श्रीनगर 08 अगस्त (Udaipur Kiran) । मुख्य सचिव अटल डुल्लू ने देश भर में व्यापार सुगमता सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार के कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में गठित राष्ट्रीय कार्यबल द्वारा अनुशंसित अनुपालन न्यूनीकरण और विनियमन-मुक्ति सुधारों के कार्यान्वयन की समीक्षा हेतु एक बैठक की अध्यक्षता की।
बैठक में आवास एवं शहरी विकास विभाग के आयुक्त सचिव, वन विभाग के आयुक्त सचिव, उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के आयुक्त सचिव, ग्रामीण विकास विभाग के आयुक्त सचिव, विधि विभाग के सचिव और उद्योग एवं वाणिज्य विभाग के निदेशक, जम्मू सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने प्रमुख सुधार क्षेत्रों की प्रगति का जायजा लिया। उन्होंने सभी विभागों को कार्यबल द्वारा निर्धारित एजेंडे का समयबद्ध और पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
इस अभ्यास की तात्कालिकता और महत्व पर ज़ोर देते हुए उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि इसमें ढिलाई या देरी की कोई गुंजाइश नहीं है और प्रशासनिक प्रमुखों को कार्यान्वयन की स्थिति की नियमित निगरानी करनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सुधार प्रभावी ढंग से लागू हों। उन्होंने सभी प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में अनुपालन के साक्ष्यों को बिना किसी और देरी के अपलोड करने की आवश्यकता पर बल दिया और इस बात पर ज़ोर दिया कि ये सुधार समग्र रूप से व्यापार सुगमता में सुधार के लिए महत्वपूर्ण हैं।
मुख्य सचिव ने नियामक परिवर्तनों को मिशन-मोड में लागू करने का आह्वान किया। उन्होंने उद्योग एवं वाणिज्य विभाग को सभी दस्तावेज़ीकरण और रिपोर्टिंग पूरी करने के निर्देश दिए। विभागों को सुचारू रूप से कार्यान्वयन में सहायता प्रदान करके आवश्यकताओं को शीघ्रता से पूरा किया जाएगा।
उद्योग एवं वाणिज्य आयुक्त सचिव, विक्रमजीत सिंह ने बैठक में बताया कि विभिन्न विभागों में 434 सुधार बिंदुओं को पहले ही सफलतापूर्वक लागू किया जा चुका है। हालाँकि टास्क फोर्स ने कुछ विशिष्ट सुधार बिंदुओं को और अधिक परिष्कृत करने के लिए अपनी टिप्पणियों के साथ वापस कर दिया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि नोडल विभाग के रूप में उद्योग एवं वाणिज्य इन कमियों को सक्रिय रूप से दूर कर रहा है और संबंधित विभागों के साथ समन्वय में लंबित क्षेत्रों के लिए समय पर अनुपालन अपलोड सुनिश्चित करेगा।
उद्योग एवं वाणिज्य निदेशक जम्मू अरुण कुमार मन्हास ने आगे की जानकारी देते हुए, तत्काल कार्रवाई के लिए पहचाने गए कई प्रमुख सुधार क्षेत्रों की रूपरेखा प्रस्तुत की। इनमें विकास परियोजनाओं में मिश्रित भूमि उपयोग को सुगम बनाने के लिए मास्टर प्लान में अनुकूल ज़ोनिंग नियमों को अपनाना, भूमि उपयोग परिवर्तन प्रक्रिया का सरलीकरण और डिजिटलीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों में औद्योगिक इकाइयों के लिए न्यूनतम सड़क मानकों को युक्तिसंगत बनाना शामिल था।
जिन सुधार बिंदुओं पर चर्चा हुई उनमें औद्योगिक और वाणिज्यिक भूखंडों में भूमि हानि को कम करने के लिए भवन नियमों में संशोधन, खतरनाक क्षेत्रों में महिलाओं के काम करने पर प्रतिबंध हटाना, कारखाना कानूनों के तहत काम के घंटों की सीमा की समीक्षा, वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों के लिए व्यावसायिक घंटों पर प्रतिबंध हटाना और तृतीय-पक्ष पैनल एजेंसियों के माध्यम से अग्नि अनापत्ति प्रमाण पत्र का प्रावधान आदि शामिल थे।
उन्होंने कहा कि ये सुधार केंद्र शासित प्रदेश में एक मजबूत और व्यापार-अनुकूल औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र के निर्माण के लिए हैं।
गौरतलब है कि उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग द्वारा शुरू की गई व्यापार सुधार कार्य योजना, भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है जिसका उद्देश्य नियामक ढाँचों को सरल बनाना और देश भर में व्यापार करने में आसानी को बढ़ाना है।
(Udaipur Kiran) / बलवान सिंह
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