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रिलायंस, ऐपल, सन फार्मा... ट्रंप के टैरिफ से किसे होगा सबसे ज्यादा नुकसान, जानिए हरेक बात

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नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले सामान पर 25% टैरिफ लगाने का फैसला किया है। साथ ही रूस से तेल खरीदने के लिए भारत पर पेनल्टी भी लगाई जाएगी। यह टैरिफ 1 अगस्त से लागू हो जाएगा। इससे भारत के कई सेक्टर प्रभावित हो सकते हैं। सबसे ज्यादा नुकसान इलेक्ट्रॉनिक्स, दवाइयां, गहने और ऑटो पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों को हो सकता है। चीन के बाद अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। भारत और अमेरिका के बीच 2024 में 129.2 अरब डॉलर का ट्रेड हुआ था।



ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लिखा कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा टैरिफ लगाने वाले देशों में से एक है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत ट्रेड में कई तरह की रुकावटें डालता है। ट्रंप ने रूस से तेल खरीदने पर भी भारत पर जुर्माना लगाने की धमकी दी है। ब्लूमबर्ग न्यूज के अनुसार अगर टैरिफ 25% से ज्यादा होता है, तो जुलाई से सितंबर के बीच भारत के लगभग 10% निर्यात पर असर पड़ेगा। इसका अलग-अलग बिजनस पर कितना असर होगा, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि दूसरे देशों पर कितना टैक्स लगता है। अभी यह साफ नहीं है कि किस कारोबार पर कितना टैक्स लगेगा। लेकिन कुछ ऐसे कारोबार हैं, जिन्हें सबसे ज्यादा नुकसान हो सकता है।





गहने और जवाहरात

भारत के रत्न और आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद ने कहा है कि यह एक गहरी चिंता का विषय है। इससे सप्लाई चेन बिगड़ सकती है और हजारों लोगों की नौकरियां जा सकती हैं। खासकर, रत्न कारोबार पर बहुत बुरा असर पड़ेगा। अमेरिका में भारत से 10 बिलियन डॉलर से ज्यादा के गहने भेजे जाते हैं। टैरिफ लगने से लागत बढ़ेगी, शिपमेंट में देरी होगी, कीमतों में बदलाव होगा और मजदूरों से लेकर बड़ी कंपनियों तक, हर किसी पर दबाव बढ़ेगा।



दवाइयांभारत, अमेरिका को बिना पेटेंट वाली दवाइयों का सबसे बड़ा निर्यातक है। हर साल लगभग 8 बिलियन डॉलर की दवाइयां भारत से अमेरिका भेजी जाती हैं। सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड, डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज लिमिटेड और सिप्ला लिमिटेड जैसी भारत की कुछ सबसे बड़ी कंपनियों को अमेरिका से 30% तक कमाई होती है। कुल मिलाकर भारतीय कंपनियों की दवाओं ने 2022 में अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को लगभग 220 बिलियन डॉलर और 2022 तक के दशक में कुल 1.3 ट्रिलियन डॉलर की बचत कराई।



कपड़ा

भारत में होम फैब्रिक्स, कपड़े और जूते बनाने वाली कंपनियां अमेरिका के बड़ी रिटेल कंपनियों को सामान सप्लाई करती हैं। इनमें द गैप इंक., पेपे जीन्स, वॉलमार्ट इंक. और कॉस्टको होलसेल कॉर्प जैसी कंपनियां शामिल हैं। भारत चाहता था कि उस पर वियतनाम जैसे देशों से कम टैक्स लगे, ताकि इस कारोबार को फायदा हो। भारतीय कपड़ा उद्योग परिसंघ ने कहा है कि यह इस कारोबार के लिए एक कठिन चुनौती है। इससे भारत के कपड़ा निर्यातकों की हिम्मत और हौसले की परीक्षा होगी, क्योंकि हमें टैक्स में कोई खास फायदा नहीं मिलेगा।







इलेक्ट्रॉनिक्सअमेरिका की दिग्गज टेक कंपनी ऐपल ने अपने ज्यादातर आईफोन भारत में बनाने शुरू कर दिए हैं। भारत, अमेरिका में स्मार्टफोन बेचने वाला सबसे बड़ा देश बन गया है। लेकिन नए टैरिफ लगने के बाद इस पर खतरा आ सकता है। ब्लूमबर्ग इंटेलिजेंस के एनालिस्ट्स का कहना है कि अगर भारत में टैरिफ 25% तक बढ़ जाता है, तो ऐपल की चीन से बचने और भारत से आईफोन खरीदने की योजना को झटका लग सकता है। 25% का टैरिफ लगने पर ऐपल को अपनी योजना बदलनी पड़ सकती है।



भारतीय रिफाइनरी

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन, भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड और हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड जैसी सरकारी रिफाइनरी और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड जैसी प्राइवेट कंपनियां भी नए टैरिफ से नुकसान में जा सकती हैं। भारत अपनी जरूरत का लगभग 37% तेल रूस से खरीदता है। यह तेल बाजार भाव से कम कीमत पर मिलता है और इससे रिफाइनरी को फायदा होता है। अगर रूस से तेल मिलना बंद हो जाता है, तो तेल की कीमतें बढ़ जाएंगी और रिफाइनरी का मुनाफा कम हो जाएगा। रिलायंस ने इस साल रूस से रोजाना 500,000 बैरल तक तेल खरीदने का समझौता किया है।

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