शिमला, 21 मई . राजधानी शिमला के सबसे बड़े उपनगर संजौली में स्थित विवादित मस्जिद को लेकर मंगलवार शाम एक बार फिर तनाव का माहौल बन गया. हिंदू संगठन देवभूमि संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने मस्जिद के बाहर सड़क पर हनुमान चालीसा का पाठ कर विरोध जताया और प्रशासन पर दोहरे रवैये का आरोप लगाया.
प्रदर्शनकारियों को जब मस्जिद स्थल की ओर बढ़ने से पुलिस ने रोका, तो उन्होंने सड़क पर ही बैठकर पाठ शुरू कर दिया और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. समिति के सह-संयोजक विजय शर्मा ने आरोप लगाया कि मस्जिद का निर्माण अवैध भूमि पर हुआ है जो जमाबंदी में देवस्थान के नाम दर्ज है. उन्होंने कहा कि जब तक मस्जिद को गिराया नहीं जाता तब तक वहां किसी भी प्रकार की धार्मिक गतिविधि नहीं होनी चाहिए.
विजय शर्मा ने चेतावनी दी कि अगर शुक्रवार को नमाज अदा की गई तो प्रदेशभर से सनातनी संजौली पहुंचेंगे और बड़ा जनांदोलन शुरू होगा. उन्होंने यह भी कहा कि यदि प्रशासन ने हिंदू संगठनों को धार्मिक गतिविधियों से रोका है, तो मुस्लिम समुदाय को भी नमाज की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए.
बिजली-पानी काटने की मांग, बाहरी लोगों पर भी सवाल
समिति के एक अन्य सह-संयोजक मदन ठाकुर ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि मस्जिद में रह रहे कुछ लोग बाहरी हैं और बिना वैध दस्तावेजों के शिमला में रह रहे हैं. उन्होंने मस्जिद स्थल की बिजली और पानी की आपूर्ति तत्काल बंद करने तथा आमजन की आवाजाही पर भी पूर्ण रोक लगाने की मांग की.
मदन ठाकुर ने स्पष्ट किया कि यदि शुक्रवार को दोबारा नमाज पढ़ी गई, तो वह अंतिम जुमे की नमाज साबित होगी, जिसके बाद संघर्ष की राह अपनाई जाएगी. उन्होंने कहा कि हिंदू समुदाय संविधान का पालन कर रहा है, तो मुस्लिम समुदाय को भी नियमों का आदर करना चाहिए.
मस्जिद को गिराने का आदेश, अब तक नहीं हुई कार्रवाई
संजौली की यह मस्जिद पिछले कई महीनों से विवादों में घिरी है. नगर निगम शिमला के आयुक्त भूपिंदर अत्री की अदालत ने 3 मई 2025 को मस्जिद के संपूर्ण निर्माण को अवैध घोषित करते हुए इसे ढहाने का अंतिम आदेश जारी किया था. इससे पहले 5 अक्टूबर 2024 को मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलें हटाने के निर्देश दिए गए थे. बावजूद इसके, अब तक सिर्फ आंशिक ध्वस्तीकरण हुआ है और एक मंजिल व कुछ पिलर अब भी खड़े हैं.
प्रशासन के लिए यह कार्यवाही आसान नहीं रही है, क्योंकि मस्जिद रिहायशी क्षेत्र के बीच स्थित है. सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासन अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है.
पिछले वर्ष भी भड़का था विवाद, पुलिस को करनी पड़ी थी सख्ती
यह विवाद पहली बार अगस्त 2024 में तब सुर्खियों में आया जब शहर के मल्याणा क्षेत्र में दो समुदायों के बीच झड़प हो गई थी जिसमें एक व्यक्ति घायल हुआ था. इसके बाद 1 सितंबर को मस्जिद के बाहर तनाव और बढ़ गया. 11 सितंबर को हिंदू संगठनों द्वारा किए गए उग्र प्रदर्शन में पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा था, जिसमें कई प्रदर्शनकारी और पुलिसकर्मी घायल हुए थे.
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/ उज्जवल शर्मा
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