गुरुग्राम: हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने नशे के खिलाफ बड़ा फैसला लिया है। खाद्य और औषधि प्रशासन विभाग ने हरियाणा में गुटखा, पान मसाला और सुगंधित तंबाकू जैसे उत्पादों पर एक साल के लिए बैन लगा दिया है। यह बैन इसलिए लगाया गया है ताकि लोगों के स्वास्थ्य को सुरक्षित रखा जा सके। यह फैसला इस महीने से लागू हो गया है। आदेश के अनुसार, अब पूरे राज्य में इन उत्पादों का बनाना, स्टोर करना, बेचना और बांटना गैरकानूनी होगा।
किसने जारी किया आदेश?
खाद्य सुरक्षा आयुक्त मनोज कुमार ने यह आदेश जारी किया है। उन्होंने बताया कि इन उत्पादों से स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है। इसलिए यह कदम उठाया गया है। हरियाणा के शहरों और गांवों में इनका इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है। राज्य सरकार के इस कदम की सराहना हो रही है। इसे तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल को कम करने और आने वाली पीढ़ी को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
क्या होता है खतरा?
खाद्य विभाग के अनुसार, ये उत्पाद न केवल मुंह के कैंसर, सांस की बीमारी और हृदय रोग जैसे प्रत्यक्ष जोखिम पैदा करते हैं। बल्कि इनमें आनुवंशिक सामग्री को बदलने की भी क्षमता है। इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ता है। इनमें से कई वस्तुओं में भारी धातुएं, एंटी-केकिंग एजेंट (अनुमेय सीमा से अधिक), सिल्वर लीफ, बाइंडर और प्रतिबंधित रासायनिक योजक जैसे हानिकारक पदार्थ होते हैं।
नूंह में सबसे ज्यादा खपत
प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए यह निर्देश प्रमुख जिला अधिकारियों, जिनमें पुलिस अधीक्षक, ज़िला खाद्य सुरक्षा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जनसंपर्क अधिकारी को भेजा गया है। बताया गया है कि हरियाणा के नूंह जिले में इनकी खपत दर बहुत ज़्यादा है।
जागरूकता अभियान चलाने की भी योजना
अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार प्रतिबंधित उत्पादों से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों और कानूनी परिणामों के बारे में जनता को सूचित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की भी योजना बना रही है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 की धारा 30 के तहत, राज्य के खाद्य आयुक्तों को हानिकारक माने जाने वाले खाद्य पदार्थों के विरुद्ध निवारक कार्रवाई करने का अधिकार है।
किसने जारी किया आदेश?
खाद्य सुरक्षा आयुक्त मनोज कुमार ने यह आदेश जारी किया है। उन्होंने बताया कि इन उत्पादों से स्वास्थ्य को गंभीर खतरा है। इसलिए यह कदम उठाया गया है। हरियाणा के शहरों और गांवों में इनका इस्तेमाल बहुत ज्यादा होता है। राज्य सरकार के इस कदम की सराहना हो रही है। इसे तंबाकू उत्पादों के इस्तेमाल को कम करने और आने वाली पीढ़ी को बचाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
क्या होता है खतरा?
खाद्य विभाग के अनुसार, ये उत्पाद न केवल मुंह के कैंसर, सांस की बीमारी और हृदय रोग जैसे प्रत्यक्ष जोखिम पैदा करते हैं। बल्कि इनमें आनुवंशिक सामग्री को बदलने की भी क्षमता है। इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर पड़ता है। इनमें से कई वस्तुओं में भारी धातुएं, एंटी-केकिंग एजेंट (अनुमेय सीमा से अधिक), सिल्वर लीफ, बाइंडर और प्रतिबंधित रासायनिक योजक जैसे हानिकारक पदार्थ होते हैं।
नूंह में सबसे ज्यादा खपत
प्रतिबंध को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए यह निर्देश प्रमुख जिला अधिकारियों, जिनमें पुलिस अधीक्षक, ज़िला खाद्य सुरक्षा अधिकारी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जनसंपर्क अधिकारी को भेजा गया है। बताया गया है कि हरियाणा के नूंह जिले में इनकी खपत दर बहुत ज़्यादा है।
जागरूकता अभियान चलाने की भी योजना
अधिकारियों ने बताया कि राज्य सरकार प्रतिबंधित उत्पादों से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों और कानूनी परिणामों के बारे में जनता को सूचित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की भी योजना बना रही है। खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम 2006 की धारा 30 के तहत, राज्य के खाद्य आयुक्तों को हानिकारक माने जाने वाले खाद्य पदार्थों के विरुद्ध निवारक कार्रवाई करने का अधिकार है।
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