Next Story
Newszop

जम्मू-कश्मीर की राज्यसभा की 4 सीटें खाली, दिल्ली-पंजाब में भी रोटेशन का संकट; चुनाव आयोग की मुश्किल समझिए

Send Push
नई दिल्लीः जम्मू और कश्मीर की राज्यसभा सीटों को लेकर बड़ा सवाल उठ खड़ा हुआ है। ये सीटें फरवरी 2021 से खाली हैं। मामला ये है कि जम्मू और कश्मीर में राज्यसभा के सदस्य एक साथ रिटायर हो रहे हैं। जबकि आर्टिकल 83 के अनुसार, सदस्यों को हर दो साल में रिटायर होना चाहिए। इस स्थिति को देखते हुए राष्ट्रपति कानूनी सलाह ले सकते हैं। वो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में भेज सकते हैं।



चुनाव आयोग की मुश्किल

पंजाब और दिल्ली में भी ऐसा ही हो रहा है। वहां भी राज्यसभा के सभी सदस्य एक साथ रिटायर हो रहे हैं। चुनाव आयोग इस मामले को लेकर मुश्किल में है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रपति जल्द ही इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से सलाह ले सकते हैं। आर्टिकल 143 के तहत राष्ट्रपति किसी कानूनी या सार्वजनिक महत्व के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट से राय मांग सकते हैं।



जम्मू और कश्मीर में क्यों आई समस्या?

जम्मू और कश्मीर में ये समस्या 1990 में इमरजेंसी लगने से शुरू हुई। इमरजेंसी छह साल तक चली। इस दौरान राज्यसभा के सभी सदस्य एक साथ चुने गए। इसलिए उनका कार्यकाल भी एक साथ खत्म हो गया। गुलाम नबी आजाद और नज़ीर अहमद लावे का कार्यकाल 15 फरवरी को खत्म हुआ। वहीं, मीर मोहम्मद फ़याज़ और शमशेर सिंह मन्हास 10 फरवरी को रिटायर हुए। इस वजह से सदस्यों के रिटायर होने का क्रम बिगड़ गया है। अगर चुनाव आयोग इन चार खाली सीटों पर चुनाव कराती है, तो चुने गए सदस्यों का कार्यकाल भी एक साथ खत्म होगा। यह आर्टिकल 83 का उल्लंघन होगा।



पंजाब-दिल्ली में भी एक ही तरह की समस्यापंजाब में भी ऐसा ही हुआ। वहां 1987 तक कई बार इमरजेंसी लगी। इससे राज्यसभा सदस्यों के रिटायर होने का गणित बिगड़ गया। इस वजह से पंजाब के सभी सात राज्यसभा सदस्य 2016 में एक साथ रिटायर हुए। अब जो छह सदस्य अप्रैल-जुलाई 2022 में चुने गए हैं, वे अप्रैल-जुलाई 2028 में रिटायर होंगे। दिल्ली में भी यही हाल है। वहां भी तीनों राज्यसभा सदस्य एक साथ चुने गए हैं। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि विधानसभा ने लंबे समय तक चुनाव या नामांकन नहीं किया। स्वाति मालीवाल, संजय सिंह और नारायण दास गुप्ता 28 जनवरी 2024 को चुने गए थे। ये सभी 27 जनवरी 2030 को रिटायर होंगे।



आर्टिकल 83 में क्या कहा गया है?आर्टिकल 83 में कहा गया है कि राज्यसभा एक स्थायी सदन है। इसे कभी भंग नहीं किया जा सकता। लोकसभा की तरह राज्यसभा हर पांच साल में भंग नहीं होती। इसके एक-तिहाई सदस्य हर दो साल में रिटायर होते हैं। इसे ही रोटेशन का सिद्धांत कहा जाता है। इसका मकसद ये है कि अगर लोकसभा किसी वजह से भंग हो जाती है, तो भी संसद में एक सदन ऐसा होना चाहिए जो लगातार काम करता रहे।



सदस्यों के रिटायर होने का नियम इसलिए भी है ताकि अलग-अलग राज्यों से नए लोग राज्यसभा में आते रहें। लेकिन, कुछ आपात स्थितियों की वजह से यह नियम टूट गया। जैसे कि राष्ट्रीय या राज्य इमरजेंसी, राज्यों का पुनर्गठन, या विधानसभा द्वारा चुनाव या नामांकन न करना। इन वजहों से राज्यसभा सदस्यों के रिटायर होने का क्रम बिगड़ गया।

Loving Newspoint? Download the app now