गुजरात एटीएस ने आईएसआईएस से जुड़े तीन आतंकियों को गिरफ्तार कर एक बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि ये आतंकवादी लखनऊ में आरएसएस कार्यालय और दिल्ली की आजादपुर मंडी में हमले की योजना बना रहे थे। इनकी गिरफ्तारी से देश में संभावित आतंकी हमले टल गए।
सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार आतंकियों की पहचान और उनकी गतिविधियों का पता लगाने के लिए एटीएस ने महीनों तक गहन जासूसी और खुफिया जानकारी एकत्र की। गिरफ्तारी के दौरान उनसे हथियार, विस्फोटक और डिजिटल उपकरण भी बरामद हुए हैं, जिनका इस्तेमाल हमले की योजना बनाने में किया जाना था।
गुजरात एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि गिरफ्तार आतंकियों से पूछताछ में उनके बड़े नेटवर्क और अन्य स्लीपर सेल की जानकारी सामने आ रही है। एजेंसियां अब इन नेटवर्क और छिपे हुए आतंकवादियों की तलाश में पूरी तरह जुट गई हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई देश की सुरक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है।
विशेषज्ञ प्रो. रवीश कुमार का कहना है कि इस तरह की गिरफ्तारी यह दिखाती है कि खुफिया एजेंसियों की सतर्कता और त्वरित कार्रवाई से बड़े आतंकी हमलों को समय रहते रोका जा सकता है। उन्होंने कहा, “आईएसआईएस और अन्य आतंकवादी संगठन लगातार अपने नेटवर्क का विस्तार कर रहे हैं। ऐसे में स्लीपर सेल और उनकी योजनाओं पर निगरानी बेहद आवश्यक है।”
पुलिस और एटीएस ने जनता से अपील की है कि वे किसी भी संदिग्ध गतिविधि या संदिग्ध व्यक्ति की जानकारी तुरंत अधिकारियों को दें। उन्होंने कहा कि नागरिकों की सतर्कता और सहयोग भी आतंकवाद से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
गिरफ्तार आतंकियों की जांच के दौरान यह भी सामने आया कि वे सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से संवाद कर रहे थे और हमले की रणनीति बना रहे थे। एजेंसियां इस डिजिटल साक्ष्य की भी पड़ताल कर रही हैं ताकि पूरे नेटवर्क का पता लगाया जा सके।
इस गिरफ्तारी ने न केवल देश की सुरक्षा एजेंसियों की क्षमता को दिखाया है, बल्कि यह नागरिकों में भी सुरक्षा के प्रति विश्वास बढ़ाने का काम कर रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि आतंकवाद और इसके फैलाव को रोकने के लिए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सतर्कता बनाए रखना जरूरी है।
इस प्रकार, गुजरात एटीएस की कार्रवाई ने लखनऊ और दिल्ली में संभावित आतंकी हमलों को रोकने में अहम भूमिका निभाई। तीन आतंकियों की गिरफ्तारी और उनके बड़े नेटवर्क की खोज यह संदेश देती है कि सुरक्षा एजेंसियां लगातार सक्रिय हैं और देश को आतंकी गतिविधियों से बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं।
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