नई दिल्ली : मध्यप्रदेश में जहरीले कफ सिरप से 20 बच्चों की मौत के बाद केंद्र सरकार पूरी तरह से ऐक्शन मोड में आ गई है। केंद्रीय दवा मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने देश भर में सभी कफ सिरप निर्माताओं के अनुपालन, क्वालिटी और सेफ्टी स्टैंडर्ड का आकलन करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी ऑडिट और निरीक्षण अभियान शुरू किया है। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार सीडीएससीओ ने अब ऑडिट के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कफ सिरप निर्माताओं की एक डिटेल लिस्ट मांगी है।
न्यूज 18 की रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने हर राज्य से कफ सिरप के सभी निर्माताओं की पूरी सूची मांगी है। साथ ही, रेगुलर ऑडिट और निगरानी के लिए एक 'मजबूत और उचित प्रणाली' स्थापित कर रहा है।
निगरानी के लिए बनेगा मजबूत सिस्टम
अधिकारी ने कहा कि हमने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कफ सिरप बनाने वाले सभी निर्माताओं की सूची मांगी है। हम देश भर में कफ सिरप बनाने वाले सभी निर्माताओं का ऑडिट शुरू करेंगे। हम इसके लिए एक मजबूत और उचित व्यवस्था बना रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि आधिकारिक घोषणा जल्द ही की जाएगी। मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के नमूनों में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) की मौजूदगी के बाद भारत में बने सिरप से जुड़ी पहले की अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के बाद भारत की दवा निगरानी को लेकर चिंताएँ फिर से बढ़ गई हैं।
19 कप सिरप के सैंपल की टेस्टिंग
सीडीएससीओ के सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश में केंद्रीय और राज्य औषधि नियामकों द्वारा किए गए संयुक्त निरीक्षण में 19 सिरप के सैंपल लिए गए थे। इनमें से तीन डीईजी क्वालिटी टेस्ट में फेल रहे। रिपोर्ट के अनुसार रेस्पिफ्रेश, रीलाइफ और कोल्ड्रिफ में डीईजी पाया गया। उन्होंने आगे कहा कि हमने सैंपल को आपस में बंट लिया। हमारी तरफ से टेस्ट किए गए सभी छह सैंपल में डीईजी नहीं था, लेकिन उसी शाम तमिलनाडु एफडीए ने डीईजी पाया। बाद में मध्य प्रदेश एफडीए ने उसी बैच में डीईजी की पुष्टि की।
इन रिजल्ट के बाद, श्रीसन फार्मा सहित कई निर्माताओं के खिलाफ प्रवर्तन कार्रवाई शुरू हो गई है, जो कड़ी नियामकीय निगरानी में आ गई है। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि कंपनी का लाइसेंस राज्य नियामक की तरफ से 2011 में जारी किया गया था। 2016 में सीडीएससीओ की भागीदारी के बिना रिन्यू किया गया था।
न्यूज 18 की रिपोर्ट में एक वरिष्ठ अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने हर राज्य से कफ सिरप के सभी निर्माताओं की पूरी सूची मांगी है। साथ ही, रेगुलर ऑडिट और निगरानी के लिए एक 'मजबूत और उचित प्रणाली' स्थापित कर रहा है।
निगरानी के लिए बनेगा मजबूत सिस्टम
अधिकारी ने कहा कि हमने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कफ सिरप बनाने वाले सभी निर्माताओं की सूची मांगी है। हम देश भर में कफ सिरप बनाने वाले सभी निर्माताओं का ऑडिट शुरू करेंगे। हम इसके लिए एक मजबूत और उचित व्यवस्था बना रहे हैं। उन्होंने आगे बताया कि आधिकारिक घोषणा जल्द ही की जाएगी। मध्य प्रदेश और तमिलनाडु के नमूनों में डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (डीईजी) की मौजूदगी के बाद भारत में बने सिरप से जुड़ी पहले की अंतरराष्ट्रीय घटनाओं के बाद भारत की दवा निगरानी को लेकर चिंताएँ फिर से बढ़ गई हैं।
19 कप सिरप के सैंपल की टेस्टिंग
सीडीएससीओ के सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश में केंद्रीय और राज्य औषधि नियामकों द्वारा किए गए संयुक्त निरीक्षण में 19 सिरप के सैंपल लिए गए थे। इनमें से तीन डीईजी क्वालिटी टेस्ट में फेल रहे। रिपोर्ट के अनुसार रेस्पिफ्रेश, रीलाइफ और कोल्ड्रिफ में डीईजी पाया गया। उन्होंने आगे कहा कि हमने सैंपल को आपस में बंट लिया। हमारी तरफ से टेस्ट किए गए सभी छह सैंपल में डीईजी नहीं था, लेकिन उसी शाम तमिलनाडु एफडीए ने डीईजी पाया। बाद में मध्य प्रदेश एफडीए ने उसी बैच में डीईजी की पुष्टि की।
इन रिजल्ट के बाद, श्रीसन फार्मा सहित कई निर्माताओं के खिलाफ प्रवर्तन कार्रवाई शुरू हो गई है, जो कड़ी नियामकीय निगरानी में आ गई है। अधिकारियों ने पुष्टि की है कि कंपनी का लाइसेंस राज्य नियामक की तरफ से 2011 में जारी किया गया था। 2016 में सीडीएससीओ की भागीदारी के बिना रिन्यू किया गया था।
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