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राजगढ़ःफर्जी अनुमति के सहारे अजनार नदी लगे किनारे हरे भरे विशालकाय पेड़ काटे

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राजगढ़,30 मई . ब्यावरा शहर के बीचो बीच से न‍िकली अजनार नदी वैसे ही अपनी बदहाली में है, ऐसे में जो मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए नदियों के किनारे पेड़ लगाए जाते है, वह चंदरुपयों के लालच में काटकर बेच देने का प्रकरण सामने आया है.

दरअसल, नदी के किनारे स्थित भूमि को स्वयं की बताकर सालों पुराने लगे विशालकाय इमली, कंजी, बबूल, पीपल सहित अन्य 30 से अधिक वृक्षों को काट डाला गया, जिसके ठूंठ हकीकत बयान कर रहे हैं. अब भूमि के शामिलात खातेदार ने इसकी शिकायत थाना सहित राजस्व विभाग से की है.

मामले में भूमि के शामिलात खातेदार महेश पुत्र पुरुषोत्तम कुशवाह निवासी बखतपुरा ने शिकायत आवेदन किया है कि पंजाबी नर्सिंग होम के पीछे उसकी शामिल भूमि 0.1940 हैक्टेयर लगान 1.77 पैसे की है. भूमि पर इमली, सीताफल, रामफल, बोर, कंजी, इलायची,कदम, पीपल सहित हरेभरे 30 वृक्ष लगे थे. भूमि पर लगे हरेभरे पेड़ों को मोतीलाल पुत्र लक्ष्मीचंद कुशवाह रिटायर्ड पटवारी, रमेश कुशवाह ने बिना उसकी अनुमति के कोली मौहल्ला निवासी आरा मशीन वाले मोहन पुत्र कालूराम शाक्यवार को विक्रय कर दिए. ये सभी पेड़ मशीन द्वारा काट दिए हैं.

शिकायत मिलने के बाद तहसीलदार सुभाष आलवे का कहना है कि इस संबंध में जानकारी सामने आने पर संबंधित पटवारी द्वारा मौके पर पहुंचकर पंचानामा तैयार कर जांच शुरु की गई है . जांच के आधार में मामले में कार्रवाई की जाएगी. वहीं, हरेभरे वृक्षों को बेचने वाले मोतीलाल कुशवाह का कहना है उसने स्वयं की भूमि पर लगे पेड़ों को काटने की अनुमति नगरपालिका से ली है, तभी उनका विक्रय किया गया है. खरीददार मोहन शाक्यवार का कहना है कि उसने नगरपालिका की अनुमति के बाद ही पेड़ों को काटा है.

दूसरी ओर नगरपालिका सीएमओ का कहना है मेरे द्वारा कोई अनुमति नहीं दी गई है, जबकि मोतीलाल कुशवाह पर अनुमति पत्र मौजूद है, जिसमें 15 मई को सीएमओ इकरार अहमद के द्वारा अनुमति दी गई है. अनुमति पत्र में निम्न शर्ते लिखित हैं, पेड़ काटने के दौरान जनहानि का दायित्व स्वयं का होगा. स्वयं के खर्चे पर कटवाए जाएंगे. काटे गए पेड़ के स्थान पर 20 वृक्ष अपनी जिम्मेदारी से लगाना अनिवार्य होगा, जिनका पालनपोषण स्वयं को करना होगा. वाद-विवाद की जिम्मेदारी स्वयं की होगी. साथ ही लिखित है कि स्वयं की भूमि पर लगे कटीले, नुकीले अनुपयोगी झाड़ एवं बबूल, उरन एवं इमली के पेड़ काटने की अनुमति दी जाती है.

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/ मनोज पाठक

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