भारत में हर राज्य के पर्व-त्योहार अपनी विशेषता लिए होते हैं। इन पर्वों में उपवास और उससे जुड़े खास व्यंजनों का भी गहरा महत्व है। ऐसा ही एक पर्व है जितिया व्रत, जिसे जिवितपुत्रिका व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े श्रद्धा भाव से मनाया जाता है। माताएं यह व्रत अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि के लिए रखती हैं।
जितिया व्रत की विशेषता यह है कि इसमें माताएं पूरे दिन बिना जल तक ग्रहण किए उपवास करती हैं और अगले दिन सुबह पारणा करती हैं। पारणा में विशेष व्यंजन बनाए जाते हैं, जिनमें अगस्त फूल के पकोड़े प्रमुख माने जाते हैं। यह पकवान केवल स्वाद और स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
जितिया व्रत और अगस्त फूल का संबंधइस व्रत में अगस्त फूल के पकोड़े बनाने की परंपरा सदियों पुरानी है। लोकमान्यताओं के अनुसार, अगस्त फूल को व्रत के पारणा में शामिल करने से देव-देवताओं की कृपा प्राप्त होती है और संतान की रक्षा होती है। माना जाता है कि यह पकवान नकारात्मक शक्तियों को दूर करता है और घर-परिवार में सुख-समृद्धि लाता है।
धार्मिक मान्यता यह भी है कि अगस्त फूल शुद्धता और सात्विकता का प्रतीक है। इसलिए इसे व्रत और पूजन से जुड़े भोजन में शामिल करना शुभ माना जाता है।
अगस्त फूल का धार्मिक महत्वइसे पवित्र और सात्विक माना गया है, इसलिए व्रत के पारणा में इसका उपयोग अनिवार्य होता है।
लोककथाओं में कहा गया है कि अगस्त फूल के पकोड़े खाने से संतान की उम्र लंबी होती है और बीमारियों से रक्षा होती है।
यह फूल शुद्धता और संकल्प का प्रतीक माना जाता है।
अगस्त फूल केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखता, बल्कि यह कई औषधीय गुणों से भरपूर है।
पाचन में सहायक – उपवास के बाद पेट पर अचानक भारी भोजन का असर न पड़े, इसके लिए अगस्त फूल पाचन को सहज बनाता है।
डिटॉक्स गुण – इसमें मौजूद तत्व शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करते हैं।
संक्रमण से बचाव – मौसम बदलने पर होने वाली बीमारियों से रक्षा करता है।
गर्मी-ठंडक का संतुलन – यह फूल शरीर में संतुलन बनाए रखने में सहायक है।
जितिया व्रत केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि मातृत्व की गहरी संवेदनाओं को भी दर्शाता है। माताएं अपनी संतान की रक्षा के लिए कठोर उपवास करती हैं। अगस्त फूल के पकोड़े इस व्रत की परंपरा का हिस्सा बनकर मातृ शक्ति, प्रेम और त्याग का प्रतीक बन जाते हैं।
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