हाल ही में, कानपुर में 'आई लव मोहम्मद' पोस्टर को लेकर सोशल मीडिया पर जो जानकारी फैल रही थी, वह पूरी तरह से गलत है। यह झूठ देश के कई हिस्सों में आग की तरह फैल गया, जिससे तनाव और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। शुक्रवार की नमाज़ के बाद, मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग बरेली में अल हज़रत दरगाह के आसपास 'आई लव मोहम्मद' के पोस्टर लेकर जमा हो गए। देखते ही देखते यह विरोध प्रदर्शन हिंसक झड़प में बदल गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया, जिसके बाद पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। इस घटना के बाद कई लोगों को गिरफ़्तार किया गया।
इसी बीच, रज़ा अकादमी और एमएसओ ने दिल्ली उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर 'आई लव मोहम्मद' के समर्थन में लोगों पर हाल ही में दर्ज किए गए मुक़दमों और गिरफ़्तारियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग की है। उनका तर्क है कि पैगंबर मोहम्मद के प्रति प्रेम और सम्मान दिखाना एक व्यक्तिगत और धार्मिक भावना है, और अगर कोई ऐसा करता है और शांति बनाए रखता है, तो इसे अपराध नहीं माना जाना चाहिए।
बरेली का पूरा मामला क्या है?इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रज़ा खान ने 'आई लव मोहम्मद' अभियान के समर्थन में प्रदर्शन की घोषणा की थी। लेकिन प्रशासन की अनुमति न मिलने के कारण उन्होंने प्रदर्शन को वहीं स्थगित कर दिया। जब लोगों को प्रदर्शन रद्द होने की खबर मिली, तो वे भड़क गए और मस्जिद के पास और रज़ा के घर के बाहर जमा हो गए। जब भीड़ प्रदर्शन के लिए इस्लामिया इंटर कॉलेज मैदान की ओर बढ़ी, तो पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। इसी बीच, खलील तिराहा के पास लोगों ने पथराव किया और वाहनों में तोड़फोड़ की, जिससे भगदड़ मच गई।
बरेली में जुमे की नमाज के बाद पथराव (फोटो: पीटीआई) पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर भीड़ को तितर-बितर किया और कई लोगों को गिरफ्तार किया। वहीं, दुकानों में अफरा-तफरी मच गई और बाजार बंद हो गए। अधिकारियों ने कहा कि पूरी घटना एक साजिश के तहत हुई है, दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। 'आई लव मोहम्मद' पोस्टर को लेकर उत्तर प्रदेश से लेकर गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक तक विरोध प्रदर्शन हुए। लेकिन सोशल मीडिया पर फैले कई दावे झूठे हैं।
बरेली के डीएम अविनाश सिंह ने क्या कहा?बरेली के डीएम अविनाश सिंह ने बताया कि कुछ दिन पहले एक संगठन ने शुक्रवार को जुलूस निकालकर ज्ञापन सौंपने की योजना बनाई थी। प्रशासन ने उन्हें पहले ही लिखित में सूचित कर दिया था कि ऐसा करने के लिए उन्हें लिखित अनुमति लेनी होगी, क्योंकि पूरे जिले में धारा 163 बीएनएस लागू है। हालाँकि, जुमे की नमाज के बाद कुछ लोग सड़कों पर उतर आए और शांति भंग करने की कोशिश की। इसके बाद मजिस्ट्रेट और पुलिस ने तुरंत सख्त कार्रवाई की और लोगों को अपने घरों को लौटने पर मजबूर कर दिया।
बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने क्या कहा?बरेली के एसएसपी अनुराग आर्य ने कहा कि दिन भर कोई बड़ी गड़बड़ी नहीं हुई। जिले में लगभग सभी जगहों पर जुमे की नमाज सुरक्षित रूप से अदा की गई। ऐसा केवल कोतवाली क्षेत्र में हुआ, जहाँ लगभग 2.30 बजे इस्लामिया मैदान में इकट्ठा होने के आह्वान पर लोग इकट्ठा होने लगे और विभिन्न चौराहों पर वहाँ जाने की ज़िद करने लगे।
उन्होंने बताया कि प्रशासन ने विभिन्न स्थानों पर बैठकों के माध्यम से सभी को सूचित किया कि इस्लामिया मैदान पर न तो सरकार से, न प्रशासन से और न ही पुलिस से अनुमति मिली है। इसके बावजूद, जो लोग आए, उन्होंने पुलिस के साथ बदसलूकी की और पथराव किया। जब लोग नहीं माने, तो पुलिस ने अपने प्रशिक्षण के अनुसार, न्यूनतम बल प्रयोग करके भीड़ को तितर-बितर कर दिया। एसएसपी ने कहा कि इस मामले में सीधे तौर पर शामिल लोगों की विस्तृत जाँच की जा रही है। उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि गोलीबारी की भी सूचना मिली है। फोन करने, लोगों को इकट्ठा करने और पुलिस प्रशासन को गुमराह करने में शामिल लोगों के खिलाफ भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
झूठे दावे और उनकी सच्चाईदावा 1: कानपुर में पोस्टर लगाने के आरोप में नौ नामजद और 15 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
सच्चाई: यह पूरी तरह से गलत है। कानपुर पुलिस ने खुद इस बात से इनकार किया कि आई लव मोहम्मद के पोस्टर लगाने के लिए कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। कार्रवाई केवल जानबूझकर उकसाने और गलत जगह पर उकसाने के लिए की गई थी।
दावा 2: भारत में मुसलमानों को उनके मौलिक अधिकारों के खिलाफ 'आई लव मोहम्मद' कहने से रोका जा रहा है।
सच: यह भी गलत है। जिन मामलों में कार्रवाई हुई, वे बिना अनुमति के जुलूस या मार्च निकालने वालों के खिलाफ थी। किसी भी व्यक्ति या नेता को सड़क पर रैली या मार्च निकालने के लिए प्रशासन की अनुमति आवश्यक है।
उत्तर: बिना अनुमति के किए गए कार्य सभी के लिए समान हैं, धर्म या राजनीतिक संबद्धता के आधार पर नहीं।
दावा 3: पुलिस घरों पर पोस्टर लगाने से रोक रही है।
सच्चाई: यह दावा भी झूठा है। कई राज्यों में घरों पर 'आई लव मोहम्मद' के पोस्टर लगे हैं और उन्हें हटाया नहीं गया है। केवल सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर लगाने के लिए प्रशासन की अनुमति आवश्यक है।
तौकीर रज़ा खान कौन हैं?
इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल के प्रमुख मौलाना तौकीर रज़ा खान एक प्रसिद्ध मुस्लिम नेता और मौलाना हैं। उन्हें सुन्नी मुस्लिम समाज का पैरोकार माना जाता है। उन पर कई बार दंगे भड़काने का आरोप लग चुका है। रज़ा के खिलाफ 2010 के बरेली दंगों का भी मामला दर्ज है, जो अभी अदालत में लंबित है।
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