डोनाल्ड ट्रंप की दुनिया में हर किरदार अपने आप में एक कहानी होता है। उनके फैसलों की तरह ही,उनके चुने हुए लोग भी अक्सर सबको चौंका देते हैं। भारत में अपने नए राजदूत के तौर पर उन्होंने एक ऐसे ही नाम को चुना है,जिसके अतीत और शख्सियत में कई दिलचस्प परतें छिपी हैं। ये नाम है - सर्जियो गोर।गोर कोई मंझे हुए डिप्लोमेट या विदेश नीति के विशेषज्ञ नहीं हैं। वो हैं ट्रंप के एक ऐसे वफादार सिपाही,जो पर्दे के पीछे रहकर उनके लिए बड़ी-बड़ी लड़ाइयां लड़ते रहे हैं। उनकी कहानी उज्बेकिस्तान की गलियों से शुरू होकर व्हाइट हाउस के सबसे ताकतवर कमरों तक पहुंचती है।कौन हैं सर्जियो गोर?गोर का परिवार सोवियत संघ के दौर में उज्बेकिस्तान से निकलकर अमेरिका आया था। उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर अमेरिकी राजनीति में जगह बनाई। उनकी असली पहचान डोनाल्ड ट्रंप के'ट्रबलशूटर'के तौर पर है। वे ट्रंप के2016के चुनाव अभियान से लेकर व्हाइट हाउस में उनके कार्यकाल तक,हमेशा उनके सबसे करीबी लोगों में शामिल रहे। व्हाइट हाउस में काम करने वाले कर्मचारियों की नियुक्ति से लेकर ट्रंप के बड़े फैसलों के पीछे की रणनीति तक,हर जगह गोर की मौजूदगी रही है।तो फिर एलन मस्क ने उन्हें'सांप'क्यों कहा?यह किस्सा भी बड़ा मजेदार है। जब एलन मस्क ट्विटर (अबX)को खरीद रहे थे,तब कुछ समय के लिए ऐसा लगा था कि शायद ये डील पूरी न हो पाए। उस दौर में,सर्जियो गोर,मस्क और ट्विटर के बीच बातचीत में एक अहम कड़ी बने हुए थे।एक दिन,जब डील को लेकर काफी गहमागहमी चल रही थी,तब गोर का एक निजी मैसेज लीक हो गया,जिसमें वे किसी और से इस डील के बारे में कुछ ऐसी बात कर रहे थे जो शायद मस्क को पसंद नहीं आई। इसी लीक के बाद,एलन मस्क ने गुस्से में एक ट्वीट में सर्जियो गोर को सीधे-सीधे "सांप" कह दिया। हालांकि,बाद में जब डील फाइनल हो गई,तो गोर ने मस्क के साथ अपनी एक मुस्कुराती हुई तस्वीर भी पोस्ट की,जिससे लगा कि शायद उनके बीच सब कुछ ठीक हो गया है।भारत के लिए इस नियुक्ति के क्या मायने हैं?अनुभवी राजनयिकों की जगह अपने एक ऐसे भरोसेमंद दोस्त को भारत भेजना,ट्रंप का एक बहुत बड़ाstratégicकदम है। इससे पता चलता है कि ट्रंप भारत के साथ रिश्तों को सीधे अपने कंट्रोल में रखना चाहते हैं। उन्हें एक ऐसा व्यक्ति चाहिए जो उनकी बात को बिना किसी'डिप्लोमेटिक फिल्टर'के सीधे भारत तक पहुंचा सके,और भारत की बात को सीधे उन तक ला सके।सर्जियो गोर की नियुक्ति यह साफ करती है कि आने वाले दिनों में भारत और अमेरिका के रिश्ते पारंपरिक कूटनीति से ज्यादा,व्यक्तिगत भरोसे और सीधी बातचीत पर टिके होंगे। अब देखना यह है कि ट्रंप का यह'सांप'भारत के लिए कैसा'दोस्त'साबित होता है।
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