जींद, 8 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . फसल अवशेष (पराली) जलाने से बढ़ते प्रदूषण और पर्यावरण को होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए एसडीएम सत्यवान सिंह मान ने बुधवार को स्थानीय लघु सचिवालय में अधिकारियों की बैठक ली. बैठक में पराली प्रबंधन से संबंधित योजनाओं की समीक्षा की गई और दिशा-निर्देश जारी किए गए. एसडीएम मान ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी हालत में खेतों में फसल अवशेष नहीं जलने चाहिए. उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन द्वारा किसानों को जागरूक करने, वैकल्पिक उपाय अपनाने और कानून का पालन सुनिश्चित करने के लिए एक विस्तृत रणनीति बनाई गई है. जिसे सख्ती से लागू किया जाएगा.
पराली प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए क्षेत्र अनुसार नोडल अधिकारियों की नियुक्ति की गई है. येलो जोन में प्रत्येक 50 किसानों पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है. ग्रीन जोन में प्रत्येक 100 किसानों पर एक नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी तय की गई है. इन नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे फील्ड में सक्रिय रूप से मौजूद रहकर किसानों को पराली न जलाने के लिए प्रेरित करें. वैकल्पिक समाधान बताएं और प्रशासन की योजनाओं का लाभ दिलवाने में सहयोग करें.
फील्ड स्तर पर कार्य की मॉनिटरिंग को पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से सभी नोडल अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे संबंधित सरकारी एप पर अपनी फील्ड विजिट की फोटो और जानकारी अपलोड करें. जिससे प्रशासनिक निगरानी सुचारु रूप से हो सके. एसडीएम ने कहा कि पराली जलाना न केवल कानूनन अपराध है बल्कि यह हमारे पर्यावरण और आने वाली पीढिय़ों के स्वास्थ्य के लिए भी गंभीर खतरा है. सभी अधिकारी एवं विभाग इस अभियान को गंभीरता से लें और किसानों को समझाइश दें कि पराली जलाना अंतिम विकल्प नही बल्कि नुकसानदायक है.
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(Udaipur Kiran) / विजेंद्र मराठा
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