गणेश चतुर्थी का पर्व जिसे विनायकी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। देशभर में बड़े ही हर्षोल्लास के साथ गणेश चतुर्थी का अत्सव मनाया जाता है। इस दिन घरों में और पंडालों में गणेशजी को विराजमान किया जाता है। गणेशजी की पूरे विधि विधान के साथ पूजा अर्चना की जाती है और अगले 10 दिनों तक धूमधाम के साथ गणेश उत्सव मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन बप्पा का स्वागत ढोल नगाड़े और पुष्प वर्षा के साथ बहुत ही धूमधाम से किया जाता है। गणेश स्थापना सही विधि और मंत्रों के साथ करना बेहद जरुरी है। ताकि बप्पा का आशीर्वाद आप पर हमेशा बना रहे। यहां जानें गणेश स्थापना की पूजा विधि और मंत्र।
गणेश स्थापना पूजा विधि और मंत्र
गणेश स्थापना करने से पहले एक कलश में पानी भरें और कलश को लेकर आसन बिछाकर बैठ जाएं। इसके बाद हाथ में कुश और जल लेकर ओम अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा। य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:।। इस मंत्र का जप करें और जल को पूजन सामग्री पर छिड़क दें।
इसके बाद ओम केशवाय नम: ओम नाराणाय नम: और ओम माधवाय नम: ओम ह्रषीकेशाय नम: मंत्र का जप करें। फिर जल का अपने मुंह पर लगाएं और फिल हाथ धो लें।
इसके बाद मंडर में अक्षत रखकर उसके ऊपर भगवान गणेश की प्रतिमा रख दें। इसके बाद गणेश व्रत का संकल्प लें। संकल्प ले लिए थोड़ी थोड़ी सारी पूजन सामग्री अपने हाथ में लें जैसे फूल, मिठाई, कुछ दक्षिणा लेकर बोले ‘ओम विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ओम तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2082, तमेऽब्दे नल नाम संवत्सरे सूर्य दक्षिणायने, मासानां मासोत्तमे भाद्र मासे शुक्ले पक्षे चतुर्थी तिथौ बुधवासरे चित्रा नक्षत्रे शुक्ल योगे विष्टि करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकल-पाप-क्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति पूजन -पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये।
इसके बाद कलश की पूजा करें।। कलश पर एक नारियल लाल कपड़े में लपेटकर और फिर मौली से उसे बांधकर रख दें। साथ की कलश में पंच पल्लव भी रखें इसके बाद ही नारियल रखें। कलश के ऊपर एक दीपक जलाकर रख दें।
फिर वरुण देवता का ध्यान करते हुए हाछ में पुष्प और थोड़ा जल लें और बोले ओम त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)’ और फूल को कलश के सामे आर्पित कर दें।
अब गणेश जी की पूजा करें। गणेश जी का ध्यान करें। ध्यान करने से पहले एक फूल अपने हाथ में रखें उसमें कुछ चावल भी रखें। इसके बाद ‘गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।’ मंत्र का जप करते हुए पुष्प गणणेशजी को अर्पित कर दें।
अब हाथ में अक्षत लेकर बोले ओम गं गणपतये इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठो भव।’ और अक्षत गणेश जी अर्पित करें। दोबारा से हाथ में जल लें और बोले ‘एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:।’ जल को जल के पात्र में रख दें।
गणेश जी का तिलक चंदन से करें और तिलक करते समय कहे ‘इदम् रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:,’ फिर सिंदूर से गणेश जी का तिलक करें और कहें ‘इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ओम गं गणपतये नम:’।
फिर गणेशजी को दर्वा और विल्बपत्र चढ़ाएं और अर्पित करते हुए कहे इदं दुर्वादलं ओम गं गणपतये नमः। इदं बिल्वपत्रं ओम गं गणपतये नमः बोलकर क्रमशः।
गणेशजी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करते हुए बोले इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि। गणेशजी को ‘इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:’ और गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं । भोग लगाने का मंत्र ‘इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:’
फिर गणेशजी को पान औप सुपारी अर्पित करते हुए ‘इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:’ और ‘ इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। मंत्र का जप करें।
गणेशजी को फूल अर्पित करते हुए कहें ‘एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:’। और गणेशजी को प्रणाम करें।
अंत में गणेश चालीसा का पाठ करें और फिर गणेशजी का आरती करें और सभी लोगों को प्रसाद बांटें। अंत में बप्पा से पूजा में हुए भूल चूक के लिए माफी मांगे।
गणेश स्थापना पूजा विधि और मंत्र
गणेश स्थापना करने से पहले एक कलश में पानी भरें और कलश को लेकर आसन बिछाकर बैठ जाएं। इसके बाद हाथ में कुश और जल लेकर ओम अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोअपी वा। य: स्मरेत पुण्डरीकाक्षं स बाहान्तर: शुचि:।। इस मंत्र का जप करें और जल को पूजन सामग्री पर छिड़क दें।
इसके बाद ओम केशवाय नम: ओम नाराणाय नम: और ओम माधवाय नम: ओम ह्रषीकेशाय नम: मंत्र का जप करें। फिर जल का अपने मुंह पर लगाएं और फिल हाथ धो लें।
इसके बाद मंडर में अक्षत रखकर उसके ऊपर भगवान गणेश की प्रतिमा रख दें। इसके बाद गणेश व्रत का संकल्प लें। संकल्प ले लिए थोड़ी थोड़ी सारी पूजन सामग्री अपने हाथ में लें जैसे फूल, मिठाई, कुछ दक्षिणा लेकर बोले ‘ओम विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ओम तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2082, तमेऽब्दे नल नाम संवत्सरे सूर्य दक्षिणायने, मासानां मासोत्तमे भाद्र मासे शुक्ले पक्षे चतुर्थी तिथौ बुधवासरे चित्रा नक्षत्रे शुक्ल योगे विष्टि करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकल-पाप-क्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति पूजन -पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये।
इसके बाद कलश की पूजा करें।। कलश पर एक नारियल लाल कपड़े में लपेटकर और फिर मौली से उसे बांधकर रख दें। साथ की कलश में पंच पल्लव भी रखें इसके बाद ही नारियल रखें। कलश के ऊपर एक दीपक जलाकर रख दें।
फिर वरुण देवता का ध्यान करते हुए हाछ में पुष्प और थोड़ा जल लें और बोले ओम त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:। (अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)’ और फूल को कलश के सामे आर्पित कर दें।
अब गणेश जी की पूजा करें। गणेश जी का ध्यान करें। ध्यान करने से पहले एक फूल अपने हाथ में रखें उसमें कुछ चावल भी रखें। इसके बाद ‘गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्।’ मंत्र का जप करते हुए पुष्प गणणेशजी को अर्पित कर दें।
अब हाथ में अक्षत लेकर बोले ओम गं गणपतये इहागच्छ इह सुप्रतिष्ठो भव।’ और अक्षत गणेश जी अर्पित करें। दोबारा से हाथ में जल लें और बोले ‘एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:।’ जल को जल के पात्र में रख दें।
गणेश जी का तिलक चंदन से करें और तिलक करते समय कहे ‘इदम् रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:,’ फिर सिंदूर से गणेश जी का तिलक करें और कहें ‘इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ओम गं गणपतये नम:’।
फिर गणेशजी को दर्वा और विल्बपत्र चढ़ाएं और अर्पित करते हुए कहे इदं दुर्वादलं ओम गं गणपतये नमः। इदं बिल्वपत्रं ओम गं गणपतये नमः बोलकर क्रमशः।
गणेशजी को लाल रंग के वस्त्र अर्पित करते हुए बोले इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि। गणेशजी को ‘इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:’ और गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं । भोग लगाने का मंत्र ‘इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:’
फिर गणेशजी को पान औप सुपारी अर्पित करते हुए ‘इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:’ और ‘ इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। मंत्र का जप करें।
गणेशजी को फूल अर्पित करते हुए कहें ‘एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:’। और गणेशजी को प्रणाम करें।
अंत में गणेश चालीसा का पाठ करें और फिर गणेशजी का आरती करें और सभी लोगों को प्रसाद बांटें। अंत में बप्पा से पूजा में हुए भूल चूक के लिए माफी मांगे।
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