भोपाल, 27 अक्टूबर (Udaipur Kiran) . Madhya Pradesh के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकाल की कार्तिक-अगहन मास में निकालने वाली सवारियों के क्रम में Monday को पहली सवारी धूमधाम से निकाली गई. अवंतिकानाथ चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकले और अपनी प्रजा का हाल जाना. इस दौरान बाबा महाकाल ने मनमहेश रूप में प्रजा को दर्शन दिए. इस बार सवारी में पहली बार महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित महाकालेश्वर बैंड भी शामिल किया गया, जिस पर शिव धुन सुन श्रद्धालु अभिभूत नजर आए.
परम्परा के मुताबिक श्रावण-भाद्रपद माह की तरह कार्तिक-अगहन मास में भी भगवान महाकाल की सवारियां निकाली जाती हैं. इसी परम्परा के अनुसार, Monday को कार्तिक माह की पहली सवारी निकाली गई. सवारी निकलने से पहले महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में उज्जैन कलेक्टर रोशन सिंह और एएसपी प्रदीप शर्मा ने भगवान मन महेश का विधिवत पूजन अर्चन किया. इस दौरान पालकी का भी पूजन किया गया. इसके बाद शाम चार बजे सवारी महाकाल मंदिर से राजसी ठाट-बाट के साथ रवाना हुई.
महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि भगवान महाकालेश्वर मनमहेश के रूप में अपनी प्रजा का हाल जानने नगर भ्रमण पर निकले. महाकालेश्वर भगवान की सवारी में प्रथम बार मंदिर प्रबंध समिति द्वारा संचालित महाकालेश्वर बेंड भी सम्मिलित किया. सवारी पुलिस बैण्ड, घुड़सवार दल, सशस्त्र पुलिस बल के जवान आदि के साथ गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार कहारवाड़ी होते हुए रामघाट क्षिप्रातट पहुंची, जहां मां क्षिप्रा के जल से पूजन-अर्चन किया गया. इसके पश्चात भगवान महाकाल की सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा, मोड की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यननारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होते हुए पुन महाकाल मंदिर पहुंची.
महाकाल मंदिर में मराठा परंपरा का विशेष तौर पर प्रभाव है. Maharashtraीयन परंपरा में शुक्ल पक्ष से माह का शुभारंभ माना जाता है. कार्तिक-अगहन मास में भी महाकाल की सवारी कार्तिक शुक्ल पक्ष के पहले Monday से शुरू होती है. इसी वजह से आज से सवारी निकालने की शुरुआत हुई.
कार्तिक-अगहन मास की दूसरी सवारी 3 नवंबर को निकाली जाएगी. साथ ही हरिहर मिलन की सवारी Monday 3 नवंबर को निकाली जाएगी. हरिहर सवारी रात 12 बजे द्वारकाधीश गोपाल मंदिर पहुंचेगी. आपको बता दें कि, सावन और कार्तिक महीने में निकलने वाली सवारी में पूजा-अर्चना से लेकर विधि-विधान में कोई फर्क नहीं रहता है. सावन-भादो माह की तरह कार्तिक-अगहन में भी भगवान महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है. हालांकि इस समय श्रद्धालुओं की संख्या कम रहती है.
(Udaipur Kiran) तोमर
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