भोजपुर हमेशा से राजनीतिक चेतना और सामाजिक आंदोलनों की धरती रही है। यहाँ की महिलाओं ने भी अपने साहस, संघर्ष और नेतृत्व कौशल से राजनीति में स्वर्णिम इतिहास रचा है। भोजपुर ज़िले की महिला विधायक सुमित्रा देवी बिहार में कैबिनेट मंत्री बनने वाली पहली महिला बनीं। 1963 में उन्होंने पहली कैबिनेट मंत्री बनकर एक नया कीर्तिमान रचा।
स्वर्णिम इतिहास लिखने का यह सिलसिला यहीं नहीं रुका; भोजपुर ज़िले में हुए 17 विधानसभा चुनावों के इतिहास में उनके नाम छह बार विधायक चुने जाने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। सुमित्रा देवी ने जगदीशपुर, पीरो और आरा विधानसभा क्षेत्रों से चुनाव जीतकर यह कीर्तिमान स्थापित किया।
ऐसा नहीं है कि उनसे ज़्यादा बार किसी ने कोशिश नहीं की, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद कोई भी महिला उम्मीदवार न तो इस रिकॉर्ड की बराबरी कर पाई और न ही सात बार विधायक बनने का यह रिकॉर्ड तोड़ पाई।सुमित्रा देवी ने पहली बार 1952 में जगदीशपुर विधानसभा क्षेत्र और 1957 में पीरो विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। इसके बाद, 1962, 1967, 1972 और 1977 में आरा विधानसभा क्षेत्र से उनकी जीत ने राजनीतिक पंडितों को चौंका दिया। सुमित्रा देवी जगजीवन राम की पुत्रवधू थीं।
वे मूल रूप से जगदीशपुर के मंसुदी गाँव की रहने वाली थीं। उनके बेटे मंजुल प्रकाश ने जगजीवन राम की बेटी मीरा कुमार से विवाह किया। अपने छह बार के विधायक कार्यकाल के दौरान, वे बिहार सरकार में पहली कैबिनेट स्तर की महिला मंत्री भी बनीं।अक्टूबर 2005 के चुनाव में दो महिला विधायकों ने एक साथ जीत हासिल कीभोजपुर जिले में अक्टूबर 2005 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं ने पहली बार एक नया रिकॉर्ड बनाया। इस चुनाव में आशा देवी बरहरा और मुन्नी देवी शाहपुर विधानसभा क्षेत्र से एक साथ जीतीं।
इससे पहले और बाद में, दो महिलाएं कभी भी एक साथ विधायक नहीं चुनी गईं। 2020 में किरण देवी ने संदेश से एकमात्र विधायक बनकर इतिहास रच दिया।महिलाओं में ज्योति, आशा और मुन्नी देवी भी दो-दो बार चुनाव जीत चुकी हैं।भोजपुर जिले में ज्योति, आशा देवी और मुन्नी देवी ने भी दो-दो बार विधायक का चुनाव जीतने का अपना सपना पूरा किया है।ज्योति 1985 और 1990 में सहार विधानसभा क्षेत्र से विधायक बनीं। आशा देवी ने फरवरी 2005 और अक्टूबर 2005 में बड़हरा विधानसभा क्षेत्र से जीत हासिल की।मुन्नी देवी शाहपुर विधानसभा क्षेत्र से दो बार, अक्टूबर 2005 और 2010 में विधायक बनीं। वहीं, कांति सिंह ने 1995 में पिरोई से विधायक बनने का अपना सपना पूरा किया।
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