Next Story
Newszop

सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: बेटियों को पिता की संपत्ति में अधिकार

Send Push
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय


सुप्रीम कोर्ट का निर्णय: कानून के अनुसार, पिता की संपत्ति में सभी संतानों को समान अधिकार प्राप्त होता है। चाहे वह बेटा हो या बेटी, सभी को बराबरी का हिस्सा मिलता है।


बेटियों को संपत्ति का अधिकार

हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण मामले में फैसला सुनाया है, जिसमें चार दशकों के बाद बेटियों को उनके पिता की संपत्ति में अधिकार दिया गया है। अदालत ने हाई कोर्ट के निर्णय में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया, जिससे बेटियों को उनके पिता की संपत्ति पर अधिकार प्राप्त हुआ।


दस्तावेजों का खारिज होना

सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा प्रॉपर्टी विवाद में एक व्यक्ति द्वारा प्रस्तुत दत्तक पुत्र संबंधी दस्तावेज को खारिज करने के आदेश में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया। अदालत ने कहा कि इसका उद्देश्य बेटियों को उनके पिता की संपत्ति से वंचित करना था।


हाई कोर्ट का निर्णय बरकरार

1983 में, जस्टिस सूर्यकांत और एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने दत्तक पुत्र संबंधी दस्तावेज को स्वीकार नहीं किया, जो कि एक लंबी कानूनी लड़ाई का अंत था। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखा है।


शर्तों का पालन न होना

अदालत ने यह निर्णय दिया कि दत्तक पुत्र संबंधी कार्रवाई में आवश्यक शर्तों का पालन नहीं किया गया था। कानून के अनुसार, गोद लेने वाले को अपनी पत्नी की सहमति लेनी होती है, जो इस मामले में नहीं हुई।


मामला अदालत में

यह मामला उत्तर प्रदेश का है। शिव कुमारी देवी और हरमुनिया नेश्वर सिंह की बेटियां हैं। हरमुनिया का निधन हो चुका है। मृत्यु के बाद, अशोक कुमार ने भुनेश्वर सिंह की संपत्ति को अपनाने के लिए अदालत में याचिका दायर की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दत्तक पुत्र से संबंधित दस्तावेज पेश किए।


कोर्ट में दावा

याचिकाकर्ता ने कहा कि भुनेश्वर सिंह ने उनके जैविक पिता सूबेदार सिंह से जन्म लिया था। अदालत में इससे संबंधित एक चित्र प्रस्तुत किया गया। 11 दिसंबर 2024 को हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ अशोक कुमार की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी।


मामला पुराना

यह मामला वास्तव में 9 अगस्त 1967 के दत्तक पुत्र संबंधी दस्तावेज से संबंधित है, जिसे हाईकोर्ट ने स्वीकार करने से इनकार कर दिया था। अदालत ने निर्णय दिया कि अनिवार्य प्रक्रियाओं का पालन नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने भी हाईकोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए चार दशकों बाद बेटियों को पिता की संपत्ति में अधिकार दिया है।


Loving Newspoint? Download the app now