हरिद्वार, 7 अक्टूबर (Udaipur Kiran News) . करवा चौथ व्रत जिसको करक चतुर्थी बोलते हैं. यह व्रत Indian संस्कृति के उस पवित्र-बंधन एवं अखंड सौभाग्य का प्रतीक है, जो पति-पत्नी के बीच प्रेम रूपी डोरी को जोड़ता है. सौभाग्यवती स्त्रियों द्वारा यह व्रत चन्द्रोदय व्यापिनी कार्तिक कृष्ण चतुर्थी को किया जाता है.
इस बार करवा चौथ को लेकर Assamंजस की स्थिति बनी हुई है कि किस दिन व्रत किया जाए. इस संबंध में ज्योतिषाचार्य पं. उज्ज्वल पंडित का कहना है कि इस व्रत की तिथि का निर्णायक गणेश चतुर्थी व्रत वाला ही है. शास्त्रानुसार (धर्मसिन्धु) यदि तृतीयायुक्त चतुर्थी में चन्द्रोदय न हो और दूसरे दिन भी चतुर्थी में चन्द्रोदय न हो, तो परयुक्ता अर्थात उदय व्यापिनी चतुर्थी तिथि ग्रहण करें. यदि दोनों दिन चतुर्थी में चंद्रोदय हो, तो पहली तृतियायुक्त चतुर्थी लें. परन्तु यदि दोनों दिन चतुर्थी में चन्द्रोदय न हो तो परयुता चतुर्थी ही ग्रहण करें अर्थात दूसरे दिन ही व्रत रखने की शास्त्राज्ञा है.
बताया कि इस वर्ष 9 अक्टूबर, गुरुवार को तृतीया तिथि रात्रि 10.55 तक व्याप्त रहेगी. चन्द्रोदय लगभग सारे भारत में तृतीया तिथिकालीन सांय 07.15 से 08 बजे तक हो जाएगा. परन्तु 10 अक्टूबर दिन शुक्रवार को चतुर्थी तिथि सांय 07.39 बजे तक व्याप्त रहेगी. सम्पूर्ण भारत मे इस दिन चन्द्रोदय सांय 07.39 बजे के बाद ही होगा.
ऐसे में दोनों दिन चतुर्थी तिथि चन्द्रोदय स्पर्श नहीं कर रही है (अर्थात चन्द्रोदय के समय चतुर्थी तिथि नहीं होगी .) अतः धर्मसिन्धु निर्णयानुसार करक चतुर्थी व्रत (करवा चौथ) दूसरे दिन (10 अक्टूबर दिन शुक्रवार) ही किया जाएगा.
(Udaipur Kiran) / डॉ.रजनीकांत शुक्ला
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