क्रिकेट न्यूज डेस्क।। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) ने हाल ही में 'ब्रोंको टेस्ट' नामक एक नया फिटनेस मानक पेश किया है, जिसने चयन प्रक्रिया में फिटनेस के महत्व को और बढ़ा दिया है। पूर्व बल्लेबाज मनोज तिवारी ने वनडे कप्तान रोहित शर्मा पर इसके प्रभाव पर सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि यह टेस्ट रोहित को भविष्य की योजनाओं से बाहर रखने के इरादे से लागू किया गया होगा।
टेस्ट का उद्देश्य और समय
ब्रोंको टेस्ट को भारतीय टीम के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में शामिल किया गया है, जिसमें एक खिलाड़ी को एक सेट में 20 मीटर, 40 मीटर और 60 मीटर की दूरी पूरी करनी होती है। कुल दूरी लगभग 1200 मीटर होती है, जिसे छह मिनट में पूरा करना होता है। यह टेस्ट पहले से मौजूद यो-यो टेस्ट और दो किलोमीटर के टाइम-ट्रायल के साथ खिलाड़ियों की फिटनेस का आकलन करेगा। यह टेस्ट तेज़ गेंदबाज़ों की एरोबिक क्षमता बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। इसका सुझाव टीम के नए स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच एड्रियन ले रॉक्स ने दिया था और मुख्य कोच गौतम गंभीर ने इसे मंजूरी दी थी।
गेंदबाजों के लिए लाया गया
हाल ही में, यह देखा गया है कि भारतीय तेज़ गेंदबाज़ लंबे समय से चोटों से जूझ रहे हैं। इस साल के आईपीएल से पहले कई प्रमुख तेज़ गेंदबाज़ चोटिल हो गए थे। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, अब उनकी सहनशक्ति बढ़ाने और उन्हें लंबे समय तक फिट रखने के लिए यह टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है। यह टेस्ट रग्बी से लिया गया है और खिलाड़ियों की एरोबिक क्षमता और दौड़ने की सहनशक्ति की जाँच के लिए बनाया गया है। कोचिंग स्टाफ का मानना है कि खिलाड़ी जिम में ज़्यादा समय बिता रहे हैं, जबकि असली चुनौती मैदान पर लगातार दौड़ना और पारी दर पारी गेंदबाज़ी करना है। यह टेस्ट सुनिश्चित करेगा कि तेज़ गेंदबाज़ बिना थके लंबे समय तक अपनी गेंदबाज़ी की गति बनाए रख सकें।
एक खेल वेबसाइट से बात करते हुए, पूर्व भारतीय क्रिकेटर मनोज तिवारी ने सार्वजनिक रूप से इस टेस्ट पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि 2027 विश्व कप की योजनाओं में विराट कोहली को रखना आसान होगा, लेकिन रोहित शर्मा की फिटनेस से जुड़ा यह टेस्ट चयन को प्रभावित कर सकता है। उनका अनुमान है कि यह टेस्ट बाद के चरणों में कुछ खास खिलाड़ियों को बाहर करने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।
मनोज तिवारी ने कहा, 'मुझे लगता है कि विराट कोहली को 2027 विश्व कप की योजनाओं से बाहर रखना बहुत मुश्किल होगा, लेकिन मुझे शक है कि रोहित शर्मा इस योजना में शामिल होंगे या नहीं। देखिए, मैं भारतीय क्रिकेट के घटनाक्रम पर कड़ी नज़र रख रहा हूँ। मेरा मानना है कि कुछ दिन पहले लागू किया गया यह ब्रोंको टेस्ट ख़ास तौर पर रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों के लिए लाया गया है, जिन्हें कुछ लोग भविष्य की टीम का हिस्सा नहीं बनाना चाहते। इसीलिए इसे लागू किया गया है।'
उन्होंने आगे कहा, 'ब्रोंको टेस्ट भारतीय क्रिकेट में लागू किए जाने वाले सबसे कठिन फिटनेस टेस्ट मानदंडों में से एक होगा। लेकिन असली सवाल यह है कि अभी क्यों? जब आपके नए मुख्य कोच ने पहली सीरीज़ से ही कार्यभार संभाला था, तब क्यों नहीं? यह विचार किसका था? इसे किसने लागू किया? किसने कहा कि इसे कुछ दिन पहले लागू किया गया था? ये ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब मेरे पास नहीं हैं। लेकिन मेरा मानना है कि अगर रोहित शर्मा अपनी फिटनेस पर कड़ी मेहनत नहीं करेंगे, तो उन्हें मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। और मुझे लगता है कि ब्रोंको टेस्ट के आधार पर उन्हें रोक दिया जाएगा।'
इस फिटनेस टेस्ट के समय पर भी आपत्ति जताई जा रही है। फैन्स सवाल उठा रहे हैं कि यह टेस्ट गौतम गंभीर के मुख्य कोच बनने और एड्रियन के जून में टीम से जुड़ने के बाद ही क्यों शुरू किया गया? इस मैच की क्या ज़रूरत थी, क्योंकि यह नियम पहले भी बनाया जा सकता था। फैन्स का मानना है कि चयन प्रक्रिया में ब्रोंको टेस्ट को मानदंड बनाने से इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठेंगे। अब यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि रोहित शर्मा इस फिटनेस चुनौती को पार कर पाते हैं या नहीं और यह टेस्ट उनके वनडे करियर पर असर डालता है या नहीं।
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