खियों में आ गया। रंजन ने एक मर्डर के बाद खुद बिहार की मीडिया को अपना बायोडेटा भेजकर गिरोह का नाम सिग्मा एंड कंपनी' होने का दावा किया। सोशल मीडिया में हथियारों के साथ फोटो पोस्ट कर रहा था, जिसका मकसद युवाओं को गंग की तरफ आकर्षित करना और पब्लिक में दहशत फैलाना था।
ऐसे हुआ बदमाशों पर एक्शनगिरोह के बदमाश अमन ठाकुर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के करावल नगर के शेरपुर गांव में, जबकि मनीष पाठक ने वेस्ट दिल्ली के रघुवीर नगर में कमरे किराए पर ले रखा था। इनका इस्तेमाल गिरोह के वॉन्टेड बदमाशों को फरारी कटवाने के लिए किया जा। सूत्रों ने बताया, आशंका थी कि गैंग बिहार में चुनाव के दौरान वारदात कर सकता है।
बिहार चुनाव में वारदात की थी आशंकाबिहार की सत्ता में शामिल क्षेत्रीय पार्टी के एक नेता से गैंग ने रंगदारी मांगी थी जान से मारने की धमकी दी थी नेता ने दहशत में आकर एक्सटॉशन मनी दे दी थी। इससे बदमाशों के हौसले बुलंद हो गए थे। वो दिल्ली से लगातार बिहार में रंगदारी के लिए कॉल करते रहे। नेपाल से ऑपरेट करने वाले गैंग के तीन बदमाश एनकाउंटर में पकड़े जा चुके थे, इसलिए गैंग दिल्ली से ही ऑपरेट किया जा रहा था।
मलाही गांव की सरपंच है रंजन की मां
रंजन के पिता बिहार में राजस्व कर्मचारी हैं, जो ग्रामीण राजनीति में सक्रिय हैं। मां विमला देवी मलीहा गांव की सरपंच है, जो मूलरूप से नेपाल के हरदिया गांव की है। रंजन के एक भाई और पांच बहनें है। 10वीं में फेल होने के बाद इसे जुर्म की दुनिया भाने लगी। चचेरी बहन का गांव में अभयनंदन सिंह से अफेयर हो गया था। ऐसे में दोस्तों संग मिलकर उसकी हत्या कर दी।
ऐसे बनाया 'सिग्मा एंड कंपनी'
रंजन पाठक पांच साल तक जेल में रहा, जहां से 2024 में ही बाहर आया था। बिहार पुलिस ने इसे 17 जुलाई 2024 और 19 नवंबर 2024 को अवैध हथियार के साथ पकड़ा। जेल से बाहर आने के बाद अवैध शराब के धंधे जुड़ गया। इसके बाद शशि कपूर झा के साथ मिलकर 'सिग्मा एंड कंपनी' बना कर जुर्म करने लगा।
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