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साहित्य से मिलती है आर्थिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक चेतना : रामनाथ कोविंद

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– पूर्व President कोविंद ने मप्र के रीवा में अखिल Indian साहित्य परिषद के अधिवेशन का किया शुभारंभ

रीवा, 07 नवंबर (Udaipur Kiran) . पूर्व President रामनाथ कोविंद ने कहा कि जो स्वयं को जान लेता है वही विश्व कल्याण कर सकता है. जब आत्मबोध और आत्मशक्ति क्षीण होने लगती है, तब हम पराभव की ओर जाते हैं. ऐसे में राष्ट्र गुलामी की जंजीरों में जकड़ जाता है. देश में सदियों की पराधीनता में भी साहित्य ने बौद्धिक चेतना और सांस्कृतिक मूल्यों का दीप जलाए रखा. स्वाधीनता संग्राम में साहित्य और साहित्यकारों का अतुलनीय योगदान है. स्वाधीनता के बाद देश में विकास की चेतना के लिए भी साहित्य सशक्त माध्यम बना. साहित्य से ही हमें आर्थिक, सांस्कृतिक और बौद्धिक चेतना मिलती है. इन्हें साहित्य ही एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाता है.

पूर्व President कोविंद शुक्रवार को Madhya Pradesh के रीवा के अखिल Indian साहित्य परिषद के 17वें राष्ट्रीय अधिवेशन के शुभारंभ कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे. उन्होंने यहां कृष्णा राज कपूर आडिटोरियम में आयोजित इस तीन दिवसीय समारोह का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया. इस अवसर पर प्रदेश के उप Chief Minister राजेन्द्र शुक्ल भी मौजूद रहे.

विन्ध्य ने हमें सफेद बाघ और थल तथा नौसेना अध्यक्ष का गौरव दिया हैः कोविंद

समारोह में पूर्व President कोविंद ने कहा कि विन्ध्य साहित्य और संगीत के साधकों की भूमि है. यह बीरबल और तानसेन जैसे व्यक्तियों की जन्मभूमि है. विन्ध्य सफेद बाघ के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है. विन्ध्य ने हमें सफेद बाघ ही नहीं, वर्तमान में थल सेना अध्यक्ष उपेन्द्र द्विवेदी और नौ सेना अध्यक्ष एडमिरल दिनेश त्रिपाठी दिए हैं. यह विन्ध्य ही नहीं पूरे देश के लिए बहुत बड़ा गौरव है.

उन्होंने कहा कि अखिल Indian साहित्य परिषद के तीन दिवसीय अधिवेशन ने देश भर के साहित्यकारों और विद्वानों को इस पावन भूमि के सानिध्य का अवसर दिया है. अधिवेशन का मूल वाक्य आत्मबोध से विश्वबोध है. अपने आपको जब हम ठीक से जानकर सच्चे अर्थों में आत्मबोध कर लेंगे तभी हमें विश्व का बोध होगा.

साहित्य परिषद अधिवेशन के विचार मंथन का अमृत देश को देगा नई दिशाः शुक्लसमारोह में उप Chief Minister राजेन्द्र शुक्ल ने कहा कि साहित्य परिषद के तीन दिवसीय अधिवेशन में विद्वानों द्वारा किए गए विचार मंथन से जो अमृत निकलेगा, वह देश को नई दिशा देगा. रीवा में अधिवेशन का आयोजन होना हम सबके लिए बहुत बड़ा गौरव है. विन्ध्य को महामृत्युंजय भगवान, माँ शारदा, माँ विन्ध्यवासिनी, चिरहुलानाथ स्वामी, रानी तालाब की कालिका देवी का आशीर्वाद प्राप्त है. माँ नर्मदा का उद्गम स्थल अमरकंटक और भगवान राम की तपोभूमि चित्रकूट भी विन्ध्य में ही है. आज का दिन हम वंदे मातरम गीत के 150वें स्मरोणत्सव को मना रहे हैं. आज ही इस अधिवेशन का शुभारंभ हमारे लिए अविस्मरणीय है.

समारोह में साहित्य परिषद के वरिष्ठ साहित्यकार विश्वास पाटिल ने रोचक संस्मरणों के साथ अपनी साहित्यिक यात्रा और साहित्य परिषद के कार्यों की जानकारी दी. समारोह में साहित्य परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ ऋषि कुमार मिश्र ने साहित्य परिषद के कार्यों और उपलब्धियों का विवरण प्रस्तु किया.

समारोह में पूर्व President रामनाथ कोविंद ने रेवाखण्डे पुस्तिका का विमोचन किया. समारोह में पूर्व President को साहित्य परिषद की ओर से स्मृति चिन्ह और सुपारी की कलाकृति भेंट कर सम्मानित किया गया. समारोह में क्षेत्रीय सांसद जनार्दन मिश्र, विधायक प्रदीप पटेल, जिला पंचायत अध्यक्ष नीता कोल, साहित्य परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री श्रीधर पराड़कर, साहित्य परिषद के अध्यक्ष डॉ सुशीलचंद्र त्रिवेदी तथा प्रांताध्यक्ष राकेश सोनी, जिलाध्यक्ष शिवानंद तिवारी तथा अधिवेशन संयोजक चंद्रकांत तिवारी सहित देश भर के एक हजार से अधिक साहित्यकार शामिल हुए. अधिवेशन का संचालन साहित्य परिषद के संयुक्त महामंत्री डॉ पवनपुत्र बादल ने किया.

(Udaipur Kiran) तोमर

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